जम्मू-कश्मीर राज्य विधान-मंडल सदस्य (निरर्हता) हटाना) अधिनियम, 1962

जम्मू-कश्मीर राज्य विधान-मंडल सदस्य (निरर्हता) हटाना) अधिनियम 1962

जम्मू-कश्मीर राज्य विधान-मंडल सदस्य (निरर्हता) हटाना) अधिनियम, 1962

Hello Aspirants,

  • ब्रिटिश भारत का बंटवारा- 1947 संप्रभुता के सिद्धान्त 5 के अन्तर्गत ब्रिटिश शासक द्वारा संरक्षित – 560 अर्धस्वतंत्र प्रिन्सली स्टेट्स – 1858
  • कैबिनेट मिशन ज्ञापन – भारत स्व‍तंत्रता अधिनियम, 1947 – सर्वोच्च शासन की समाप्ति – राज्यो के सभी अधिकार वापस – राज्यों को संघीय शासन या ब्रिटिश भारत की उत्तरवर्ती सरकार (सरकारों) द्वारा विशिष्ट राजनीतिक व्य्वस्था – भारत एवं पाकिस्तारन में जाने का अधिकार
  • कश्मीर के महाराजा हरि सिंह द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच यथास्थिति करार को पसन्द करना – पाकिस्तान के साथ करार पर हस्ताक्षर करते है।
  • भारत के साथ करार पर हस्तााक्षर करने से पहले पाकिस्ता‍न कश्मीर को आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति रोक देता है – यथास्थिति करार का उल्लंघन राज्यारोहण पर बल देने के लिए दबाब की रणनीति
  • दवाब की रणनीति असफल हो जाती है – पाकिस्तान पठान जनजातियों द्वारा कश्मीर पर आक्रमण करने को उकसाता है, उत्प्रेरित करता है और सहायता प्रदान करता है – हरि सिंह भारत से सहायता के लिए अनुरोध करते हैं – अक्टूबर 24, 1947
  • ब्रिटिश भारत का बंटवारा – 1947 सम्प्रभुता के सिद्धान्त के अन्तर्गत ब्रिटिश शासक द्वारा संरक्षित – 560 अर्धस्वतंत्र प्रिंसली स्टेट्स – 1858
  • नेशनल कान्फ्रेंस – सबसे बड़ा लोकप्रिय संगठन भी भारत से अपील करता है।
  • हरि सिंह, भारत के गवर्नर जनरल लार्ड माउण्टतबेटन को कश्मीर समस्या के संबंध में एक पत्र लिखते हैं भारत में विलयन की बात अभिव्यक्त करते हैं- माउण्टरबेटन इसे स्वीसकार कर लेते हैं – 27 अक्टूंबर 1947
  • विलयन – भारत सरकार अधिनियम, 1935 और भारतीय स्वरतंत्रता अधिनियम, 1947 – यदि किसी राज्य शासक द्वारा निष्पादित विलयन के करार पर हस्ताक्षर कर दिए गए है और उसे भारत के गवर्नर जनरल द्वारा स्वीरकार कर लिया गया है तो उस राज्य को भारत अधिराज्य में शामिल हुआ माना जाएगा।
  • विलयन करार में शामिल होने के हरिसिंह के प्राधिकार पर पाकिस्तान ने कोई आपत्ति नहीं की कश्मीर का भारत में विलयन विधिक है।
  • पठान आक्रमणकारियों का विरोध करने के लिए भारत अपनी सेना भेजता है – 27 अक्टूबर 1947

जम्मू कश्मीर में आतंकी हिंसा का स्तर और सुरक्षा की स्थिति – एक आकलन

जम्मू कश्मीर में आतंकी हिंसा का स्तर और सुरक्षा की स्थिति – एक आकलन
  • वर्ष 2007 की तुलना में वर्ष 2008 में हुई घटनाओं की संख्याय में 35% और मारे गए सिविलियनों की संख्या में 42%, मारे गए सुरक्षा बल कार्मिकों की संख्या में 32% की कमी आई।
  • वर्ष 2008 की तुलना में वर्ष 2009 में घटनाओं की संख्या में 30% की, मारे गए सुरक्षा बल कार्मिकों की संख्या में 15% की और मारे गए सिविलियनों की संख्या में 14% की कमी आई।
  • विगत वर्ष की तुलना में वर्ष 2010 (जुलाई 2010 तक) में घटनाओं की संख्या में 11% की और मारे गए सुरक्षा बल कार्मिकों की संख्या में 40% की वृद्धि हुई परन्तु‍ मारे गए सिविलियनों की संख्या में 54% की कमी आई।
  • वर्ष 2008 तक 1428 ग्रेनेड हमले हुए जबकि वर्ष 2007 में ग्रेनेड हमलों की 1033 घटनाए हुई। वर्ष 2009 में केवल 978 ग्रेनेड हमले हुए।
  • वर्ष 2010 के दौरान (जुलाई तक) 28 ग्रेनेड हमले हुए।
  • वर्ष 2008 के दौरान आतंकी घटनाओं का दैनिक औसत 1.93 था जबकि वर्ष 2007 में यह 3.00 रहा। वर्ष 2009 में आतंकी घटनाओं का दैनिक औसत 1.36 रहा।
  • वर्ष 2010 में (जुलाई 2010 तक) आतंकी घटनाओं का दैनिक औसत 1.36 रहा ।

Download GK Notes 

जम्मू-कश्मीर राज्य विधान-मंडल सदस्य (निरर्हता) हटाना) अधिनियम, 1962

  • राज्य विधान सभा के तृतीय आम चुनावों का आयोजन – कांग्रेस सरकार बनी – मार्च 1967
  • चतुर्थ आम चुनावों का आयोजन – जमात – ए- इस्लामी पहली बार आम चुनावों में शामिल हुई – 5 सीटों पर विजय हासिल की – कांग्रेस की सरकार बनी – फरवरी 1972
  • ऐतिहासिक शिमला करार – भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर से जुड़े सभी मुद्दों का हल द्विपक्षीय ढंग से निपटाना – युद्ध विराम रेखा, नियंत्रण रेखा (एल ओ सी) में परिवर्तित 3 जुलाई 1972
  • कश्मीर समझौता – भारत के प्रधानमंत्री – समय को बदला नहीं जा सकता कश्मीरी नेतृत्व – जम्मू एवं कश्मीर राज्य का भारत में विलय कोई मुद्दा नहीं है – फरवरी 1975
  • शेख अब्दुल्ला मुख्य मंत्री बने – जनमत संग्रह फ्रंट का गठन और नेशनल कांफ्रेस में विलय – जुलाई 1975
  • पांचवे आम चुनावों का आयोजन – नेशनल कांफ्रेस सत्ता– में आई – 68% मतदान – जुलाई 1977
  • शेख अब्दुल्ला का निधन – 8 सितम्बर 1982 – पुत्र डा. फारूख अब्दुल्ला ने मुख्य मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की – छठे आम चुनाव मे नेशनल कांफ्रेस को फिर विजय मिली – जून 1983
  • वर्ष 1984 में लोक सभा के आम चुनाव हुए मतदान प्रतिशत 62.72
  • राज्य् में दिनांक 6.9.1986 को राज्यपाल का शासन और बाद में राष्ट्रपति शासन लागू
  • राष्ट्रपति शासन समाप्त और कांग्रेस आई एवं एन सी एफ की गठबंधन सरकार का गठन दिनांक 7.11.1986
  • मार्च, 1987 में राज्य विधान सभा के चुनाव कराए गए जिसमें कांग्रेस और नेशनल कान्फ्रेंस को 76 में से 66 सीटों पर विजय हासिल हुई और गठबंधन सरकार का गठन
  • राज्य सरकार ने त्यागपत्र दे दिया और नवम्बर 1989 में लोक सभा के आम चुनाव कराए गए मतदान प्रतिशत 31.61
  • राज्य में दिनांक 19.1.1990 को राज्यपाल का शासन और बाद में 18.07.1990 को राष्ट्रपति शासन लागू
  • मई, 1996 में लोक सभा के आम चुनाव कराए गए मतदान प्रतिशत 49.02 रहा
  • सितम्बर 1996 में राज्य विधान सभा के चुनाव कराए गए और नेशनल कांफ्रेस ने सरकार बनाई। मतदान प्रतिशत 54.04
  • फरवरी – मार्च 1998 में लोक सभा के आम चुनाव कराए गए मतदान प्रतिशत 44.42
  • सितम्बर – अक्टूबर 1999 में लोकसभा के आम चुनाव कराए गए मतदान प्रतिशत 32.40
  • राज्य में जनवरी – जून 2001 के दौरान पंचायत चुनाव कराए गए मतदान प्रतिशत 53.18
  • 1999 में भी लोक सभा के चुनाव कराए गए जिनमें मतदान प्रतिशत 32.40 रहा।
  • वर्ष 2002 में राज्य विधान सभा के चुनाव कराए गए मतदान प्रतिशत 44.62 रहा। सत्ता रूढ दल नेशनल कांफ्रेंस की करारी हार। राज्य में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी तथा अन्य छोटी-छोटी पार्टियों ने मिलकर नवम्बर 2002 में गठबंधन सरकार बनाई।
  • अप्रैल – मई 2004 में लोक सभा के आम चुनाव कराए गए मतदान प्रतिशत 35.21 रहा
  • जनवरी – फरवरी 2005 में पौर चुनाव कराए गए। मतदान प्रतिशत 48 रहा।
  • अप्रैल 2006 में विधान सभा के चार निर्वाचन क्षेत्रों में उप-चुनाव कराए गए जिनमें मतदान प्रतिशत 62 और 76 रहा जो राज्य का अब तक का सबसे बड़ा मतदान प्रतिशत है।
  • नवम्बर – दिसम्बर 2008 में राज्य विधान मंडल के चुनाव कराए गए मतदान प्रतिशत 61.49 रहा। नेशनल कांफ्रेस ने, अकेली सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनाई।
  • अप्रैल – मई 2009 में लोक सभा के आम चुनाव कराए गए। मतदान प्रतिशत 39.90 रहा।

राज्य में समाज के विभिन्न वर्गों में विश्वास सृजित करने के उपायों पर कार्य समूह -। की रिपोर्ट एवं सिफारिशों के आधार पर प्रधानमंत्री जी ने 25.4.08 को एक व्यापक पैकेज की घोषण की। इसमें शामिल है:

  • राज्य में उग्रवाद एवं आतंकी हिंसा होने पर अपने घरों को छोड़कर गए और इस समय जम्मू और देश के अन्य विभिन्न भागों में रह रहे कश्मीरी प्रवासियों की कश्मी‍र वापसी एवं पुनर्वास के लिए एक एक पैकेज;
  • उग्रवाद के पीडितों को रोजगार के बदले प्रति परिवार को 5 लाख रुपये की एक बारगी नगद प्रतिपूर्ति।
  • उग्रवादी हिंसा में मारे गए सिविलियनों की विधवाओं की पेंशन में वृद्धि;
  • उग्रवादी हिंसा में अनाथ हुए बच्चों को शिक्षा के लिए बिना किसी भेदभाव के वित्तीय सहायता
  • 1947 में पश्चिमी पाकिस्ता‍न से आए शरणार्थियों के लिए एक पैकेज जिसमें उनके बच्चों का व्यावसायिक एंव अन्य शैक्षणिक संस्थानों में दा‍खिला सुलभ बनाना, स्वरोजगार/बिजनेस करने के लिए बिना रेहन के बैंक ऋण दिलाना, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की दक्षता विकास पहल के अन्तर्गत युवकों को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिलाना शामिल है।
  • वर्ष 1947 में पाक अधिकृत कश्मीर से आए शरणार्थियों को भूमि का आबंटन और पुनर्वास संबंधी अन्य उपायों संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए 49 करोड़ रुपये की राशि का पैकेज।

परिदृश्य

  • भारत का अभिन्नर अंग – जम्मू एवं कश्मीमर राज्य भारत के उत्तारी भाग में अवस्थित है राजधानी श्रीनगर (ग्रीष्म कालीन) और जम्मू (शीत कालीन)
  • विश्व के सुन्दरतम स्थानों में से एक – हिमालय की हिमाच्छादित चोटियां और ग्लेशियर, पुरातन नदियां एवं घाटियां, घने सदाबहार वन, ताजी पहाड़ी हवा – धरती पर स्वर्ग के रूप में विख्यात
  • इसकी पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान, उत्तर और पूर्व में चीन और दक्षिणी सीमा पर भारत के पंजाब एवं हिमाचल प्रदेश राज्य हैं।
  • इसके तीन मुख्य भाग हैं – कश्मीर घाटी, जम्मू और लद्दाख/तीनों क्षेत्रों का क्षेत्रफल और जनसंख्या निम्नलिखित है-
क्षेत्र
क्षेत्रफल (वर्गमील)
जनसंख्याल (2001 की जनगणना)
कश्मीर घाटी
8,639
5,476,970
जम्मू क्षेत्र
12,378
4,430,191
लद्धाख क्षेत्र
33,554
236,539
कुल
54,571
10,143,700
  • भाषाएं – कश्मीरी, डोगरी, पहाड़ी, पंजाबी, गोजरी, लद्दाखी या बोधी, बाल्ती, दार्दिक

कश्मीरी प्रवासियों की वापसी एवं पुनर्वास के लिए पैकेज

कश्मीरी प्रवासियों की वापसी एवं पुनर्वास के लिए पैकेज

जम्मू एवं कश्मीर में आतंकी हिंसा/उग्रवाद, खासकर इसके प्रथम चरण में, कश्मीरी पंडित समुदाय के सदस्यों को भारी पैमाने पर कश्मीर घाटी से प्रवास करने के लिए मजबूर किया। पीडित परिवारों को सहायता एवं राहत दिलाने के लिए वित्तीय सहायता/राहत तथा अन्य पहलों के रूप में एक व्यापक नीतिगत ढांचे के अन्तर्गत वर्षों से कई उपाय किए गए हैं जिससे प्रवासी जन घाटी वापस आ जाएंगे। माननीय प्रधानमंत्री जी ने 25-26 अप्रैल 2008 को अपनी कश्मीर यात्रा के दौरान, अन्य बातों के साथ-साथ, घाटी वापस आने वाले कश्मीरी प्रवासियों की वापसी एवं पुनर्वास के लिए एक पैकेज की घोषणा की । इस पैकेज के मुख्या संघटक निम्न्लिखित हैं: आवास

  • पूरी तररह से या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त घरों की मरम्मत/पुनर्निर्माण के लिए 7.5 लाख रुपये प्रति परिवार की दर से सहायता
  • जर्जर/अप्रयुक्त घरों के लिए 2.00 लाख रुपये प्रति परिवार की दर से सहायता
  • 1989 के पश्चात और जम्मू एवं कश्मीर अचल संपत्ति (परिरक्षण, सुरक्षा आर्थिक तंगी में और बिक्री पर नियंत्रण 1997 का 30 मई, 1997 को अधिनियमन होने से पूर्व की अवधि के दौरान अपनी संपत्तियों को बेचने वालों को ग्रुप हाउसिंग सोसायटी में खरीद/निर्माण के लिए 7.5 लाख रुपये प्रति परिवार की दर से सहायता ।

ट्रान्जिट आवास

  • वापस आने वाले प्रवासी परिवारों को अपने घर की मरम्मत कराने/उसका पुन:निर्माण करने की अंतिम अवधि के दौरान ट्रान्जिट आवास उपलब्ध कराया जाएगा। इस उद्देश्य के लिए तीन स्थलों पर ट्रान्जिट आवास बनाने का अनुमोदन किया गया है। वापस आने वाले जो परिवार ट्रान्जिट आवास में नहीं रहते हैं उन्हें किराया और आकस्मिक व्यय उपलब्ध कराया जाए।

विद्यार्थी छात्रवृत्ति

  • प्रवासी परिवारों के बच्चों को 18 वर्ष की उम्र तक (जिस अपवादिक मामलों में 21 वर्षों की उम्र तक बढ़ाया जा सकता है) 750/- रुपये प्रतिमाह प्रति बच्चा की दर से सहायता दी जाएगी। पात्र विद्यार्थियों को जम्मू एवं कश्मीर की पुनर्वास परिषद की स्कीम के अन्तर्गत व्यावसायिक अध्ययन के लिए भी सहायता प्रदान कराई जाएगी।

रोजगार

  • शिक्षित प्रवासी युवकों को राज्य सरकार की सेवा में नौकरी दिलाने और बेरोजगार युवकों को स्वरोजगार के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण दिलाने हेतु वित्तीय सहायता (अनुदान एवं ऋण) देने का निश्चय किया गया है।

कृषकों/बागवानी करने वालों को सहायता

  • कृषि भूमि धारकों को 1 लाख रुपये की एक बारगी वित्तीय सहायता प्रदान कराई जाएगी। बगीचों की बहाली के लिए 5.000 रुपये प्रति कनाल की दर से, अधिकतम 1.5 लाख रुपये के अधीन, सहायता।

ऋणों पर बयाज में छूट

  • कश्मीरी पण्डितों द्वारा घाटी से प्रवास करने से पहले लिए गए ऋण संघटक पर ब्याज से छूट

घाटी वापस आने और इस पैकेज के अन्तर्गत घोषित सुविधाओं का लाभ उठाने के इच्छुक प्रवासी परिवारों को सलाह दी जाती है कि वे अद्योलिखित, निर्धारित प्रपत्र में आवश्यक जानकारी भरकर उसे राहत आयुक्त (प्रवासी) जम्मू के कार्यालय में और प्रधान रेजिडेंट आयुक्त, जम्मू एवं कश्मीर सरकार, नई दिल्लीं के कार्यालय में प्रस्तुत करें।

जम्मू–कश्मीर के जिला

जम्मू–कश्मीर के जिला
  • जम्मू एवं कश्मीर 22 जिलों में विभाजित है और वे हैं जम्मू संभाग में जम्मू , कठुआ, उधमपुर, पुंछ, राजौरी, डोडा, किश्तिवाड़*, रामबन*, रियासी और साम्बा तथा श्रीनगर संभाग में श्रीनगर – बड़गाम, अनन्त्नाग, पुलवामा, बारामूला, कुपवाड़ा, बान्दीयपुरा*, गन्धगरबल*, कुलगाम* और शोफियान तथा लद्दाख क्षेत्र में – कारगिल और लेह।

जम्मू एवं कश्मीर के लिए प्रधानमंत्री की पुन:र्निर्माण योजना

जम्मू एवं कश्मीर के लिए प्रधानमंत्री की पुन:र्निर्माण योजना
  • प्रधानमंत्री ने 17 – 18 नवम्बर 2004 को अपनी जम्मू एवं कश्मीर यात्रा के दौरान, लगभग 24000 करोड़ रुपये के परिव्यय से, जम्मू एवं कश्मीर के लिए एक पुनर्निर्माण योजना की घोषणा की थी जिसमें आर्थिक अवस्थापना का विस्तार करने के उद्देश्य से परियोजनाओं/स्कीामों और आधारभूत सेवाओं का प्रावधान करना, रोजगार एवं आय सृजन का बढ़ावा देना तथा स्थानच्युोत लोगों एवं उग्रवाद से पीडि़त परिवारों को राहत एवं पुनर्वासित करने का प्रावधान शामिल है।
  • इस पुनर्निर्माण योजना में परिकल्पित परियोजनाओं/स्कीमों का कार्यान्वयन संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा राज्य सरकार के साथ परामर्श करके किया जाता है।
  • इस पुनर्निर्माण योजना में अर्थव्यवस्था के 11 सेक्टरों को शामिल करते हुए 67 परियोजनाएं/स्कीमें शामिल हैं। उपर्युक्त 67 परियोजनाओं/स्कीमों में से 31 परियोजनाओं/स्कीमों पर कार्रवाई पूरी कर ली गई है। शेष 36 परियोजनाओं/स्कीमों में से 33 परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न स्तरों पर है और 3 तैयारी स्तरों पर हैं।
  • पुन:र्निर्माण परियोजना के कार्यान्वयन की प्रगति की गृह मंत्रालय द्वारा मानिटरिंग की जा रही है।

इतिहास एवं सभ्यता

इतिहास एवं सभ्यता
  • युगों से हिन्दुत्व, बौद्ध और इस्लाम के धार्मिक एवं सांस्कृतिक प्रभाव का संगम
  • प्राचीनतम लिखित विस्तृत इतिहास – कल्हलण रचित – राजतरंगिणी – 12 वीं शताब्दीस ए.डी.
  • अशोक महान के साम्राज्य का एक भाग रहा – तीसरी शताब्दी – बौद्ध धर्म का आगमन – कुषाणों के शासनकाल में पुष्पित – पल्लभवित
  • उज्जैन के विक्रमादित्य के अधीन – 6वीं शताब्दी – हिन्दुत्व की वापसी – ललितादित्यग- हिन्दू शासक – 697 से 738 ईस्वी तक – अवन्तिवर्मन ललितादित्यक का उत्तरराधिकारी – श्रीनगर के निकट अनन्तिपुरम स्थाकपित किया।
  • गणपत्यार एवं खीर भवानी मन्दिर – महाभारत युग
  • गिलगित हस्त लिपि – प्राचीन पाली (बौद्ध) लिपि
  • त्रिखा शास्त्रर – कश्मीर में उत्पबत्ति – सहिष्णुतता दर्शन
  • मुस्लिम शासन – 14वीं शताब्दी से – पर्सिया से सूफी इस्लाम का आगमन
  • ऋषि परम्परा – त्रिखा शास्त्र एवं सूफी इस्लाम का संगम – कश्मीरियत की शुरूआत – भारतीय लोकाचार न कि रूढिवादी की सांस्कृतिक प्रशाखा
  • मुगल अधिपत्य‍ – अकबर महान 1589 ईस्वी
  • मुगल साम्राज्य का विखण्ड्न होने के पश्चात पठानों द्वारा अधिपत्य – अज्ञात युग
  • पंजाब के शासक महाराजा रणजीत सिंह द्वारा पठानों को हराना, – 1814 ईस्वी
  • अंग्रेजों के हाथों सिखों की हार – लाहौर की सन्धि – 1846 ईस्वी – ब्रिटिश शासको द्वारा अधिष्ठा्पित – गुलाब सिंह – कश्मीर का स्वतंत्र शासक बना
  • ब्रिटिश राजनीतिक एजेन्ट के अधीन गिलगित एजेन्सी – कश्मीर न्यायालय से गिलगित क्षेत्र
  • अंग्रेजों द्वारा जम्मू – कश्मीर में रीजेन्टस की नियुक्ति
  • गुलाब सिंह के प्रपोत्र हरि सिंह 1925 ई0 में राजा बने – उनका शासन 1947 तक रहा।

कश्मीरी प्रवासियों के लिए दो कमरों वाले टेन्ट्स का निर्माण

कश्मीरी प्रवासियों के लिए दो कमरों वाले टेन्ट्स का निर्माण
  • प्रधानमंत्री की पुन:निर्माण योजना, 2004 के अन्तर्गत केन्द्र सरकार ने कश्मीरी प्रवासियों के लिए जम्मू् में दो कमरों वाले 5242 टेन्ट्स बनाने के लिए एक परियोजना को मंजूरी दी थी। इस परियोजना की कुल लागत 345 करोड़ रुपये है और इसके व्यय को योजना आयोग द्वारा निधियां प्रदान कराई जा रही है। जम्मू में पुरखू मुथी और नगरोटा में दो कमरों वाले 1024 फ्लैट्स बनाने आरंभ किए गए, पहला चरण पूर्ण हुआ और आबंटन किया गया, नगोरोटा के निकट जगाती में बाकी 4218 फ्लैटों का निर्माण जिन्हें सितम्बर 2009 तक पूरा करना निर्धारित था, के कार्य में विलम्ब हुआ है। संशोधित योजना के अनुसार पर्याप्त संख्या में अर्थात 3000 फ्लैटों का निर्माण कार्य पूरा कर लिया जाएगा और सितम्बर 2010 तक आबंटन कर दिया जाएगा तथा शेष कार्य दिसम्बर 2010 तक पूरा कर लिया जाएगा।

कश्मीर क्षेत्र मुख्य रूप से पहाड़ी है, जिसमें गहरी, संकरी घाटियाँ और ऊँची, बंजर पठार हैं। दक्षिण-पश्चिम में अपेक्षाकृत निचले स्तर के जम्मू और पुंछ (पुंछ) के मैदानों को घने जंगलों वाली हिमालय की तलहटी और छोटे हिमालय की पीर पंजाल रेंज बड़े, अधिक उपजाऊ और अधिक घनी आबादी से अलग करती है।उत्तर में कश्मीर की घाटी । लगभग 5,300 फीट (1,600 मीटर) की ऊँचाई पर स्थित घाटी, ऊपरी झेलम नदी के बेसिन का निर्माण करती है और इसमें श्रीनगर शहर शामिल है । जम्मू और घाटी भारतीय प्रशासित जम्मू और कश्मीर में स्थित हैं, जबकि पुंछ तराई बड़े पैमाने पर आज़ाद कश्मीर में हैं।

काराकोरम रेंज: K2 (माउंट गॉडविन ऑस्टेन)

घाटी के उत्तर पूर्व की ओर बढ़ते हुए महान का पश्चिमी भाग हैहिमालय , जिसकी चोटियाँ 20,000 फीट (6,100 मीटर) या उससे अधिक की ऊँचाई तक पहुँचती हैं। उत्तर पूर्व में दूर लद्दाख का ऊंचा, पहाड़ी पठारी क्षेत्र है , जो उत्तर-पश्चिम की ओर बहने वाली सिंधु नदी की ऊबड़-खाबड़ घाटी से कटता है । हिमालय से मोटे तौर पर उत्तर-पश्चिम की ओर काराकोरम रेंज की ऊँची चोटियाँ फैली हुई हैं , जिनमें K2 (माउंट गॉडविन ऑस्टेन) भी शामिल है, जो माउंट एवरेस्ट के बाद 28,251 फीट (8,611 मीटर) दुनिया की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है ।

यह क्षेत्र भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई टेक्टोनिक प्लेट के सबसे उत्तरी छोर पर स्थित है। के नीचे उस प्लेट का सबडक्शनयूरेशियन प्लेट – वह प्रक्रिया जो लगभग 50 मिलियन वर्षों से हिमालय का निर्माण कर रही है – ने कश्मीर में भारी भूकंपीय गतिविधि उत्पन्न की है। एक विशेष रूप से शक्तिशाली2005 में आए भूकंप ने मुजफ्फराबाद को तबाह कर दिया, जो आज़ाद कश्मीर का प्रशासनिक केंद्र है, और भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य (अब जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश) और पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत (अब खैबर पख्तूनख्वा ) के कुछ हिस्सों सहित आस-पास के इलाके।

इस क्षेत्र की जलवायु दक्षिण-पश्चिमी तराई में उपोष्णकटिबंधीय से लेकर उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में अल्पाइन तक है। वर्षा परिवर्तनशील है; यह उन क्षेत्रों में भारी है जो मानसूनी हवाओं द्वारा महान पर्वतमाला के पश्चिम और दक्षिण तक पहुँच सकते हैं और उत्तर और पूर्व में विरल हैं जहाँ महाद्वीपीय स्थितियाँ प्रबल होती हैं।

जम्मू, जम्मू और कश्मीर, भारत: रघुनाथ मंदिर परिसर

लेह, भारत: लद्दाख के राजाओं का महल

जम्मू क्षेत्र के लोग पश्चिम में मुस्लिम और पूर्व में हिंदू हैं और हिंदी , पंजाबी और डोगरी बोलते हैं । कश्मीर घाटी और पाकिस्तानी क्षेत्रों के निवासी ज्यादातर मुस्लिम हैं और उर्दू और कश्मीरी बोलते हैं । विरल रूप से बसा हुआ लद्दाख क्षेत्र और उससे आगे तिब्बती लोगों का घर है जो बौद्ध धर्म का पालन करते हैं और बलती और लद्दाखी बोलते हैं।

1947 तक का क्षेत्र

किंवदंती के अनुसार , कश्यप नाम के एक तपस्वी ने एक विशाल झील से कश्मीर को शामिल करने वाली भूमि को पुनः प्राप्त किया । उस भूमि को कश्यपमार और बाद में कश्मीर के नाम से जाना जाने लगा। तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में मौर्य सम्राट अशोक द्वारा बौद्ध धर्म की शुरुआत की गई थी , और 9वीं से 12वीं शताब्दी तक इस क्षेत्र ने हिंदू संस्कृति के केंद्र के रूप में काफी प्रमुखता हासिल की थी । 1346 तक हिंदू राजवंशों के उत्तराधिकार ने कश्मीर पर शासन किया, जब यह मुस्लिम शासन के अधीन आया। मुस्लिम काल लगभग पाँच शताब्दियों तक चला, जब 1819 में कश्मीर को पंजाब के सिख साम्राज्य में मिला लिया गया और फिर1846 में जम्मू का डोगरा साम्राज्य।

इस प्रकार, कश्मीर क्षेत्र अपने समकालीन रूप में 1846 से शुरू होता है, जब लाहौर और अमृतसर की संधियों द्वारा प्रथम के समापन परसिख युद्ध , राजागुलाब सिंह , जम्मू के डोगरा शासक, को “सिंधु नदी के पूर्व की ओर और रावी नदी के पश्चिम की ओर” एक व्यापक लेकिन कुछ हद तक अ-परिभाषित हिमालयी राज्य का महाराजा (सत्तारूढ़ राजकुमार) बनाया गया था। इस रियासत के निर्माण में मदद मिलीअंग्रेजों ने 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध के दौरान सिंधु और उससे आगे की ओर अपने उत्तरी भाग की रक्षा की। इस प्रकार राज्य एक जटिल राजनीतिक बफर जोन का हिस्सा बन गयाब्रिटिश अपने भारतीय साम्राज्य और उत्तर में रूस और चीन के साम्राज्यों के बीच । गुलाब सिंह के लिए, इन पर्वतीय क्षेत्रों के शीर्षक की पुष्टि ने पंजाब के सिख साम्राज्य की उत्तरी सीमा के साथ-साथ छोटे पहाड़ी राज्यों के बीच अभियान और कूटनीतिक बातचीत की लगभग एक चौथाई सदी की परिणति को चिह्नित किया।

19वीं शताब्दी में क्षेत्र की सीमाओं को परिभाषित करने के लिए कुछ प्रयास किए गए थे, लेकिन सटीक परिभाषा कई मामलों में देश की प्रकृति और स्थायी मानव बंदोबस्त की कमी वाले विशाल इलाकों के अस्तित्व से विफल रही। सुदूर उत्तर में, उदाहरण के लिए, महाराजा का अधिकार निश्चित रूप से काराकोरम रेंज तक फैला हुआ था, लेकिन इससे परे मध्य एशिया के तुर्किस्तान और झिंजियांग क्षेत्रों की सीमाओं पर एक विवादित क्षेत्र था , और सीमा का कभी भी सीमांकन नहीं किया गया था। सीमा के संरेखण के बारे में इसी तरह के संदेह थे जहां यह उत्तरी क्षेत्र पूर्व में अक्साई चिन के नाम से जाना जाने वाला क्षेत्र था , और बेहतर ज्ञात और अधिक सटीक रूप से चित्रित किया गया था ।तिब्बत के साथ सीमा, जिसने सदियों तक लद्दाख क्षेत्र की पूर्वी सीमा के रूप में सेवा की थी। 19वीं शताब्दी के अंतिम दशक में उत्तर-पश्चिम में सीमाओं का पैटर्न स्पष्ट हो गया, जब ब्रिटेन ने अफगानिस्तान और रूस के साथ बातचीत में पामीर क्षेत्र में सीमाओं का सीमांकन किया। उस समय गिलगित, जिसे हमेशा कश्मीर का हिस्सा समझा जाता था, रणनीतिक कारणों से 1889 में एक ब्रिटिश एजेंट के तहत एक विशेष एजेंसी के रूप में गठित किया गया था।

कश्मीर समस्या

जब तक यूनाइटेड किंगडम द्वारा क्षेत्र के अस्तित्व की गारंटी दी गई थी, तब तक इसकी संरचना और इसकी परिधि में कमजोरियों का कोई बड़ा परिणाम नहीं था, लेकिन 1947 में दक्षिण एशिया से ब्रिटिश वापसी के बाद वे स्पष्ट हो गए। भारत द्वारा सहमत शर्तों के अनुसार और भारतीय उपमहाद्वीप के विभाजन के लिए पाकिस्तान , रियासतों के शासकों को स्वतंत्र रहने के लिए पाकिस्तान या भारत या कुछ आरक्षणों के साथ चुनने का अधिकार दिया गया था।कश्मीर के महाराजा, हरि सिंह, शुरू में मानते थे कि अपने निर्णय में देरी करके वे कश्मीर की स्वतंत्रता को बनाए रख सकते हैं, लेकिन, उन घटनाओं की एक ट्रेन में फंस गए, जिसमें राज्य की पश्चिमी सीमाओं पर उनके मुस्लिम विषयों के बीच एक क्रांति और हस्तक्षेप शामिल था । पश्तून आदिवासियों के, उन्होंने हस्ताक्षर किएअक्टूबर 1947 में भारतीय संघ में प्रवेश का साधन। यह पाकिस्तान द्वारा हस्तक्षेप का संकेत था, जो राज्य को पाकिस्तान का एक स्वाभाविक विस्तार मानता था , और भारत द्वारा, जो परिग्रहण के कार्य की पुष्टि करने का इरादा रखता था। 1948 के दौरान स्थानीय युद्ध जारी रहा और जनवरी 1949 में युद्ध विराम के रूप में संयुक्त राष्ट्र की हिमायत के माध्यम से समाप्त हो गया। उस वर्ष जुलाई में, भारत और पाकिस्तान ने संघर्ष विराम रेखा को परिभाषित किया – नियंत्रण रेखा – कि क्षेत्र के प्रशासन को विभाजित किया। उस समय एक अस्थायी उपाय के रूप में माना जाता है, उस रेखा के साथ विभाजन अभी भी मौजूद है।

संकल्प और वैधीकरण के प्रयास

कश्मीर की घाटी

हालांकि 1947 के विभाजन से पहले कश्मीर में एक स्पष्ट मुस्लिम बहुमत था, और पंजाब के मुस्लिम-बहुल क्षेत्र के साथ इसकी आर्थिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक निकटता को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया जा सकता था, विभाजन के दौरान और बाद में राजनीतिक विकास के परिणामस्वरूप विभाजन हुआ क्षेत्र । _ पाकिस्तान के पास ऐसा क्षेत्र बचा था, जो मूल रूप से मुस्लिम चरित्र का होने के बावजूद, कम आबादी वाला, अपेक्षाकृत दुर्गम और आर्थिक रूप से अविकसित था। सबसे बड़ा मुस्लिम समूह, जो कश्मीर की घाटी में स्थित है और पूरे क्षेत्र की आधी से अधिक आबादी का अनुमान है, भारतीय प्रशासित क्षेत्र में स्थित है, झेलम घाटी मार्ग के माध्यम से इसके पूर्व आउटलेट अवरुद्ध हैं।

बाद में कश्मीर पर विवाद को समाप्त करने के लिए कई प्रस्ताव दिए गए, लेकिन 1962 में लद्दाख में चीनी घुसपैठ के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया और 1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया। जनवरी 1966 की शुरुआत में ताशकंद (उज़्बेकिस्तान) में दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षरित एक समझौता , जिसमें उन्होंने शांतिपूर्ण तरीकों से विवाद को समाप्त करने का प्रयास करने का संकल्प लिया। 1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के हिस्से के रूप में दोनों के बीच फिर से लड़ाई हुई, जिसके परिणामस्वरूपबांग्लादेश । 1972 में भारतीय शहर शिमला में हस्ताक्षरित एक समझौते ने आशा व्यक्त की कि अब से इस क्षेत्र के देश एक दूसरे के साथ शांति से रहने में सक्षम होंगे। ऐसा व्यापक रूप से माना जाता थापाकिस्तान के तत्कालीन प्रधान मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो ने वास्तविक सीमा के रूप में नियंत्रण रेखा को मौन रूप से स्वीकार कर लिया होगा , हालांकि बाद में उन्होंने इससे इनकार किया। 1977 में भुट्टो को गिरफ्तार करने और 1979 में फांसी दिए जाने के बाद, कश्मीर मुद्दा एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष का प्रमुख कारण बन गया।

कई आंदोलनों ने कश्मीर के पाकिस्तान के साथ विलय या भारत और पाकिस्तान दोनों से क्षेत्र के लिए स्वतंत्रता की मांग की है। इन आंदोलनों का मुकाबला करने और संघर्ष विराम रेखा के साथ पाकिस्तानी सेना का सामना करने के लिए, भारतीय केंद्र सरकार ने वहां एक मजबूत सैन्य उपस्थिति बनाए रखी है, खासकर 1980 के दशक के अंत से। 2019 तक सैन्य उपस्थिति का उद्देश्य बौद्ध लद्दाख के लिए भारतीय केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा पाने वाले आंदोलनों से जम्मू और कश्मीर राज्य की प्रशासनिक अखंडता का समर्थन करना था।

उग्रवाद और प्रतिवाद
लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से प्रगति की कमी से मोहभंग होने पर, 1980 के दशक के अंत में इस क्षेत्र में उग्रवादी संगठन उभरने लगे। उनका उद्देश्य भारतीय संघ सरकार के नियंत्रण का विरोध करना था। 1990 के दशक के प्रारंभ तक उग्रवाद एक उग्रवाद के रूप में विकसित हो गया था, और भारत एक कार्रवाई अभियान में लगा हुआ था। 1990 के दशक के मध्य में लड़ाई की कठोरता समाप्त हो गई, हालांकि कभी-कभार हिंसा होती रही।

पश्चिमी का कारगिल क्षेत्रलद्दाख अक्सर सीमा संघर्ष का स्थल रहा है, जिसमें 1999 में एक गंभीर घटना भी शामिल है। उस वर्ष मई में पाकिस्तान ने कारगिल सेक्टर में तोपखाने की गोलाबारी तेज कर दी थी। इस बीच, भारतीय सेना ने पाया कि आतंकवादियों ने पाकिस्तान की ओर से भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी और कारगिल क्षेत्र के भीतर और पश्चिम में ठिकाने बना लिए थे। घुसपैठियों और भारतीय सेना के बीच तीव्र लड़ाई हुई और दो महीने से अधिक समय तक चली। भारतीय सेना नियंत्रण रेखा के भारत की ओर के अधिकांश क्षेत्र पर कब्जा करने में सफल रही, जिस पर घुसपैठियों का कब्जा था। शत्रुता अंत में समाप्त हो गई जब पाकिस्तान के प्रधान मंत्री नवाज शरीफ ने घुसपैठियों को पीछे हटने का आश्वासन दिया।

हालांकि, नियंत्रण रेखा पर गोलाबारी 21वीं सदी की शुरुआत में रुक-रुक कर जारी रही, जब तक कि 2004 में संघर्ष विराम समझौता नहीं हो गया। क्षेत्र में तनाव बाद में कम हो गया, और भारत और पाकिस्तान ने सामान्य रूप से अधिक सौहार्दपूर्ण संबंध और अधिक क्षेत्रीय सहयोग की मांग की। श्रीनगर के बीच 2005 में सीमित यात्री बस सेवा शुरू हुईऔर सीमा के दोनों ओर मुजफ्फराबाद, और उस वर्ष के अंत में इस क्षेत्र में विनाशकारी भूकंप के बाद, भारत और पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा के साथ कई बिंदुओं पर बचे हुए लोगों और राहत आपूर्ति वाले ट्रकों को पार करने की अनुमति दी। इसके अलावा, 2008 में दोनों देशों ने 1947 के विभाजन के बाद पहली बार कश्मीर क्षेत्र के माध्यम से सीमा पार व्यापार लिंक खोले; स्थानीय रूप से उत्पादित सामान और निर्माण करने वाले ट्रक श्रीनगर और मुजफ्फराबाद के बीच और रावलकोट, पाकिस्तान और पंच , भारत के बीच चलने लगे।

इन अग्रिमों के बावजूद, इस क्षेत्र में समय-समय पर तनाव जारी रहा है। 2008 में श्रीनगर के पूर्व में अमरनाथ गुफा मंदिर में जाने वाले हिंदू तीर्थयात्रियों द्वारा उपयोग की जाने वाली भूमि के एक टुकड़े पर नियंत्रण को लेकर और फिर 2010 में भारतीय सैनिकों द्वारा तीन पाकिस्तानी ग्रामीणों को मारने के बाद लंबे समय तक हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए, उनका दावा था कि वे उग्रवादी थे जो नियंत्रण रेखा के पार घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे थे। . एक बाद की जांच से पता चला कि सैनिकों ने वास्तव में लोगों को इलाके में बहला फुसला कर ले गए और ठंडे खून में उनकी हत्या कर दी।

हिंदू राष्ट्रवादी के बाद अशांति का एक और चक्र शुरू हुआभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 2014 में पूरे भारत में चुनावों में जीत हासिल की। ​​पार्टी ने राष्ट्रीय विधानमंडल में एकमुश्त बहुमत हासिल किया और नीतियों को बढ़ावा देने के लिए देश भर में नीतियों को आगे बढ़ाना शुरू किया।हिंदुत्व (“हिंदू-नेस”)। भाजपा, जो भारत के साथ कश्मीर के संघ का पुरजोर समर्थन करती थी, जम्मू और कश्मीर विधान सभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई थी और थोड़ी बड़ी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के साथ एक एकता सरकार बनाई थी, जिसका मंच स्वयं के कार्यान्वयन पर केंद्रित था। -कश्मीर में राज। हिंदुत्व के रूप मेंऔर भाजपा की भारत समर्थक नीतियों ने क्षेत्र की मुख्य रूप से मुस्लिम आबादी की चिंताओं को हवा दी, कश्मीर में अशांति देखी गई। जुलाई 2016 में भारतीय सुरक्षा बलों के एक ऑपरेशन में एक इस्लामी आतंकवादी समूह के कमांडर के मारे जाने के बाद बढ़ते तनाव ने दंगों का रूप ले लिया। भाजपा के प्रभुत्व वाली भारत की केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले के रूप में राज्य पर बढ़ते नियंत्रण का दावा करना शुरू कर दिया और उग्रवादियों पर कार्रवाई शुरू कर दी। 2018 के अंत में केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर की सरकार को भंग कर दिया और भाजपा द्वारा राज्य के एकता गठबंधन को छोड़ने और उसके पतन का कारण बनने के बाद राज्य का प्रत्यक्ष शासन शुरू किया।

कश्मीर ने फरवरी 2019 में दशकों में अपने सबसे बड़े घर्षण का अनुभव किया। 14 फरवरी को aएक उग्रवादी अलगाववादी समूह से जुड़े आत्मघाती हमलावर ने भारत के केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के 40 सदस्यों को मार डाला, जो तीन दशकों में भारतीय सुरक्षा बलों पर सबसे घातक हमला था। एक कठिन चुनावी चक्र के करीब आने के साथ, भारत की भाजपा की अगुआई वाली सरकार को अपने समर्थकों से बलपूर्वक कार्रवाई करने के लिए दबाव का सामना करना पड़ा। कुछ दिनों बाद भारत ने पांच दशकों में पहली बार कश्मीर की नियंत्रण रेखा के पार लड़ाकू जेट भेजे और बाद में दावा किया कि उसने आतंकवादी समूह के सबसे बड़े प्रशिक्षण शिविर के खिलाफ हवाई हमले किए हैं। पाकिस्तान ने दावे का खंडन करते हुए कहा कि जेट विमानों ने एक खाली मैदान पर हमला किया था। अगले दिन, पाकिस्तान ने अपने हवाई क्षेत्र में दो भारतीय जेट विमानों को मार गिराया और एक पायलट को पकड़ लिया। फिर भी, उग्रता के बावजूद, कई विश्लेषकों का मानना ​​था कि भारत और पाकिस्तान दोनों का इरादा वृद्धि से बचने का था। इसके बाद पाकिस्तानअपने देश में उग्रवादियों पर कार्रवाई की , गिरफ़्तारी जारी की, बड़ी संख्या में धार्मिक स्कूलों को बंद किया, और अपने मौजूदा कानूनों को अद्यतन करने का वादा किया। कुछ महीने बाद भाजपा ने भारत के चुनावों में शानदार जीत हासिल की, संसद के निचले कक्ष में अपने प्रतिनिधित्व का विस्तार किया।

जैसा कि भाजपा ने जम्मू और कश्मीर में अपने बलपूर्वक धक्का देना जारी रखा, अगस्त में केंद्र सरकार ने राज्य में अपनी सैन्य उपस्थिति का निर्माण किया और कुछ ही दिनों में वहां अपने प्रत्यक्ष नियंत्रण को औपचारिक रूप देने के लिए कार्रवाई की। एक संवैधानिक प्रावधान का शोषण करते हुए, जिसने केंद्र सरकार को जम्मू-कश्मीर को एकीकृत करने की अनुमति दी, जो अब तक निर्वाचित निकाय के अनुमोदन पर नहीं है, इसने जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता को निलंबित कर दिया और भारत के संविधान को पूरी तरह से क्षेत्र में लागू कर दिया। इसने अक्टूबर में राज्य को एक केंद्र शासित प्रदेश में डाउनग्रेड करने के लिए कानून पारित किया – जिससे केंद्र सरकार को अपने शासन पर पूर्ण नियंत्रण की अनुमति मिली – और लद्दाख क्षेत्र को अपने स्वयं के एक अलग केंद्र शासित प्रदेश में विभाजित कर दिया।

चीनी हित

चीन ने पूर्वोत्तर कश्मीर में ब्रिटिश-बातचीत सीमा समझौते को कभी स्वीकार नहीं किया था। 1949 में चीन में साम्यवादी अधिग्रहण के बाद भी यही स्थिति बनी रही, हालाँकि नई सरकार ने भारत से – बिना सफलता के – सीमा के संबंध में बातचीत शुरू करने के लिए कहा। तिब्बत में चीनी अधिकार स्थापित होने और झिंजियांग में फिर से स्थापित होने के बाद , चीनी सेना लद्दाख के उत्तरपूर्वी हिस्सों में घुस गई। यह मुख्य रूप से किया गया था क्योंकि इसने उन्हें सेना के माध्यम से एक सैन्य सड़क बनाने की अनुमति दी थीझिंजियांग और पश्चिमी तिब्बत के बीच बेहतर संचार प्रदान करने के लिए अक्साई चिन पठार क्षेत्र (1956-57 में पूरा); इसने चीन को भारत और तिब्बत के बीच के क्षेत्र में दर्रों का नियंत्रण भी दिया। भारत द्वारा इस सड़क की देर से खोज के कारण दोनों देशों के बीच सीमा पर संघर्ष हुआ, जिसकी परिणति अक्टूबर 1962 के चीन-भारत युद्ध में हुई। संघर्ष के बाद से चीन ने लद्दाख के उत्तरपूर्वी हिस्से पर कब्जा कर लिया है। भारत ने इस क्षेत्र में लद्दाखी सीमा के संरेखण पर चीन के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया, और इस घटना ने दोनों देशों के बीच एक कूटनीतिक दरार के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया जो 1980 के दशक के अंत में ही ठीक होना शुरू हुआ। बाद के दशकों में, चीन ने भारत के साथ अपने संबंधों को सुधारने के लिए काम किया, लेकिन विवादित लद्दाख सीमा का कोई समाधान नहीं हुआ।

More Related PDF Download

Maths Topicwise Free PDF >Click Here To Download
English Topicwise Free PDF >Click Here To Download
GK/GS/GA Topicwise Free PDF >Click Here To Download
Reasoning Topicwise Free PDF >Click Here To Download
Indian Polity Free PDF >Click Here To Download
History  Free PDF > Click Here To Download
Computer Topicwise Short Tricks >Click Here To Download
EnvironmentTopicwise Free PDF > Click Here To Download
SSC Notes Download > Click Here To Download

Topic Related PDF Download

Download pdf

pdfdownload.in will bring you new PDFs on Daily Bases, which will be updated in all ways and uploaded on the website, which will prove to be very important for you to prepare for all your upcoming competitive exams.

The above PDF is only provided to you by PDFdownload.in, we are not the creator of the PDF, if you like the PDF or if you have any kind of doubt, suggestion, or question about the same, please send us on your mail. Do not hesitate to contact me. [email protected] or you can send suggestions in the comment box below.

Please Support By Joining Below Groups And Like Our Pages We Will be very thankful to you.

Author: Deep