गुर्जर प्रतिहार वंश की उत्पत्ति

गुर्जर प्रतिहार वंश की उत्पत्ति

गुर्जर प्रतिहार वंश की उत्पत्ति

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गुर्जर प्रतिहार वंश की उत्पत्ति के बारे में कुछ विवाद है, लेकिन सामान्य रूप से मान्यता है कि वे 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 11वीं शताब्दी ईसा पूर्व के बीच काश्मीर और अफगानिस्तान के गुर्जर जाति से उत्पन्न हुए थे। वे भारत के मध्य और उत्तरी भागों में शक्तिशाली थे और 8वीं शताब्दी से 11वीं शताब्दी तक उत्तर भारत को शासन करते रहे।

गुर्जर प्रतिहार वंश के संस्थापक के रूप में नागभट्ट-1 माना जाता है, जो कि लगभग 730 ईसा पूर्व में जन्मे थे। उनका पुत्र वर्षभानु था, जो गुर्जर सम्राट रहा था। उन्होंने उत्तर भारत के कई हिस्सों को जीता था और उन्होंने अपने समय के लिए बहुत से मंदिर, किले और पालेस बनवाए थे।

गुर्जर प्रतिहार वंश के दौरान उनकी सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास की गति बहुत तेज थी। उनका समय उत्तर भारत के इतिहास में एक स्वर्ण युग माना जाता है।

गुर्जर प्रतिहार वंश की कुलदेवी माता चामुण्डा हैं. इस वंश का इतिहास इस बात का गवाह हैं कि, माता की असीम कृपा से इस वंश के राजा युद्ध से पहले मां का आशीर्वाद लेकर युद्धभूमि में जाते थे. प्रतिहार वंश को ही गुर्जर प्रतिहार वंश के नाम से जाना जाता हैं.

दक्षिण पश्चिम राजस्थान और गुजरात में उत्पन्न यह वंश गुर्जरों की ही एक शाखा हैं. इस लेख में हम गुर्जर प्रतिहार वंश की कुलदेवी चामुण्डा माता के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करेंगे.

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गुर्जर प्रतिहार वंश की उत्पत्ति

गुर्जर प्रतिहार वंश की उत्पत्ति छठी शताब्दी में हुई थी. नागभट्ट प्रथम को गुर्जर प्रतिहार वंश का संस्थापक माना जाता है. वहीं दूसरी तरफ गुर्जर प्रतिहार वंश की उत्पत्ति दक्षिण पश्चिम राजस्थान और गुजरात में हुई थी. गुर्जर प्रतिहार वंश गुर्जरों की ही एक शाखा हुआ करते थे.

प्रतिहार वंश के अभिलेखों में इस वंश को रामायण कालीन लक्ष्मण जी का वंशज होना लिखा गया है जो द्वारपाल का काम करते थे. इस वंश में नागभट्ट प्रथम, मिहिरभोज, महेंद्रपाल और महिपाल जैसे शासक हुए हैं. इस लेख में हम गुर्जर प्रतिहार वंश की उत्पत्ति के सम्बंध में चर्चा करेंगे.

गुर्जर प्रतिहार वंश की उत्पत्ति की कहानी

“गुर्जर” कभी एक जगह का नाम हुआ करता था जिसे आज गुजरात (गुर्जरात) के नाम से जाना जाता हैं. गुर्जर प्रतिहार वंश की उत्पत्ति को लेकर आज भी इतिहासकार एकमत नहीं है. इस राजवंश के लोग अपने कबीले को प्रतिहार नाम से बुलाते थे. एक प्रतिहार शासक बाकुका के शिलालेख में साफ़ तौर पर लिखा गया है कि भगवान श्री राम के छोटे भाई लक्ष्मण जी ने द्वारपाल (प्रतिहार) का ज़िम्मा उठाया था इसलिए आज वंश को गुर्जर प्रतिहार वंश के नाम से जाना जाता हैं.

वहीं दूसरा शिलालेख राजा मिहिरभोज का हैं जो सागर, ताल (ग्वालियर) में मिला है. इस अभिलेख के अनुसार सौमित्री अर्थात् सुमित्रा का पुत्र (लक्ष्मण जी) ने द्वारपाल के रूप में काम किया था.

अग्निवंश के अनुसार पृथ्वीराज रासो में गुर्जर प्रतिहार वंश की उत्पत्ति माउन्ट आबू में एक अग्निकुण्ड में होना लिखा है. गुर्जर प्रतिहार वंश की उत्पत्ति आज भी विवादास्पद है. कई इतिहासकार इनको हूणों के साथ भारत आई “खजर” नामक जाति की सन्तान मानते हैं. विदेशी इतिहासकार कैंपबेल और जैक्सन और भारतीय इतिहासकार भंडारकर तथा त्रिपाठी ने इसकी पुष्टि की है. बिना किसी साक्ष्य के इनका यह दावा आधारहीन लगता हैं.

भारतीय इतिहासकार जिनमें G.S. ओझा, C.V. वैद्य और डी. शर्मा का नाम शामिल हैं इनको गुर्जर देश का शासक मानता है. के.एस. मुंशी ने यह साबित किया है कि गुर्जर एक स्थान वाचक शब्द हैं ना कि जातिवाचक. कई इतिहासकार इन्हें विदेशी साबित करने में लगे हुए हैं जबकि इनका संबंध भारत से ही है. प्राप्त साक्ष्यों और प्रमाणों के आधार पर यह क्षत्रिय भी है और ब्राह्मण धर्म का पालन भी करने वाले हैं.

गुर्जर प्रतिहार वंश की उत्पत्ति को लेकर ग्वालियर अभिलेख यह बताता है कि गुर्जर प्रतिहार वंश के शासक भगवान श्री राम के छोटे भाई लक्ष्मण जी के वंशज हैं. प्रसिद्ध चीनी यात्री हेनसांग के अनुसार गुर्जर प्रतिहार वंश की उत्पत्ति राजस्थान में माउंट आबू पर्वत के उत्तर-पश्चिम में स्थित भीनमाल में हुई थी. जबकि बाद में यह उज्जयिनी (अवंती) में जाकर बस गए.

गुर्जर प्रतिहार वंश के संबंध में उपलब्ध साक्ष्य

(1) पुलकेशिन द्वितीय के लेख ऐहोल में सबसे पहले इस वंश के बारे में जानकारी मिलती है.

(2) बाणभट्ट रचित हर्षचरित में.

(3) चीनी यात्री हेनसांग के लेख में कु-चे-लो अर्थात् गुर्जर देश का उल्लेख किया गया है.

(4) मिहिरभोज का ग्वालियर अभिलेख (ताल, सागर).

(5) पाल वंश तथा राष्ट्रकूट वंश के अभिलेखों में इनके बारें में जानकारी मिलती हैं.

(6) काव्यमीमांसा और बाल रामायण जैसे ग्रंथों के रचियता राजशेखर इस सम्बंध में लिखते हैं.

(7) “पृथ्वीराजविजय” (जयानक द्धारा रचित) से पता चलता है कि दुर्लभराज वत्सराज का सामंत था.

(8) जैन लेखक चंद्रप्रभसूरी के द्वारा लिखित ग्रंथ “प्रभावकप्रशस्ति” में नागभट्ट द्वितीय के बारे में जानकारी मिलती हैं.

(9) कवि कल्हण द्वारा रचित राजतरंगिणी में भी राजा मिहिरभोज की उपलब्धियों का गुणगान किया गया है.

(10). अरबी लेखक सुलेमान लिखता है कि मिहिरभोज एक शक्तिशाली और समृद्ध राज्य वाला था.

गुर्जर प्रतिहार वंश की कुलदेवी चामुण्डा माता का संक्षिप्त परिचय

गुर्जर प्रतिहार वंश की कुलदेवी चामुण्डा माता, माता पार्वती का ही रूप हैं. दुर्गा सप्तशती में चामुण्डा माता के नाम की उत्पति को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित हैं जिसके अनुसार कई वर्षों पुर्व शुम्भ और निशुंभ नामक दो दैत्यों का राज़ था. ये दैत्य धरती और स्वर्ग दोनों ही जगह अत्याचार करते थे. इनके अत्याचारों से परेशान होकर धरतीवासी और स्वर्गवासी हिमालय की तलहटी में माता की उपासना की.

मान सरोवर में स्नान करने आई माता पार्वती ने जब यह देखा तो उन्होंने एक कन्या को प्रकट किया जो शुम्भ और निशुंभ को मार सके. माता पार्वती जी के द्वारा उत्पन्न किए जाने कि वजह से इस प्रकट हुई कन्या को “कोशिकी” के नाम से भी जाना जाता हैं.

जब “कोशिकी” पर शुंभ और निशुंभ के दूतों की नजर पड़ी तो उन्होंने जाकर कहा कि आप तीनों लोकों के राजा हैं ऐसी सुन्दर कन्या आपके दरबार में होनी चाहिए.

यह बात सुनकर शुंभ और निशुंभ ने अपने दूत को भेजा और उस सुन्दर कन्या को विवाह का प्रस्ताव दिया. तभी उस कन्या ने कहा कि जो भी मुझे युद्ध में पराजित करेगा मैं उसी से शादी करूंगी. जब यह बात शुंभ और निशुंभ को पता चली तो वह दोनों गुस्सा हो गए. उन्होंने 2 दूत चंड और मुंड को उस कन्या को लाने के लिए भेजा.

जब चंड और मुंड वहां पर पहुंचे तो उस कन्या ने मां कालिका का रूप धारण किया और दोनों का संहार कर दिया. चंड और मुंड को मारने वाली माता चामुण्डा के नाम से प्रसिद्ध हुई. गुर्जर प्रतिहार वंश की कुलदेवी के रूप में मां चामुण्डा को पुजा जाता हैं.

गुर्जर प्रतिहार वंश की कुलदेवी माता चामुण्डा का भव्य मंदिर राजस्थान के जोधपुर में स्थित हैं.

गुर्जर प्रतिहार वंश से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर 

Q 1.) कन्नौज पर अधिकार हेतु चले त्रिपक्षीय युद्ध में राजपूताना के किस वंश के शासकों ने भाग लिया
a) गुर्जर प्रतिहार
b) चंद्रावती
c) चौहान
d) जयचंद
Answer :- गुर्जर प्रतिहार

Q 2.) आबू के परमारो की वैभवयुक्त राजधानी थी
a) चंद्रगुप्त
b) गुहिल
c) गड़वाल
d) कन्नौज
Answer :- चंद्रगुप्त

Q 3.) प्रतिहार वंश की मंडोर शाखा के किस शासक ने अपनी राजधानी मंडोर से मेड़ता स्थानांतरित की थी
a) नागभट्ट प्रथम
b) नागभट्ट द्वितीय
c) नागभट्ट तृतीय
d) नागभट्ट चतुर
Answer :- नागभट्ट प्रथम

Q 4.) किस विदेशी यात्री ने गुर्जर प्रतिहार वंश राजवंश की सैन्य शक्ति एवं समृद्धि का उल्लेख किया है
a) सुलेमान
b) जयचंद
c) बप्पा रावल
d) हरिश्चंद्र
Answer :- सुलेमान

Q 5.) आभानेरी तथा रजोरगढ़ के कलात्मक वैभव किस कला के हैं
a) गुर्जर प्रतिहार
b) यशपाल
c) चंद्र वती
d) प्रतिहार
Answer :- गुर्जर प्रतिहार

Q 6.) प्रतिहार वंश का अंतिम शासक था
a) नागभट्ट प्रथम
b) सुलेमान
c) महेंद्र पाल प्रथम
d) यशपाल
Answer :- यशपाल

Q 7.) महान संस्कृत कवि एवं नाटक कार राजशेखर निम्न में से किसके दरबार से संबंधित था
a) महेंद्र पाल प्रथम
b) महेंद्र पाल द्वितीय
c) यशपाल प्रथम
d) यशपाल द्वितीय
Answer :- महेंद्र पाल प्रथम

Q 8.) प्रतिहार शिलालेखों में पदाधिकारियों का उल्लेख या आता है
a) राजपूत
b) सही पुरुष
c) ग्रामीण
d) राजा
Answer :- राजपूत

Q 9.) राजस्थान में प्रतिहार वंश के संस्थापक हरिश्चंद्र की राजधानी थी
a) मंडोर
b) मथानिया
c) ओसियां
d) महामंदिर
Answer :- मंडोर

Q 10.) नागभट्ट प्रथम निम्नलिखित में से किस राजवंश से संबंधित है
a) गुर्जर प्रतिहार
b) प्रतिहार
c) चौहान
d) गोहिला
Answer :- गुर्जर प्रतिहार

Q 11.) किस प्रतिहार राजा के काल में प्रसिद्ध ग्वालियर प्रशस्ति की रचना की गई
a) भोज प्रथम
b) भोज द्वितीय
c) भोज तृतीय
d) भोज चतुर
Answer :- भोज प्रथम

Q 12.) गुर्जरों को किस शासक ने पराजित किया
a) प्रभाकर वर्धन
b) महेंद्र पाल
c) यशपाल
d) प्रतिहार
Answer :- प्रभाकर वर्धन

Q 13.) प्रथम प्रतिहार शासक जिसने परम भक्त कर महाराज जी अधिराज परमेश्वर की उपाधि धारण की थी वह था
a) महेंद्र पाल प्रथम
b) भोज प्रथम
c) यशपाल
d) महेंद्र पाल द्वितीय
Answer :- महेंद्र पाल प्रथम

Q 14.) जन सूती के अनुसार आबू पर्वत पर यज्ञ कुंड से किस वंश की उत्पत्ति मानी जाती है
a) प्रतिहार
b) चौहान
c) परमर
d) गुर्जर प्रतिहार
Answer :- परमर

Q 15.) मंडोर के प्रतिहार माने जाते हैं
a) क्षत्रिय
b) भोज
c) मेहर
d) प्रतिहार
Answer :- क्षत्रिय

Q 16.) आदि वराह की उपाधि किस राजपूत शासक ने धारण कि वह है
a) मिहिर
b) भोज
c) भोजपत्र
d) वित्तीय
Answer :- मिहिर

Q 17.) आबू के प्रमाणों की प्राचीन राजधानी थी
a) चंद्रावती
b) गुर्जर प्रतिहार
c) मंडोर
d) प्रतिहार
Answer :- चंद्रावती

Q 18.) जोधपुर के निकट ओसिया के मंदिरों का समूह जिस की देन है वह है
a) चौहान
b) प्रतिहार
c) परमार
d) गुर्जर प्रतिहार
Answer :- प्रतिहार

Q 19.) आठवीं से दसवीं शताब्दी तक राजस्थान में किस राजपूत वंश का वर्चस्व रहा
a) प्रतिहार
b) चौहान
c) चालुक्य
d) परमार
Answer :- प्रतिहार

Q 20.) ओसियां में महावीर स्वामी को समर्पित जैन मंदिर का निर्माण किस राजा के काल में हुआ
a) वत्सराज
b) प्रतिहार
c) प्रतिहार गुर्जर
d) चालुक्य
Answer :- वत्सराज प्रतिहार

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