Ethics integrity and aptitude notes pdf in Hindi for Civil Services

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Hello friends,

Ethics is a branch of philosophy that deals with moral principles and values. It is concerned with what is right and wrong, good and bad, and what ought to be done in various situations. Ethics is important because it helps us make decisions and choose actions that are morally responsible.

Some key concepts in ethics include:

Moral reasoning: the process of deciding what is right and wrong based on moral principles and values.

Moral principles: general rules or guidelines that guide ethical behavior, such as respect for others, honesty, fairness, and responsibility.

Moral values: the beliefs or attitudes that people hold about what is important or valuable in life, such as freedom, justice, equality, and human dignity.

Ethical theories: systematic approaches to moral reasoning that offer different perspectives on what is right and wrong, such as utilitarianism, deontology, virtue ethics, and care ethics.

Ethical dilemmas: situations where different moral principles or values come into conflict and there is no clear right or wrong answer.

Ethical decision-making: the process of making decisions that are morally responsible and based on sound ethical principles.

Some key principles that are often used to guide ethical decision-making include: Respect for autonomy: the principle that people have the right to make their own decisions and be treated as independent individuals. Nonmale ficence the principle that one should not cause harm to others. Beneficence: the principle that one should act to promote the well-being of others. Justice: the principle that people should be treated fairly and equitably.

Fidelity: the principle of faithfulness and loyalty to one’s moral obligations and commitments. Ethics is relevant to many areas of life, including business, healthcare, law, politics, and personal relationships. By understanding ethical principles and values, individuals and organizations can make more informed and responsible decisions that promote the well-being of everyone involved.

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Most Important Ethics integrity and aptitude Question Answer

प्रश्न : शासन में सत्यनिष्ठा से आप क्या समझते हैं? इस शब्द के संदर्भ में अपनी समझ के आधार पर, सरकार में सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करने के उपायों का सुझाव दीजिये। (250 शब्द)

उत्तर : सत्यनिष्ठा के बारे में संक्षेप में बताइये ।
शासन में इसकी भूमिका की चर्चा कीजिये।
सरकारी प्रणाली में सत्यनिष्ठा को सुनिश्चित करने हेतु कुछ उपाय बताइये।
उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये ।

परिचय:

सत्यनिष्ठा शब्द लैटिन भाषा के शब्द ‘प्रोबिटास’ से लिया गया है, जिसका अर्थ “ईमानदारी” होता है।

शासन में सत्यनिष्ठा शब्द का आशय शासन प्रक्रिया में मौजूद नैतिक मानदंडों के प्रतिमान से है। सत्यनिष्ठा, उत्तरदायित्व, सत्यनिष्ठा, करुणा और अन्य सकारात्मक विशेषताएँ बेहतर शासन की आधार होती हैं।

मुख्य भाग:

शासन में सत्यनिष्ठा की भूमिका:

इससे सरकारी कार्यों में जनता का विश्वास बना रहता है।
इससे सार्वजनिक सेवाओं में सत्यनिष्ठा बनी रहती है।
इससे सरकार के उत्तरदायित्व को प्रोत्साहन मिलता है।
इसके द्वारा प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित होता है।
इससे कदाचार, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार की संभावना में कमी आती है।

शासन में सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करने के उपाय:

उत्तरदायित्व: इससे शासन में भ्रष्टाचार की संभावना कम होती है। जब किसी व्यक्ति से उच्च अधिकारियों को उत्तर देने की अपेक्षा की जाती है, तो वह ऐसे कार्य करने से बचता है जिससे उसकी स्थिति पर प्रश्नचिन्ह लगता हो । इससे सुशासन स्थापित होगा। उदाहरण के लिये, सामाजिक लेखा परीक्षा से उत्तरदायित्व सुनिश्चित होने के साथ सत्यनिष्ठा को प्रोत्साहन मिलता है।
नैतिक शिक्षा: शासन में सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करने के लिये नैतिक शिक्षा आवश्यक है। किसी व्यक्ति में सत्यनिष्ठा के उच्च प्रतिमान शामिल करने हेतु उसे नैतिक प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है जो उसे शासन में सुधार करने के लिये प्रेरित करेगा। नैतिक शिक्षा से ऐसा होना सुनिश्चित होगा। उदाहरण के लिये रिश्वत ना लेने के महत्व पर प्रशिक्षण प्रदान करना।
शिकायत निवारण: सरकारी अधिकारियों और जनता के बीच सुलभ पहुँच प्रभावी शिकायत निवारण के लिये महत्वपूर्ण है। इसे निम्नलिखित माध्यम से सुनिश्चित किया जा सकता है:
लोगों के लिये वरिष्ठ सरकारी प्राधिकारियों के संपर्क नंबरों को उपलब्ध कराना
विभागीय वेबसाइटों पर संबंधित विवरण दर्ज करना
नागरिकों के लिये सुविधा काउंटर बनाना
मूल्यांकन और निगरानी प्रणाली स्थापित करना
आचार संहिता: मंत्रियों, नौकरशाही, न्यायपालिका और नागरिक समाज समूहों के लिये आदर्श आचार संहिता तैयार और लागू करके सत्यनिष्ठा को बनाए रखा जाता है।
अन्य उपाय:
लोकपाल: यह “ओम्बुड्समैन ” के रुप में कार्य करता है और कुछ सार्वजनिक पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार से संबंधित आरोपों की जाँच करता है।
आपराधिक न्यायिक प्रणाली को सुदृढ़ बनाना चाहिये।
अनुशासन की भावना: इसे संगठनों के प्रमुखों और समाज के नेताओं द्वारा स्थापित किया जाता है। उदाहरण के लिये जब लाल बहादुर शास्त्री के बेटे ने आधिकारिक कार का इस्तेमाल कर लिया था तो उन्होंने इसके लिये भुगतान किया था।
प्रशिक्षण, प्रदर्शन मूल्यांकन, सहानुभूति और करुणा जैसे मूल्यों के समावेश के माध्यम से नौकरशाहों के व्यवहार में परिवर्तन लाना।
ई-गवर्नेंस: पारदर्शिता के लिये आईसीटी का उपयोग करना। इसके अलावा इससे आम लोगों द्वारा लोक सेवकों के खिलाफ शिकायत करने में भी सहायता मिलेगी।
निष्कर्ष:

उपयुक्त नियमों और विनियमों के संयोजन से सहायक प्रशासनिक प्रक्रियाओं का विकास होगा। शासन में सत्यनिष्ठा को सुनिश्चित करने के लिये नैतिक प्रतिमानों में वृद्धि की आवश्यकता है। इसके अलावा बाहरी प्रणालियों पर निर्भरता से बचना चाहिये क्योंकि इससे उल्लंघन (breach) का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ-साथ मज़बूत, नैतिक प्रतिमानों को लोगों में विकसित करना चाहिये जो ऐसे सिद्धांतों को संरक्षित और स्थापित कर सकें।

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Most Important Ethics integrity and aptitude Question Answer

प्रश्न : सिविल सेवकों में किस प्रकार के व्यक्तिगत गुण वांछनीय हैं? लोक प्रशासन में सिविल सेवा नैतिकता क्यों प्रमुख हो गई है? (250 शब्द)

उत्तर : सिविल सेवकों के व्यक्तिगत गुणों का संक्षेप में वर्णन कीजिये।
उन वांछनीय गुणों की चर्चा कीजिये जो सिविल सेवकों में होने चाहिये।
लोक प्रशासन में सिविल सेवा नैतिकता के महत्त्व की चर्चा कीजिये।
तदनुसार निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:

सिविल सेवकों के व्यक्तिगत गुणों में व्यक्तित्व, चरित्र और बौद्धिक क्षमताएँ शामिल होती हैं। अरस्तू के अनुसार चार गुण हैं- विवेक, न्याय, धैर्य और संयम; इसके अलावा यह माना जाता है कि यदि किसी व्यक्ति में कोई एक गुण पूरी तरह से विकसित हो जाता है, तो वह अन्य तीन की उपस्थिति का भी संकेत देगा।

प्रारूप:

सिविल सेवकों को व्यक्तिगत गुणों का पालन करना चहिये जो इस प्रकार हैं:

विवेक: यह वास्तविक आचरण में कार्रवाई के सबसे उपयुक्त, राजनीतिक या लाभदायक तरीके का पता लगाने की क्षमता को संदर्भित करता है; यह व्यावहारिक ज्ञान और बुद्धिमानी का भी प्रतीक है।
सिविल सेवा में सार्वजनिक क्षेत्र में निर्णय लेना शामिल है। सिविल सेवकों को व्यावहारिक मामलों का मुख्य कर्ता माना जाता है। वे लोगों के काफी नियमित संपर्क में रहते हैं। सिविल सेवकों को गुमनाम और विवेकपूर्ण तरीके से मामलों से निपटना होता है। इन सभी कारणों से सिविल सेवकों में विवेक एक अत्यंत वांछनीय गुण है।
धैर्य: यह दर्द या विपत्ति की स्थिति से लड़ने हेतु नैतिक शक्ति या नैतिक साहस है। कठिन युद्धक्षेत्र स्थितियों का सामना करने वाले सैनिकों के साथ भी यह अक्सर दृढ़ता से जुड़ा होता है। दीर्घकालीन समस्याओं से घिरे होने के कारण व्यक्ति जो दबाव या तनाव अनुभव करने लगता है उसको सहन कर सकने की क्षमता भी धैर्य का एक उदाहरण है।
सिविल सेवा के सन्दर्भ में, धैर्य अपेक्षाकृत कम वीरता का प्रतीक है, लेकिन लंबे समय तक काम की चुनौतियों और प्रतिकूल परिस्थितियों से निपटने के लिये यह महत्त्वपूर्ण रवैया है।
संयम: लोक सेवकों के लिये संयम विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है। यह किसी के क्रोध, भावनाओं और इच्छाओं को नियंत्रित करने की क्षमता का प्रतीक है। इसे तर्कसंगत आत्म-संयम के रूप में माना जा सकता है। लेकिन संयम कुछ अलग व्यवहार विशेषताओं को व्यक्त कर सकता है। निर्णय लेते समय या स्थितियों का जवाब देते समय, सिविल सेवकों को उदार होना चहिये। उन्हें किसी मुद्दे पर ज़्यादा नहीं झुकना चहिये बल्कि संतुलित और विवेकपूर्ण तरीके से कार्य करना चहिये।
न्याय: न्याय एक सामान्य अवधारणा है। जब हम ‘न्याय’ शब्द का प्रयोग करते हैं तो इसका अर्थ अक्सर अस्पष्ट होता है, इसलिये हमें इसकी ठोस सामग्री या इसका सटीक अर्थ क्या है, इसका संकेत देना पड़ता है।
लोक प्रशासन में सिविल सेवा नैतिकता का महत्त्व:

सिविल सेवकों के मनमाने कार्यों की जाँच करना।
प्रशासनिक ज़िम्मेदारी की भावना को बढ़ावा देना।
नागरिक और सिविल सेवा के बीच अच्छे संबंध स्थापित करना और बढ़ावा देना।
सामाजिक भलाई, सार्वजनिक हित और सामान्य भलाई को संरक्षित करना तथा बढ़ावा देना।
प्रशासनिक शक्ति और विवेक के उस हिस्से को नियंत्रित करने के लिये जिसे औपचारिक कानूनों के तरीकों तथा प्रक्रियाओं द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है।
प्रशासनिक प्रक्रिया की दक्षता और प्रभावशीलता में सुधार करना।
लोक प्रशासन की वैधता और विश्वसनीयता को मज़बूत करना।
निष्कर्ष:

विवेक, धैर्य, संयम आदि जैसे प्रमुख गुण किसी के चरित्र की अच्छाई और एक अच्छा तथा सफल सिविल सेवक बनने में सहायता करते हैं। लोक प्रशासन सिद्धांत में नैतिकता की प्रमुखता सिविल सेवकों के बीच उच्च नैतिकता को बढ़ावा देने और बनाए रखने में मदद करती है।

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Author: Deep