Sawai Madhopur District GK in Hindi
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Sawai Madhopur District GK in Hindi- सवाई माधोपुर का इतिहास रणथंभौर किले के इर्द-गिर्द घूमता है। किले के आसपास की बस्ती यहां की सबसे पुरानी है। हालांकि किले की उत्पत्ति का ठीक-ठीक पता नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यह 8 वीं शताब्दी का है। प्रचलित मान्यता के अनुसार इसे राजपूत राजा सपलदक्ष ने 944 ई. में बनवाया था। वह चौहान वंश के थे। एक अन्य विचारधारा के अनुसार, किले का निर्माण राजा जयंत ने किया था। वह भी लगभग 1110 ईस्वी में एक राजपूत चौहान थे। हालांकि, सबसे लोकप्रिय धारणा यह है कि किले का निर्माण 10 वीं शताब्दी के मध्य में शुरू हुआ और यह अगली कुछ शताब्दियों तक जारी रहा। अपनी स्थापना के दिन से लेकर आजादी के पहले तक किला एक शासक से दूसरे शासक के पास जाता रहा।
रणथंभौर का किला इस क्षेत्र के शासकों के लिए उत्तर भारत, दक्षिण और मध्य भारत के बीच व्यापार मार्गों के रूप में एक महत्वपूर्ण इमारत थी। राव हम्मीर के शासन में, रणथंभौर क्षेत्र के अंतिम चौहान शासक शानदार ढंग से समृद्ध हुए। उसने 1282 – 1301 ई. तक शासन किया। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि प्राचीन भारत में यह क्षेत्र रणथंभौर के नाम से अधिक लोकप्रिय था। बहुत बाद में इसे सवाई माधोपुर नाम मिला। यह 1300 ईस्वी में था जब रणथंभौर को आक्रमणों और हमलों का सामना करना पड़ा था। अफगान शासक अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली पर अधिकार कर लिया। उसने रणथंभौर के किले पर भी कब्जा करने के लिए अपनी सेना भेजी। हालांकि, वह तीन बार अपने लक्ष्य में असफल रहे। अंत में 1301 में उसने किले पर विजय प्राप्त की। इस समय से 1500 तक किला हाथ बदलता रहा। यह 1558 में मुगल सम्राट अकबर था जिसने इस क्षेत्र को स्थिरता प्रदान की थी। उसने रणथंभौर को अपने राज्य में मिला लिया।
मुगल शासकों ने 18वीं शताब्दी तक किले पर शासन किया था। 18वीं शताब्दी के मध्य में पश्चिमी भारत के मराठा शासक धीरे-धीरे सत्ता प्राप्त कर रहे थे। उन पर अंकुश लगाने के लिए जयपुर के राजपूत शासक सवाई माधोसिंह ने मुगल राजा से अनुरोध किया कि वह किला उसे सौंप दे। लेकिन उनकी दलील बहरे कानों पर पड़ी। 1763 में राजा ने शेरपुर गांव की किलेबंदी की और उसका नाम सवाई माधोपुर रखा। वर्तमान में यह स्थान सवाई माधोपुर शहर के नाम से जाना जाता है। दो साल बाद मुगलों ने किले को जयपुर शासक को सौंप दिया। ब्रिटिश शासन के दौरान सवाई मान सिंह ने जयपुर और सवाई माधोपुर के बीच एक रेलवे लाइन का निर्माण किया। नतीजतन, यह राजस्थान राज्य में एक केंद्रीय स्थान से सुलभ हो गया। आज यह भारत के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक के रूप में विकसित हो गया है। सवाई माधोपुर को 19 जनवरी 1763 को जयपुर के महाराजा सवाई माधो सिंह प्रथम द्वारा एक नियोजित शहर के रूप में बनाया गया था, जिन्होंने इस बस्ती का नाम अपने नाम पर रखा था। 19 जनवरी को सवाई माधोपुर अपना स्थापना दिवस मनाता है। लगभग 130 किमी. जयपुर के उत्तर-पूर्व में, विंध्य और अरावली पर्वतमाला की रोलिंग पहाड़ियों के साथ सवाई माधोपुर शहर स्थित है।
1765 ई. में स्थापित इस शहर का नाम जयपुर के इसके संस्थापक सवाई माधो सिंह-I के नाम पर रखा गया था। आज सवाई माधोपुर एक वन्यजीव अभ्यारण्य और ऐतिहासिक महत्व के स्थान रणथंभौर के लिए जाना जाता है। मुस्लिम विजय ने उत्तर भारत के राजनीतिक मानचित्र में बड़े बदलाव लाए। पृथ्वीराज चौहान के पोते गोविंदा ने खुद को रणथंभौर में स्थापित किया और दिल्ली के सुल्तान के सामंत के रूप में शासन किया। इल्तुतमिश की मृत्यु के बाद अशांति के बाद, वाग्भट्ट ने रणथंभौर के किले को घेर लिया। इसके बाद उन्होंने सल्तनत के खिलाफ लगातार लड़ाई लड़ते हुए यहां से 12 साल तक शासन किया। राव हमीर एक और शख्सियत थे जिन्होंने अपने लिए एक खास जगह बनाई। इतिहास में, यह केवल अब और तब होता है जब हम ऐसे वीरता के पुरुषों के सामने आते हैं। राणा कुंभा ने 15वीं शताब्दी के मध्य में रणथंभौर किले पर कब्जा कर लिया था। औरंगजेब की मृत्यु के बाद, किले को जयपुर के शासकों ने अपने अधिकार में ले लिया।
सवाई माधोपुर शहर की स्थापना जयपुर नरेश सवाई माधोसिंह प्रथम ने की थी। जयपुर नरेश सवाई माधोसिंह प्रथम के नाम पर इस जिले का नाम सवाई माधोपुर रखा गया। सवाई माधोपुर जिले का अब तक दो बार विभाजन किया जा चुका है। पहली बार 1992 में इससे स्वतंत्र दौसा जिला बनाया गया तथा दूसरे विभाजन वर्ष 1997 में करौली जिले को बनाया गया। सवाई माधोपुर जिले में राजस्थान की प्रथम बाघ परियोजना ‘रणथंबोर टाइगर प्रोजेक्ट’ की स्थापना 1973 ईस्वी में की गई थी। सवाई माधोपुर को बाघों की क्रीड़ा स्थली भी कहा जाता है। सवाई माधोपुर जिले में बनास नदी के टीलों पर एक तरह की खस घास पाई जाती है।
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सवाई माधोपुर जिले का सामान्य परिचय
सवाई माधोपुर शहर की स्थापना जयपुर नरेश सवाई माधोसिंह प्रथम ने की थी।
सवाई माधोपुर जिले का क्षेत्रफल : 4498 वर्ग किलोमीटर है।
सवाई माधोपुर जिले की अक्षांशीय स्थिति : 25 डिग्री 45 मिनट उत्तरी अक्षांश से 26 डिग्री 41 मिनट उत्तरी अक्षांश तक।
सवाई माधोपुर जिले की देशांतरीय स्थिति : 75 डिग्री 59 मिनट पूर्वी देशांतर से 77 डिग्री पूर्वी देशांतर तक।
सवाई माधोपुर जिले के प्रमुख मेले एवं त्यौहार
हीरामन का मेला – यह मेला सवाई माधोपुर जिले में पशु रोगों एवं उनके लाभ के लिए चमत्कारी देवता का मेला है।
श्री चौथ माता का मेला – यह मेला सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा स्थान पर माघ कृष्ण चतुर्थी को भरता है।
जगदीश मेला – यह मेला सवाई माधोपुर के कैमरी स्थान पर बसंत पंचमी एवं आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को भरता है।
श्री गणेश जी का मेला – यह मेला सवाई माधोपुर के रणथंबोर में भाद्रपद शुक्ला चतुर्थी को भरता है।
कल्याण जी का मेला – यह मेला सवाई माधोपुर के गंगापुर में वैशाख पूर्णिमा को आयोजित होता है।
शिवाड़ का मेला – यह मेला सवाई माधोपुर जिले के शिवाड़ स्थान पर शिवरात्रि के अवसर पर भरता है।
सवाई माधोपुर जिले के प्रमुख मंदिर/शीर्ष मंदिर
गणेश मंदिर, रणथम्भोर – सवाई माधोपुर जिले के रणथम्भोर में स्थित है। गणेश जी के इस मंदिर में गणपति के मात्र मुख वाली प्रतिमा विराजमान है। जिसमे गर्दन, शरीर, हाथ व अन्य अंग नहीं है। इस मंदिर में भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी (गणेश चतुर्थी) को प्रतिवर्ष गणेश मेला भरता है।
घुश्मेश्वर महादेव मंदिर (शिवाड़) – यह मंदिर सवाई माधोपुर जिले के शिवाड़ में स्थित है। इस मंदिर में भगवान शिव का बारहवां एवं अंतिम ज्योतिर्लिंग अवस्थित है।
रामेश्वरम मंदिर – सवाई माधोपुर जिले के खंडार तहसील में चंबल, बनास एवं सीप नदियों के संगम पर प्रसिद्ध रामेश्वर मंदिर स्थित है , जहां पर प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा को मेला भरता है।
चमत्कारी जी का मंदिर – सवाई माधोपुर जिले के निकट आलनपुर में चमत्कारी जी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। इसमें भगवान ऋषभदेव की प्रतिमा विराजमान है। यहां पर प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा को मेला भरता है।
धुंधलेश्वर का मंदिर – सवाई माधोपुर जिले के गंगापुर सिटी के पास धुंधलेश्वर का प्राचीन मंदिर स्थित है। यहां पर भाद्रपद कृष्णा नवमी को मेला लगता है। इस मंदिर में भगवान आशुतोष का शिवलिंग स्थित है।
हिचकी माता का मंदिर – हिचकी माता का प्रसिद्ध मंदिर सनवाड़ गांव (सवाई माधोपुर) में स्थित है
चौथ माता का मंदिर – चौथ माता कंजर जाति की आराध्य देवी है। जिनका प्रसिद्ध मंदिर चौथ का बरवाड़ा गांव (सवाई माधोपुर) में है। महिलाएं अपने पति की दीर्घायु मांगने के लिए कार्तिक कृष्ण चतुर्थी /करवा चौथ /नवंबर को चौथ माता का व्रत रखती है।
सवाई माधोपुर जिले के प्रमुख दर्शनीय स्थल/पर्यटन स्थल
राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल वन्यजीव अभयारण्य – इस अभयारण्य को घड़ियालों का संसार भी कहा जाता है। यह राजस्थान का एकमात्र जलीय अभयारण्य है, जो अंतर्राज्यीय अभ्यारण्य (राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश की सीमा के सहारे फैला हुआ) | यह अभ्यारण्य राजस्थान के करौली, धौलपुर, सवाई माधोपुर एवं कोटा जिलों में फैला हुआ है। यहां पर शिशुमार, ऊदबिलाव और गांगेय सूंप जैसे स्तनधारी जीव पाए जाते हैं।
रणथम्भौर दुर्ग – रणथम्भौर दुर्ग के उपनाम – दुर्गाधीराज, हम्मीरकी आन बान का प्रतीक, चित्तौड़गढ़ के किले का छोटा भाई आदि। रणथंबोर दुर्ग का निर्माण आठवीं शताब्दी में महेश्वर के ठाकुर रंतिदेव ने करवाया था। एक अन्य मत के अनुसार नागिल जाटों द्वारा 944 ईसवी में रणथंबोर दुर्ग का निर्माण करवाया गया था। रणथंबोर दुर्ग का आकार अंडाकार है। अबुल फजल ने कहा है कि ‘अन्य सब दुर्ग तो नंगे है जबकि यह दुर्ग बख्तरबंद है’ | रणथंबोर दुर्ग राजस्थान का एकमात्र ऐसा दुर्ग है जिसमें मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर स्थित है। रणथंबोर दुर्ग में 32 खंभों की छतरी (जिसे न्याय की छतरी का जाता है) स्थित है। इस दुर्ग में गुप्त गंगा, त्रिनेत्र गणेश मंदिर स्थित है। रणथंबोर दुर्ग में 11 जुलाई, 1301 ईस्वी को साका हुआ था।
रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान – यह देश का सबसे छोटा बाघ अभ्यारण्य है। इस अभ्यारण्य को 1955 में वन्य जीव अभ्यारण्य घोषित किया गया। अप्रैल, 1974 में इसे ‘टाइगर रिजर्व प्रोजेक्ट’ में शामिल किया गया। 1 नवंबर, 1980 में इसे राजस्थान का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। इस अभ्यारण्य को ‘भारतीय बाघों का घर’ कहते है।
सवाई माधोसिंह वन्य जीव अभ्यारण्य – यह अभ्यारण्य भी सवाई माधोपुर जिले में स्थित है।
सवाई माधोपुर जिले के अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न/तथ्य
सवाई माधोपुर जिले के प्रमुख बांध एवं बावड़ियां – सूरवाल बांध, मोरेल बांध (मिटटी का बांध), ईसरदा, कालीसिल पीपलदा, मोरसागर आदि।
अमरुद मंडी सवाई माधोपुर जिले में स्थित है।
सवाई माधोपुर के चौथ का बरवाड़ा से सीसा, जस्ता एवं चांदी प्राप्त होती है।
जयपुर उद्योग लिमिटेड – इसकी स्थापना सवाई माधोपुर के बावरा गांव में की गई थी। यह राजस्थान का दूसरा व उस समय एशिया का सबसे बड़ा सीमेंट का कारखाना था। इसे बंद कर दिया गया था किंतु हाल ही में इसे वापस शुरू कर दिया गया।
हेला ख्याल – इसके प्रवर्तक हेला शायर थे। यह सवाई माधोपुर एवं लालसोट-दौसा में प्रचलित है।
रणथम्भौर का युद्ध – 1301 ईसवी में हमीर देव चौहान एवं अलाउद्दीन खिलजी के मध्य हुआ था। जिसमें अलाउद्दीन खिलजी को विजय प्राप्त हुई थी।
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