राजस्थान में कृषि प्रश्नोतर | Agriculture in Rajasthan Question

राजस्थान में कृषि प्रश्नोतर | Agriculture in Rajasthan Question

राजस्थान में कृषि प्रश्नोतर | Agriculture in Rajasthan Question

Hello Aspirants,

Agro-climatic Zones:

Rajasthan encompasses various agro-climatic zones, ranging from arid to semi-arid regions.
The state’s agricultural practices are heavily influenced by its climate, which includes hot summers and relatively cold winters.
Crops and Cropping Patterns:

The state grows a variety of crops, including cereals like wheat, barley, and millets; oilseeds like mustard and groundnut; and pulses like gram and lentils.
Rajasthan’s cropping patterns include both kharif (summer) and rabi (winter) seasons, with different crops cultivated in each season.
Irrigation Challenges:

Water scarcity is a major challenge in Rajasthan due to its arid and semi-arid climate.
The state has made efforts to harness available water resources through traditional methods like building step wells (baoris) and modern infrastructure like dams and canals.
Indira Gandhi Canal Project:

One of the largest canal systems in the world, the Indira Gandhi Canal, has transformed parts of the desert region into cultivable land.
This project has facilitated irrigation and boosted agricultural productivity in certain areas.
Drought Management:

Drought is a recurring issue in Rajasthan, leading to crop failures and livestock challenges.
The state government has implemented various drought management strategies, including crop insurance and relief measures for affected farmers.
Horticulture and Floriculture:

In recent years, there has been a focus on horticulture and floriculture, with crops like citrus fruits, pomegranates, and roses gaining prominence.
These crops require less water compared to traditional crops, making them suitable for arid conditions.
Livestock Rearing:

Given the challenges of agriculture in arid regions, livestock rearing is an important aspect of rural livelihoods.
Livestock such as cattle, goats, and camels are adapted to the harsh climate and play a crucial role in providing dairy products and wool.
Organic Farming and Sustainable Practices:

Organic farming and sustainable agriculture practices are being promoted to conserve water, enhance soil fertility, and reduce chemical usage.
These practices aim to make agriculture more resilient and environmentally friendly.
Government Initiatives:

The Rajasthan government has launched various schemes to support farmers, improve irrigation, and enhance agricultural productivity.
Initiatives like soil health cards, crop insurance, and subsidies on agricultural inputs are aimed at benefiting farmers.
Challenges and Opportunities:

Water scarcity remains a critical challenge, necessitating efficient water management techniques.
Climate-smart agriculture, drought-resistant crops, and improved irrigation methods offer opportunities for sustainable agricultural development.

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Most Important Agriculture in Rajasthan Question

प्रश्न 1. राजस्थान में वालरा कृषि का एक प्रकार है-
(1) स्थानांतरित कृषि
(2) शुष्क कृषि
(3) आर्द्र एवं शुष्क कृषि
(4) पर्वतीय कृषि (1)

प्रश्न 2. निम्न में से कौनसी तिलहन की फसल राजस्थान में खरीफ के मौसम में उत्पादित नहीं की जाती है ?
( 1 ) मूंगफली
( 2 ) तिल
( 3 ) सोयाबीन
( 4 ) सरसों ( 4 )

प्रश्न 3. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत राजस्थान को केन्द्रीय सहायता के रूप में भारत सरकार के प्रतिशत योगदान को बताइये –
( 1 ) 60 प्रतिशत
( 2 ) 75 प्रतिशत
( 3 ) 80 प्रतिशत
( 4 ) शत प्रतिशत ( 1 )

प्रश्न 4. राजस्थान में निम्न में से कौनसी संस्था शीत भण्डार गृह और मण्डी यार्ड बनाने से सम्बद्ध है ?
( 1 ) नाबार्ड
( 2 ) राज्य सहकारी बैंक
( 3 ) कृषि विपणन बोर्ड
( 4 ) क्रय विक्रय समितियाँ ( 3 )

प्रश्न 5. निम्न में से कौनसा राजस्थान में बोयी जाने वाली रबी की तिलहन है –
( 1 ) मूंगफली
( 2 ) सोयाबीन
( 3 ) राई
( 4 ) अरण्डी ( 3 )

प्रश्न 6. राजस्थान राज्य में कितने प्रतिशत जनसंख्या कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों पर निर्भर हैं –
( 1 ) 75
( 2 ) 72
( 3 ) 62
( 4 ) 52 ( 3 )

प्रश्न 7. क्षेत्रफल की दृष्टि से राजस्थान का सबसे बड़ा कृषि जलवायु खण्ड कौनसा है ?
( 1 ) आर्द्र दक्षिणी मैदानी खण्ड
( 2 ) शुष्क पश्चिमी मैदानी खण्ड
( 3 ) बाढ़ संभाव्य पूर्वी मैदानी खण्ड
( 4 ) सिंचित उत्तर – पश्चिमी मैदानी खण्ड ( 2 )

प्रश्न 8. राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केन्द्र स्थित है –
( 1 ) तबीजी,अजमेर में
( 2 ) लालगढ़,बीकानेर में
( 3 ) सेवर,भरतपुर में
( 4 ) टुर्गापुरा,जयपुर में ( 1 )

प्रश्न 9. निम्न में से किस फसल के लिए सर्वाधिक जल की आवश्यकता होती है ?
(1) गेहूँ
( 2 ) ज्चार
( 3 ) चना।
( 4 ) चावल ( धान ) ( 4 )

प्रश्न 10. बायोडीजल के लिये किस पौधे की खेती की जाती है ?
( 1 ) ग्वार पाठ की
( 2 ) रतनजोत की
( 3 ) सोनामुखी की
( 4 ) सफेद मूसली की ( 2 )

प्रश्न 11. राष्ट्रीय सरसों अनुसन्धान केन्द्र स्थित है –
( 1 ) खेड़ली में
( 2 ) नदवई में
( 3 ) सेवर में
( 4 ) बाँदीकुई में ( 3 )

प्रश्न 12. एशिया का सबसे बड़ा कृषि फार्म कहाँ स्थापित हैं –
( 1 ) जैतसर (गंगानगर)
( 2 ) दुर्गापुरा (जयपुर)
( 3 ) सूरतगढ़ (गंगानगर)
( 4 ) तबीजी (अजमेर) ( 3 )

प्रश्न 13. राज्य में बंजर व व्यर्थ भूमि का सर्वाधिक क्षेत्र किस जिले में है –
( 1 ) जोधपुर
( 2 ) बीकानेर
( 3 ) जैसलमेर
( 4 ) बाड़मेर ( 3 )

प्रश्न 14. राज्य में सर्वाधिक उत्पादित होनी वाली फसल कौनसी है-
( 1 ) गेहूँ
( 2 ) ज्वार
( ३ ) बाजरा
( 4 ) मका { 1 }

प्रश्न 15. निम्न में से फसल एवं किस्मों का कौनसा युग्म असंगत है –
( 1 ) मक्का – माही कंचन व माही धवल
( 2 ) चावल – कावेरी , चम्बल व परमल
( 3 ) गेहूँ – मैक्सिकन व कोहिनूर
( 4 ) मूंगफली – चन्द्रा व कुफरी (4)

प्रश्न 16. भारत में ( 1966 – 67 से ) हरित क्रांति के जन्मदाता थे –
( 1 ) एम.एस.स्वामीनाथन
( 2 ) स्व. वर्गीज कुरियन
( 3 ) नॉरमन बारलांग
( 4 ) प्रो. सी.आर.राव। ( 1 )

प्रश्न 17. काजरी शोध संस्थान कहाँ है –
( 1 ) जोधपुर
( 2 ) जयपुर
( 3 ) जैसलमेर
( 4 ) बीकानेर ( 1 )

प्रश्न 18. भूरी क्रांति किससे संबंधित है –
( 1 ) दुग्ध
( 2 ) खाद्य पदार्थ प्रसंस्करण
( 3 ) सरसों
( 4 ) झींगा , मछली ( 2 )

प्रश्न 19. लाठी सीरीज़ क्षेत्र किस जिले में है ?
( 1 ) जालौर
( 2 ) बीकानेर
( 3 ) बाड़मेर
( 4 ) जैसलमेर ( 4 )

प्रश्न 20. सामान्यत : निम्न में से राजस्थान के किन जिलों में सर्वाधिक गेहूँ पैदा होता है ?
( 1 ) उदयपुर , जयपुर
( 2 ) जयपुर , गंगानगर
( 3 ) गंगानगर , हनुमानगढ़
( 4 ) गंगानगर , अलवर (4)

प्रश्न 21. सेरीकल्चर का सम्बन्ध निम्नांकित से है –
( 1 ) मछली पालन
( 2 ) दूध उत्पादन
( ३ ) मधुमक्खी पालन
( 4 ) रेशम कीट पालन ( 4 )

प्रश्न 22. राजस्थान का अन्न भंडार कौनसा जिला हैं –
( 1 ) गंगानगर
( 2 ) हनुमानगढ़
( 3 ) चुरू
( 4 ) जयपुर ( 1 )

प्रश्न 23. बायोडीजल हेतु निम्न में से किसका रोपण करवाया गया हैं –
(1) जोजोबा
( 2 ) रतनजोत
( 3 ) युक्लिप्टस
( 4 ) विलायती बबूल ( 2 )

प्रश्न 24. चैती ( दशमक ) गुलाब की खेती राज्य के किस क्षेत्र में की जाती है ?
( 1 ) पुष्कर ( अजमेर )
( 2 ) खमनौर ( राजसमंद )
( 3 ) खारा ( बीकानेर )
( 4 ) खुशखेड़ा ( अलवर ) ( 2 )

प्रश्न 25. राजस्थान के किन जिलों में वालरा कृषि की अधिकता है ?
( 1 ) सिरोही , जालौर , पाली
( 2 ) डूँगरपुर , बाँसवाड़ा , भीलवाड़ा
( 3 ) उदयपुर , डूंगरपुर , बाँसवाड़ा
( 4 ) चित्तौड़गढ़ , राजसमंद , बाँसवाड़ा ( 3 )

प्रश्न 26. राजस्थान में रबी की फसलों के लिए विशेष लाभदायक है –
( 1 ) शीतलहर
( 2 ) लू
( ३ ) मावट
( 4 ) मानसून पूर्व की बौछार ( 3 )

प्रश्न 27. राजस्थान में पूर्वी आर्द्र प्रदेशों की प्रमुख उपज है-
( 1 ) बाजरा व चावल
( 2 ) बाजरा व दालें
( 3 ) गेहूँ व चना
( 4 ) तंबाकू व गन्ना ( 3 )

प्रश्न 28. फल उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान का प्रमुख जिला है ?
( 1 ) जयपुर
( 2 ) कोटा
( 3 ) गंगानगर
( 4 ) भरतपुर ( 3 )

प्रश्न 29. राजस्थान में कपास की कृषि के प्रमुख दो जिले हैं-
( 1 ) गंगानगर व हनुमानगढ़
( 2 ) अलवर व भरतपुर
( 3 ) कोटा व बूंदी
( 4 ) जयपुर व सीकर (1)

प्रश्न 30. राई व सरसों के उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान का देश में स्थान है –
( 1 ) प्रथम
( 2 ) द्वितीय
( 3 ) तृतीय
( 4 ) चतुर्थ ( 1 )

प्रश्न 31. राजस्थान में सर्वाधिक शुष्क कृषि तीव्रता वाले जिले है –
( 1 ) जैसलमेर , बाड़मेर
( 2 ) बीकानेर , चुरू
( 3 ) डूंगरपुर , बाँसवाड़ा
( 4 ) डूंगरपुर , जैसलमेर (1)

प्रश्न 32. राजस्थान के शुष्क प्रदेशों की प्रमुख उपज है –
( 1 ) गेहूँ , ज्वार
( 2 ) बाजरा व दालें
( 3 ) गेहूँ व चना
( 4 ) मक्का व चावल ( 2 )

प्रश्न 33. वह कृषि जिसमें पहाड़ी क्षेत्रों में समस्त कृषि कार्य और फसलों की बुवाई ढाल के विपरीत की जाती है , कहलाती है –
( 1 ) झूमिंग कृषि
( 2 ) समोच्च कृषि
( 3 ) पट्टीदार कृषि
( 4 ) बारानी कृषि ( 2 )

प्रश्न 34. किस सम्भाग में जीरा की पैदावार सर्वाधिक है –
( 1 ) जयपुर
( 2 ) जोधपुर
( 3 ) कोटा
( 4 ) बीकानेर ( 2 )

प्रश्न 35. किस सम्भाग में धनिया की पैदावार सर्वाधिक है –
( 1 ) जयपुर
( 2 ) जोधपुर
( 3 ) कोटा
( 4 ) बीकानेर ( 3 )

प्रश्न 36. “राष्ट्रीय सूक्ष्म सिंचाई मिशन” लागू किया गया –
( 1 ) जून 2011 से
( 2 ) जून 2010 से
( 3 ) जुलाई 2010 से
( 4 ) जुलाई 2017 से ( 2 )

प्रश्न 37. “मल्टीस्टेट एग्रीकल्चर कांप्टिटिवनेस योजना” राजस्थान में किसके आर्थिक सहयोग से चलाई जाएगी
( 1 ) वर्ल्ड बैंक
( 2 ) यूनीसेफ
( 3 ) भारत सरकार
( 4 ) JBIC ( जापान ) ( 1 )

प्रश्न 38. “राष्ट्रीय सूक्ष्म सिंचाई मिशन” में लघु एवं सीमान्त कृषको हेतू केन्द्र व राज्य का अनुपात है –
( 1 ) 80 : 20
( 2 ) 80.33 : 19.67
( 3 ) 83.33 : 16.67
( 4 ) 85 : 15 ( 3 )

प्रश्न 39. “हॉर्टिकल्चर हब” विकसित किया जायेगा –
( 1 ) उदयपुर
( 2 ) जोधपुर
( 3 ) झालावाड़
( 4 ) अजमेर ( 3 )

प्रश्न 40. राज्य की सर्वाधिक हल्दी उत्पादित होती है –
( 1 ) झाड़ोल (उदयपुर)
( 2 ) छोटी सादड़ी (प्रतापगढ)
( 3 ) मसूदा (अजमेर)
( 4 ) रेलमगरा (राजसमंद) ( 1 )

प्रश्न 41. हरित क्रांति के लिए निम्न में से कौनसा एक कारण सहायक नहीं है
(1) उन्नत मिट्टी का उपयोग
(2) सिंचाई के साधनों का प्रयोग
(3)रासायनिक खाद का प्रयोग
(4) उन्नत बीज का प्रयोग
उत्तर – (1)

प्रश्न 42. हरि बाली रोग किस फसल में होता है –
(1) ज्वार
(2) बाजरा
(3) गेहूँ
(4) जौ ( 2 )

प्रश्न 43 . निम्न में से क्या असंगत है –
( 1 ) गेहूँ
( 2 ) चना
( 3 ) बाजरा
( 4 ) सरसों ( 3 )

प्रश्न 44 . राजस्थान राज्य की प्रमुख फसल है-
( 1 ) गेहूँ
( 2 ) बाजरा
( 3 ) मक्का
( 4 ) ज्वार ( 2 )

प्रश्न 45 . कौनसा पौधा परजीवी या मृतजीवी है –
( 1 ) टमाटर
( 2 ) मशरूम
( 3 ) अफीम
( 4 ) गोभी ( 2 )

प्रश्न 46 . अफीम की खेती निम्न में से किस जिले में नहीं होती हैं –
( १ ) झालावाड़
( 2 ) कोटा
( 3 ) उदयपुर
( 4 ) राजसमंद ( 4 )

प्रश्न 47 . राजस्थान का पहला स्पाइस – पार्क कहाँ स्थित है –
( 1 ) झालावाड
( 2 ) बूँदी
( 3 ) कोटा
( 4 ) जालौर ( 3 )

प्रश्न 48 . राजस्थान की प्रमुख नकदी फसल है –
( 1 ) गन्ना
( 2 ) कपास
( 3 ) मूगफली
( 4 ) चुन्दर ( 2 )

प्रश्न 49 . इनमें से रबी की फसल नहीं है –
( 1 ) चना
( 2 ) धान
( 3 ) गेँहू
( 4 ) मटर ( 2 )

प्रश्न 50 . निम्न में से राजस्थान के कृषि, जलावायु खण्ड़ में सोयाबीन की खेती महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं –
( 1 ) सिंचित उत्तर पश्चिम मैदान खंड
( 2 ) बढ़ ग्रस्त पूर्वी मैदान खंड
( 3 ) उपआर्द्र दक्षिणी खंड
( 4 ) आर्द्र दक्षिणी पूर्वी मैदान खंड ( 4 )

प्रश्न 51 . कौनसा जिला इसबगोल उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है-
( 1 ) झालावाड़
( 2 ) जोधपुर
( 3 ) बूंदी
( 4 ) पाली ( 2 )

प्रश्न 52. सोहलवीं – सत्रहवीं शताब्दी में राजस्थान में नील का कारोबार अत्यंत विकसित था और नील हमारी सांस्कृतिक विरासत रही है इस विरासत का गवाह रहा है –
( 1 ) बयाना (भरतपुर)
( 2 ) करौली
( 3 ) धौलपुर
( 4 ) अलवर ( 1 )

प्रश्न 53 . रबी की फसल का सही युग्म है –
( 1 ) गेंहू – चावल
( 2 ) सोयबीन – सरसों
( 3 ) गेहू – सरसों
( 4 ) कपास- सूरजमुखी ( 3 )

प्रश्न 54 . अफीम के पौधे का कौनसा हिस्सा ओषधीय महत्व का है –
( 1 ) बीज
( 2 ) छाल
( 3 ) ज़ड़
( 4 ) कच्चे फलों का दूध ( 4 )

राजस्थान में सहकारी संस्थाएं | Rajasthan Co-operative Society

(1) राजस्थान राज्य सहकारी संघ]

👉 मुख्यालय – जयपुर
👉 स्थापना – 21 दिसम्बर 1957
👉 कार्य – सहकारी शिक्षण-प्रशिक्षण अनुसंधान एवं सहकारी सिद्धांतों का प्रचार-प्रसार करने वाली प्रदेश के सहकारी आन्दोलन की शीर्ष संस्थान।

(2) राजस्थान सहकारी शिक्षा एवं प्रबंधन संस्थान

👉 मुख्यालय – जयपुर
👉 स्थापना – 1 अप्रैल 1994
👉 कार्य – सहकारिता से संबंधित सरकारी एवं गैर सरकारी कार्मिकों को प्रशिक्षण देना।

(3) सहकारी कल्याण व सेवा फॉरम कोपसेफ

👉 मुख्यालय – जयपुर
👉 स्थापना – 1995
👉 कार्य – सहकारिता से संबंधित सरकारी, गैर सरकारी कार्मिकों को प्रशिक्षण देना।

(4) राजस्थान राज्य सहकारी मुद्रणालय लिमिटेड

👉 मुख्यालय – जयपुर
👉 स्थापना – 1960
👉 कार्य – सरकारी, अर्द्ध-सरकारी एवं सहकारी संस्थाओं व विभागों के उपयोगार्थ गुणवता सामग्री का उचित मूल्य में प्रकाशन।

(5) राजस्थान राज्य सहकारी तिलम उत्पादक संघ (तिलम संघ)

👉 स्थापना – 3 जुलाई 1990
👉 यूरोपीय संघ के सहयोग से जालौर, झुंझुनूं, मेड़ता सिटी, श्रीगंगानगर, गंगापुर सिटी में सरसों के लिए एवं विश्व बैंक के सहयोग से बीकानेर (मूंगफली व सरसों), कोटा (सोयाबीन), फतेहनगर में तेल मिले प्रारंभ की गई। इनमें से फतेहपुर, कोटा, श्रीगंगानगर की ही ईकाइयाँ वर्तमान में कार्यरत है।

(6) स्पिनफेड (राजस्थान राज्य सहकारी स्पिनिंग एवं विविंग मिल्स फ़ैडरेशन)

👉 स्थापना – 1 अप्रैल 1993
👉 कार्य – रुई की खरीद, सूत का उत्पादन एवं बिक्री।

(7) श्रीगंगानगर सहकारी तिलहन प्रोसेसिंग मिल्स लिमिटेड, गजसिंहपूरा (श्रीगंगनगर)

👉 स्थापना – 1976

(8) राजस्थान जनजाति विकास सहकारी संघ (राजस संघ)

👉 मुख्यालय – उदयपुर
👉 स्थापना – 27 मार्च 1976
👉 कार्य क्षेत्र – जनजाति उपयोजना की 23 पंचायत समितियाँ एवं सहरिया क्षेत्र की 2 पंचायत समितियाँ।
👉 कार्य – आदिवासियों को व्यापारियों, बिचौलियों एवं सहकारी से मुक्ति दिलाते हुए उचित मूल्य पर कृषि आदान व व दैनिक उपयोगी की वस्तुएं सुलभ कराना एवं उनके वनोपज का उचित मूल्य दिलाना।

(9) अनुसूचित जाति, जनजाति वित्त एवं विकास सहकार निगम (अनुजा निगम)

👉 स्थापना – 28 फरवरी 1980 को अनुसूचित जाति सहकारी विकास निगम के नाम से स्थापित जिसका वर्तमान नामकरण 24 सितम्बर 1993 को किया गया।

सहकारिता से संबंधित महत्वपूर्ण समितियाँ

👉 वैद्यनाथ समिति – केंद्र द्वारा घोषित इस समिति ने सहकारी संस्थाओं को ओर अधिक स्वायत्ता देने की अनुशंसा की।
👉 दीक्षित समिति – इस समिति का गठन 30 जुलाई, 2002 को ग्राम पंचायत स्तर पर सहकारी समितियों के गठन से संबंधित सुझाव देने हेतु किया गया।
👉 बी. एल. मेहता समिति – सहकारी साख समितियों के गठन की सिफारिश करने हेतु मई 1960 में गठित की गई।
👉 डॉ. सी. डी. दाँते समिति – राजस्थान कृषि साख सहकारी संस्थाओं के अध्ययन हेतु भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 1974 में गठित की गई।
👉 मीर्धा रिपोर्ट – सहकारी आन्दोलन को लोकतांत्रिक बनाने हेतु की गई रिपोर्ट।

राजस्थान में मृदा संसाधन | राजस्थान में मिट्टियां | Soils of Rajasthan

● मृदा मानव जीवन का मूल आधार है अतः सभी सभ्यताओं एवं संस्कृतियों का विकास मिट्टी से हुआ है।

● मृदा :- भू-पृष्ठ पर असंगठित पदार्थों की वह ऊपरी परत जो कि मूल चट्टानों या वनस्पति के योग से निर्मित होती है मृदा कहलाती है।

● राजस्थान में मृदा (Soils of Rajasthan) का वर्गीकरण दो प्रकार से किया गया है –

(A). सामान्य वर्गीकरण

इसमे मृदा को रंग के आधार पर वर्गीकृत किया गया है।

1.रेतीली मिट्टी
2.भूरी रेतीली मिट्टी / भूरी – पीली मिट्टी
3.लाल मिट्टी
4.लाल काली मिश्रित मिट्टी
5.लाल पीली मिट्टी
6.काली मिट्टी / मध्यम काली मिट्टी
7.जलोढ़ मिट्टी / दोमट / कछारी मिट्टी
8.भूरी दोमट मिट्टी
9.पर्वतीय मिट्टी
10.लवणीय मिट्टी

(B) वैज्ञानिक वर्गीकरण

1911 में अमेरिका के वैज्ञानिकों द्वारा वैज्ञानिक आधार पर मृदा को 11 भागों में बांटा गया था जिसमें से राजस्थान में पांच प्रकार की मिट्टी पाई जाती है

1.वर्टिसोल (Vertisoil)
2.एरिडोसोल (Eridosoil)
3.अल्फ़ीसोल (Alfisoil)
4.एन्टीसोल (Antisoil)
5.इन्सेप्टीसोल (Inseptisoil)

राजस्थान में मृदा सामान्य वर्गीकरण के आधार पर (Based on General Classification of Soil in Rajasthan)

1. रेतीली मिट्टी / बलुई मिट्टी / मरुस्थली मिट्टी

● जैसलमेर, बीकानेर, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर व चरु जिले में इस मिट्टी का विस्तार है
● इस मिट्टी के कण मोटे होने के कारण इसमें जल धारण क्षमता करने की क्षमता सबसे कम पाई जाती है
● इस मिट्टी में मुख्य रूप से मोटे अनाज जैसे – ग्वार, मोठ, बाजरा आदि का उत्पादन होता है
● इस मिट्टी में नाइट्रोजन व कार्बनिक पदार्थों की कमी लेकिन कैल्शियम के तत्व की प्रधानता पाई जाती है

2. भूरी रेतीली मिट्टी / भूरी पीली मिट्टी

● यह मिट्टी मुख्य रूप से सीकर, चूरू, झुंझुनूं, नागौर, पाली, जालौर में विस्तृत है
● इस मिट्टी में नाइट्रोजन एवं कार्बनिक पदार्थों की कमी एवं फॉस्फेट के तत्वों की प्रधानता पाई जाती है।
● इस मिट्टी में ज्वार, बाजरा, मक्का, ईसबगोल, जीरा, मेहंदी, सरसों, जौ, गेहूं का उत्पादन होता है।

3. लाल लोमी मिट्टी

● यह मिट्टी मुख्य रूप से उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, चित्तौड़गढ़, राजसमन्द, सिरोही जिलों में पाई जाती है।
● इस मिट्टी में नाइट्रोजन, कैल्शियम, फॉस्फोरस तत्वों की कमी एवं लौह व पोटास के तत्वों की प्रधानता पाई जाती है।
● इस मिट्टी में लौह तत्व अधिक होने के कारण इसका रंग गहरा लाल होता है।
● इस मिट्टी में मुख्य रूप से मक्का की खेती की जाती है

4. लाल – काली मिश्रित मिट्टी

● यह मिट्टी उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, चितौड़गढ़ में पाई जाती है।
● इस मिट्टी में नाइट्रोजन, कैल्शियम, फॉस्फोरस एवं फॉस्फेट के तत्वों की कमी पाई जाती है।
● इस मिट्टी के कण छोटे होते है इस कारण यह मिट्टी कपास, गन्ना, चावल आदि के उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।

5. लाल – पीली मिट्टी

● यह मिट्टी सवाई माधोपुर, भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक जिलों में पाई जाती है
● इस मिट्टी में नाइट्रोजन, कैल्शियम के तत्वों की कमी एवं लौह ऑक्साइड के तत्वों की प्रधानता पाई जाती है

6. काली मिट्टी

● यह मिट्टी मुख्य रूप से कोटा, बूंदी, बांरा, झालावाड़ में पाई जाती है
● इस मिट्टी में कपास का अधिक उत्पादन होने के कारण इसे कपासी मिट्टी भी कहा जाता है
● इस मिट्टी में नाइट्रोजन व कैल्शियम के तत्वों की कमी एवं जैविक पदार्थ व पोटाश के तत्वों की प्रधानता पाई जाती है
● इस मिट्टी में कपास, गन्ना, चावल आदि का अधिक उत्पादन होता है

7. जलोढ़ / दोमट / कच्छारी मिट्टी

● यह मिट्टी मुख्य रूप से सवाई माधोपुर, टोंक, भीलवाड़ा, जयपुर, दोसा / माही नदी बेसिन / चंबल नदी बेसिन / बनास नदी बेसिन में विस्तृत है
● इस मिट्टी में कैल्शियम व फास्फेट के तत्वों की कमी एवं नाइट्रोजन व पोटाश की अधिकता पाई जाती है
● इसी कारण राजस्थान में सबसे अधिक उपजाऊ मिट्टी जलोढ़ मिट्टी को माना जाता है
● इस मिट्टी में मुख्य रूप से सरसों, गेंहू, चावल, कपास, गन्ना आदि का उत्पादन होता है

8. भूरी दोमट मिट्टी

● राजस्थान में यह मिट्टी मुख्य रूप से बनास नदी बेसिन में पाई जाती है।

9. पर्वतीय मिट्टी

● यह मिट्टी मुख्य रूप से राजस्थान के अरावली पर्वतीय प्रदेशों में पाई जाती है

10. लवणीय मिट्टी

● राजस्थान में यह मिट्टी मुख्य रूप से गंगानगर, बीकानेर, बाड़मेर, जालौर में पाई जाती है
● इस मिट्टी में लवणीय और क्षारीय तत्व अधिक होने के कारण यह अनुपजाऊ मिट्टी है
● इस मिट्टी को जिप्सम, हरि खाद, रॉक फॉस्फेट आदि के उपयोग से इस उपजाऊ बनाया जा सकता है।

◆ भूरी जलोढ़ मिट्टी :- श्री गंगानगर, हनुमानगढ़ में पाई जाती है

राजस्थान में मृदा वैज्ञानिक वर्गीकरण के आधार पर (Based on Scientific Classification Soil in Rajasthan)

1. एन्टीसोल (रेगिस्तानी)

● इसका विस्तार पश्चिमी राजस्थान में है।
● पीली – भूरी मिट्टी, भिन्न- भिन्न जलवायु दशाओं के निर्माण से इस मिट्टी का निर्माण हुआ।

2. एरिडोसोल (बालू मिट्टी)

● यह अर्द्ध शुष्क मरुस्थलीय जिलों सीकर, झुंझुनूं, चूरू, नागौर, पाली, जालौर में पाई जाती है।

3. वर्टीसोल (काली मिट्टी)

● इसमें अत्यधिक क्ले उपस्थित होने के कारण इसमें मटियारी मिट्टी की विशेषताएं पाई जाती है।
● इसका विस्तार झालावाड़, कोटा, बूंदी, बांरा जिलों में है। (Soils of Rajasthan)

4. इन्सेप्टी सोल्स (पथरीली मिट्टी)

● अर्द्ध शुष्क एवं उप आर्द्र प्रकार की जलवायु में अरावली के ढालो में इस मिट्टी का विस्तार है।
● यह मिट्टी सिरोही, पाली, राजसमन्द, उदयपुर, भीलवाड़ा, झालावाड़ में विस्तृत है।

5. अल्फ़ीसोल

● राज्य के पूर्वी जिलों जयपुर, दौसा, अलवर, भरतपुर, सवाई माधोपुर, करौली, टोंक, भीलवाड़ा, चितौरगढ़, बांसवाड़ा, राजसमन्द, उदयपुर, डूंगरपुर, बूंदी, कोटा, बांरा, झालावाड़ में विस्तार है।

मृदा अपरदन

मृदा अपरदन :- विभिन्न मानवीय व प्राकृतिक हस्तक्षेप से मृदा की ऊपरी परत का स्थानांतरण या नष्ट होना मृदा अपरदन कहलाता है।
मृदा अपरदन के प्रकार :- मृदा अपरदन के 5 प्रकार होते है।

1.अवनालिका अपरदन
2.उत्खात भूमि / बीहड़ भूमि
3.जल या चादरी अपरदन
4.परत अपरदन / वायु अपरदन
5.धरातलीय अपरदन

1. अवनालिका अपरदन

● चम्बल नदी बेसिन का ढ़ाल तीव्र एवं उसमे कठोर व कोमल चट्टानें एकान्तर क्रम से स्थित होने के कारण चम्बल नदी के द्वारा इस क्षेत्र में नाली नुमा जो गहरे – गहरे गड्ढे बनाये जाते है उसे अवनालिका अपरदन कहा जाता है।
● राजस्थान में सबसे अधिक अवनालिका अपरदन कोटा जिले में / चम्बल नदी में या राजस्थान के दक्षिणी-पूर्वी भाग में सबसे अधिक होता है।

2. उत्खात भूमि / बीहड़ भूमि

● राजस्थान में चम्बल बेसिन के अंतर्गत चम्बल नदी के द्वारा निर्मित ऊबड़ खाबड़ नुमा आकृति को उत्खात भूमि / बीहड़ भूमि कहा जाता है।
● राजस्थान में इस प्रकार का अपरदन सर्वाधिक सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर में देखने को मिलता है।

3. जल या चादरी अपरदन

● वर्षा के जल या नदी के द्वारा मिट्टी की ऊपरी परत को बहा देना जल या चादरी अपरदन कहलाता है।
● राजस्थान में सबसे अधिक चादरी अपरदन सिरोही व राजसमन्द जिले में देखने को मिलता है।

4. वायु अपरदन / परत अपरदन

● राजस्थान में तेज हवाओं के द्वारा मिट्टी की ऊपरी परत को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर देना परत या वायु अपरदन कहलाता है।
● परत अपरदन राजस्थान में सबसे अधिक पश्चिमी राजस्थान में देखने को मिलता है।

5. धरातलीय अपरदन

● धरातल पर तेज वायु, जल, नदियों के द्वारा धरातल की ऊपरी परत को स्थानांतरित कर देना धरातलीय अपरदन कहलाता है।
● यह राजस्थान में सभी क्षेत्रों में देखने को मिलता है।

मृदा अपरदन के कारण

1.राजस्थान में वनों की अत्यधिक कटाई के कारण व वनों के हो रहे विनाश से मृदा का अपरदन बढ़ रहा है
2.राजस्थान में अत्यधिक पशुचारण से मृदा अपरदन हो रहा है
3.राज्य में वर्षा से पहले जो तेज आंधियां चलती है उससे मृदा का अत्यधिक अपरदन होता है
4.राजस्थान के दक्षिणी एवं दक्षिणी पूर्वी भागों में आदिवासियों के द्वारा वालरा कृषि से वनों का विनाश हो रहा है जिससे मृदा अपरदन बढ़ रहा है
5.राजस्थान में कंक्रीट के जंगलों का विस्तार (बढ़ता हुआ शहरीकरण) मृदा अपरदन के लिए उत्तरदायी है

मृदा अपरदन के कुप्रभाव

1.निरन्तर सूखा
2.बोई गई फसलों में बीजों का अंकुरण न होना।
3.निरन्तर जल स्तर का नीचा होना।
4.नदी एवं नहरों के मार्ग अवरुद्ध होना।
5.भयंकर बाढ़ो का प्रकोप

मृदा अपरदन को रोकने के उपाय

1.वरक्षारोपण
2.अत्यधिक वनों के विनाश को रोकना / नियंत्रण
3.ढालों पर पट्टीदार खेती / कृषि करना
4.चरागाहों का विकास करना
5.खेतों में मेड़ बन्दी करना
6.नदी के मार्गों में बांधो का निर्माण करना
7.वैज्ञानिक कृषि को अपनाना

राजस्थान में मृदा की समस्या

1.निरन्तर कृषि के उत्पादन में कमी
2.खरपतवार की समस्या
3.मरुस्थल का प्रसार
4.जलाधिक्यबकी समस्या
5.सेम की समस्या

राजस्थान में मृदा संसाधन से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य

1.पणों :- राजस्थान में वर्षा के जल, तालाब, दलदली क्षेत्रों का जल जब सुख जाता है तोबुस उपजाऊ मिट्टी को स्थानीय भाषा मे पणों कहा जाता है।
2.बाँझड़ :- राजस्थान में जिन स्थानों पर वर्षा की कमी के कारण खेतों को बिना जोते हुए छोड़ दिया जाता है उन स्थानों की अनुपजाऊ मिट्टी को स्थानीय भाषा मे बांझड़ / अनुपजाऊ / परती भूमि कहा जाता है।
3.नेहड़ :- राजस्थान के बाड़मेर, नागौर में कच्छ के रण का विस्तार होने के कारण वहां की मिट्टी लवणीय है जिसे स्थानीय भाषा नेहड़ कहा जाता है।
4.तैलीय पानी :- सिंचाई के लिए उपयोग किये जाने वाले पानी मे कार्बोनेट एवं हाइड्रोकार्बन आदि तत्वों की जब अधिकता हो जाती है तो उस पानी को तैलीया पानी कहा जाता है।
5.रेतीली मगरा :- पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश में मरुस्थल की मिट्टी को स्थानीय भाषा मे रेतीली मगरा के नाम से जाना जाता है।
6.धमासा :- पश्चिमी मरुस्थलीय प्रदेश में पायी जाने वाली यह ऐसी वनस्पति है जो मरुस्थल के प्रसार को रोकती है।
7.सूड़ :- इसका शाब्दिक अर्थ खरपतवार को हटाना है। राजस्थान में खेतों में उगने वाले खरपतवार को दबाना या उसे उखाड़ कर जलाना स्थानीय भाषा मे सूड़ के नाम से जाना जाता है।

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