चंदेल वंश के शासक : यशोवर्मन, महाराजाधिराज धंग, परमाल
Hello Aspirants,
चंदेल वंश के शासकों में से यशोवर्मन, महाराजाधिराज धंग और परमाल उल्लेखनीय थे।
यशोवर्मन (चांदेल राजा) – यशोवर्मन चंदेल वंश का सबसे प्रसिद्ध शासकों में से एक थे। उन्होंने 925 ईसापूर्व से 950 ईसापूर्व तक शासन किया था। उन्होंने महुआ पर अपनी राजधानी स्थापित की थी।
महाराजाधिराज धंग (चंदेल राजा) – धंग चंदेल वंश का एक अन्य प्रसिद्ध शासक था। उन्होंने 950 ईसापूर्व से 1008 ईसापूर्व तक शासन किया था। उनके शासनकाल में कलिंग युद्ध हुआ था जिसमें उन्हें विजय प्राप्त हुई थी।
परमाल (चंदेल राजा) – परमाल चंदेल वंश का शासक था जो 11वीं सदी के आसपास शासन करता था। उन्होंने खजुराहो में शंकर मंदिर का निर्माण करवाया था जो अब भी दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
Download GK Notes
- Vajiram and Ravi Polity Handwritten Notes PDF
- Vision IAS Polity Notes PDF In Hindi
- laxmikant polity handwritten notes pdf in hindi Download
- Drishti IAS Indian Polity notes PDF in Hindi
- Indian Polity Handwritten Notes in Hindi PDF Download
- Vision IAS Indian Geography Notes PDF In Hindi
- Mahesh Barnwal Geography Book in Hindi
- Drishti IAS Indian Geography notes PDF in Hindi
- Ankur Yadav Handwritten Notes PDF Download
- Alok Ranjan Geography Handwritten Notes PDF Download
- Khan Sir History Notes PDF Download In Hindi
- Vision IAS History Notes PDF Free Download
- Drishti IAS Indian History Notes PDF In Hindi
- Modern History of India Notes PDF In English
- Indian history notes pdf download In Hindi
- History of Medieval India by Satish Chandra PDF Download
चंदेल वंश (Chandela Dynasty) के शासक –
चंदेल शासकों का उदय आधुनिक बुंदेलखंड क्षेत्र में 9 वीं सदी में हुआ था। चंदेल वंश की स्थापना 831 ईo में नन्नुक ने की थी। बुंदेलखंड को ही पहले जेजाभुक्ति के नाम से जाना जाता था। नन्नुक के पौत्र जयसिंह के नाम पर इसका नाम जेजाभुक्ति पड़ा था। इनकी राजधानी खजुराहो थी। चंदेल शासकों ने ही सर्वप्रथम हिंदी का प्रयोग अपने लेखों में किया था। लेखों में इनकी उत्पत्ति चन्द्रमा से बताई गयी है। पहले चंदेल शासक प्रतिहारों के सामंत थे। इस वंश का अगला शासक हर्ष बना। इसके समय चंदेल स्वतन्त्र व शक्तिशाली राज्य था परन्तु अब भी ये प्रतिहारों के अधीन थे। इसने क्षितिपाल (महीपाल) को कन्नौज की गद्दी पर पुनः स्थापित किया।
यशोवर्मन –
इसने सर्वप्रथम कन्नौज (प्रतिहार) पर आक्रमण किया। इसके बाद राष्ट्रकूटों से कालिंजर का दुर्ग जीता। इसने खजुराहो के प्रसिद्ध विष्णु मंदिर (चतुर्भुज मंदिर) का निर्माण कराया। इसके अतिरिक्त इसने एक विशाल जलाशय का भी निर्माण कराया।
महाराजाधिराज धंग –
इसी के समय चंदेल शासक प्रतिहारों की अधीनता से मुक्त हुए। इसका प्रधानमंत्री प्रभास और प्रधान न्यायाधीश भट्टयशोधर था। इसने प्रारंभ में अपनी राजधानी कालिंजर को बनाया। इसके बाद खजुराहो को राजधानी बनाया। इसने भटिण्डा के शाही शासक जयपाल को सुबुक्तगीन के विरुद्ध सैन्य सहायता भेजी। खजुराहो के अधिकतर मंदिरों का निर्माता यही था। इसने खजुराहों में जैन समुदाय के लोगों को भी मंदिर बनाने की अनुमति दी। इसने ब्राह्मणो को भूमि दान दी और उन्हें उच्च पदों पर नियुक्त किया। धंग की सबसे बड़ी उपलब्धि ग्वालियर विजय थी। अंत में इसने प्रयाग में जल समाधि ले ली। इसके बाद इसका पुत्र गण्ड शासक बना। उसके बाद उसका पुत्र विद्याधर शासक बना।
विद्याधर (1019-29 ईo) –
यह चंदेल शासकों में सर्वाधिक शक्तिशाली था। इसने प्रतिहार नरेश राज्यपाल के ऊपर आक्रमण कर उसे मार डाला। क्योंकि वह महमूद गजनबी से युद्ध करने के वजाय भाग गया था। महमूद गजनबी ने इसी के समय चन्देलों पर भी आक्रमण किया। युद्ध पूर्व रात्रि को ही विद्याधर युद्धभूमि से चला गया। परन्तु बाद में दोनों में संधि हो गयी। विद्याधर ने परमार नरेश भोज और कलचुरी नरेश गांगेय देव को भी पराजित किया था। मुस्लिम लेखों में इसका उल्लेख नन्द व विदा के नाम से किया गया है।
इसके बाद विजयपाल, देववर्मन, कीर्तिवर्मन, मदन वर्मा क्रमशः शासक बने। मदन वर्मा के सिक्कों का ढेर रीवा से प्राप्त हुआ है।
परमर्दिदेव / परमाल –
परमर्दिदेव चंदेल वंश का अंतिम महान शासक था। इसकी उपाधि दशाणिधपति थी। चंदेल सेना के दो महान वीर सेनानी आल्हा और ऊदल इसी के समय हुए। 1182 ईo में पृथ्वीराज ने इस पर आक्रमण कर महोबा पर अधिकार कर लिया। 1203 ईo में कुतुबुद्दीन ऐबक परमाल को पराजित कर कालिंजर के किले पर अधिकार कर लिया। अंत में 1205 ईo में चंदेल राज्य को दिल्ली सल्तनत में मिला लिया गया।
विजयपाल –
विजयपाल भारत के इतिहास में एक प्रसिद्ध शासक थे जो 11वीं सदी के उत्तरी भारत में राज्य करते थे। उन्होंने गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों पर शासन किया था। विजयपाल को घोरियों के आक्रमण के दौरान एक प्रख्यात योद्धा और राजनेता के रूप में जाना जाता है।
विजयपाल के परिवार का इतिहास पुराने समय से ही है। उनके पिता भी एक शासक थे और उनके दादा राजा बोज कृष्ण थे। उनका राज्य भोजपुरी क्षेत्र में था, जो अब मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच स्थित है।
विजयपाल ने अपने शासनकाल में अनेक युद्धों में भाग लिया। उन्होंने घोरियों के साथ लड़ाई की और इससे पहले उन्होंने कई अन्य संघर्षों में भी हिस्सा लिया था। उनके राज्य का एक महत्वपूर्ण शहर कानौज था जो उत्तर प्रदेश में स्थित है। उन्होंने अपने राज्य को समृद्ध और शांतिपूर्ण बनाने के लिए विभिन्न विकास कार्यक्रम शुरू किए थे।
देववर्मन –
देववर्मन नेपाल के इतिहास में एक प्रसिद्ध शासक थे जो 9वीं से 10वीं सदी के दौरान नेपाल में राज्य करते थे। उन्होंने कई कार्यक्रम और सुधारों के माध्यम से नेपाल के विकास में अहम भूमिका निभाई थी।
देववर्मन का जन्म काठमांडू नगरी में हुआ था और उनके पिता रत्नसेन थे। देववर्मन को समझदार, स्वतंत्र और न्यायप्रिय शासक के रूप में जाना जाता है। उन्होंने नेपाल के विभिन्न क्षेत्रों में सुधार के कई कार्यक्रम शुरू किए, जिनमें सड़कों का निर्माण, नदियों के पार के पुलों का निर्माण, विद्यालयों का निर्माण और लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करने जैसे कार्य शामिल थे।
देववर्मन ने नेपाल में बौद्ध धर्म को भी प्रचारित करने का प्रयास किया था। उन्होंने कुंभकर्ण पर्वत पर एक बौद्ध मठ भी बनवाया था। उन्होंने नेपाल के संघर्षों में भी हिस्सा लिया था और उन्हें विजयी भी होने का अवसर मिला था। उनकी मृत्यु करीब 850 ईसा पूर्व.
कीर्तिवर्मन –
कीर्तिवर्मन एक प्रसिद्ध चोल शासक थे, जो 1014 ईसा पूर्व से 1044 ईसा पूर्व तक चोल साम्राज्य के राज्य करते थे। वे दक्षिण भारत के राज्यों में से एक थे और इतिहासकारों द्वारा उन्हें “चोल साम्राज्य के सबसे महान राजा” के रूप में जाना जाता है।
कीर्तिवर्मन के शासनकाल में चोल साम्राज्य विस्तृत होता रहा था। वे दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों के साथ व्यापार और संबंधों के विस्तार में भी विशेष रूप से ध्यान दिया। इसके अलावा, उन्होंने चोल साम्राज्य को एक स्थायी सेना और एक सुशोभित समाज की स्थापना के लिए कई कदम उठाए।
कीर्तिवर्मन की एक महत्वपूर्ण योजना थी कि वे चोल साम्राज्य के शहरों में संग्रहालय बनवाने का आदेश दिया था। इसके फलस्वरूप, चोल साम्राज्य के शहरों में कई संग्रहालय बने और यह उनके राजस्थान कला और संस्कृति के विविध पहलुओं का उल्लेखनीय संग्रह बन गए।
मदन वर्मा –
मदन वर्मा भारत के एक प्रसिद्ध इतिहासकार थे। वे भारतीय इतिहास, धर्म और संस्कृति के विषय में अपने व्यापक ज्ञान के लिए जाने जाते हैं। उनका जन्म 1935 में बिहार के पटना शहर में हुआ था और उन्होंने अपनी शिक्षा को पटना यूनिवर्सिटी, दिल्ली विश्वविद्यालय और लंदन स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रिकन स्टडीज से पूरा किया।
मदन वर्मा की अध्ययन के क्षेत्र में मुख्य रूप से गुप्त युग, पाल वंश, चोल वंश, बुद्ध धर्म और भारतीय संस्कृति शामिल थे। उन्होंने अपने करियर के दौरान कई महत्वपूर्ण अध्ययन किए, जिनमें उनकी शोध पत्रिका और निबंधों का विशिष्ट समूह शामिल हैं। उनकी प्रसिद्ध पुस्तकों में “एशियाई संस्कृति और विश्व इतिहास”, “पाल साम्राज्य का उत्थान और अधःपतन”, “चोल राजवंश” और “भारतीय इतिहास की पूर्व मध्यकालीन उत्तर भारत” शामिल हैं।
More Related PDF Download
Maths Topicwise Free PDF >Click Here To Download |
English Topicwise Free PDF >Click Here To Download |
GK/GS/GA Topicwise Free PDF >Click Here To Download |
Reasoning Topicwise Free PDF >Click Here To Download |
Indian Polity Free PDF >Click Here To Download |
History Free PDF > Click Here To Download |
Computer Topicwise Short Tricks >Click Here To Download |
EnvironmentTopicwise Free PDF > Click Here To Download |
UPSC Notes >Click Here To Download |
SSC Notes Download > Click Here To Download |
Topic Related Pdf Download
चंदेल वंश के शासक : यशोवर्मन, महाराजाधिराज धंग, परमाल
pdfdownload.in will bring you new PDFs on Daily Bases, which will be updated in all ways and uploaded on the website, which will prove to be very important for you to prepare for all your upcoming competitive exams.
The above PDF is only provided to you by PDFdownload.in, we are not the creator of the PDF, if you like the PDF or if you have any kind of doubt, suggestion, or question about the same, please send us on your mail. Do not hesitate to contact me. [email protected] or you can send suggestions in the comment box below.
Please Support By Joining Below Groups And Like Our Pages We Will be very thankful to you.
- Facebook Page: https://www.facebook.com/onlyupsc/