Cell and its organelles handwritten notes pdf

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Most Important Cell and its organelles Question Answer

कोशिका का अर्थ (Meaning of Cell):
संसार में अलग-अलग प्रकार के जीव हैं जो एक-दूसरे से बहुत भिन्न दिखाई देते हैं । परन्तु सभी का शरीर अनेक छोटी-छोटी इकाईयों से बना होता है, प्रत्येक इकाई को कोशिका कहते हैं । कोशिका शरीर की रचनात्मक एवं कार्यात्मक इकाई है । परन्तु इनकी संख्या जीवों में अलग-अलग होती है, जैसे अमीबा, पैरामीशियम चित्र 5.1, यूग्लीना जैसे जीव एक ही कोशिका से बने होते हैं तथा वे एक कोशिकीय जीव कहलाते हैं ।

जबकि केंचुआ, हाथी, मनुष्य, बंदर बरगद इत्यादि में अनेक कोशिकाएं होती हैं तथा वे बहुकोशिकीय जीव कहलाते हैं । कोशिकाओं की संख्या चाहे जितनी भी हो सभी जीवों में पोषण उत्सर्जन वृद्धि श्वसन तथा जनन जैसी क्रियाएं होती हैं ।

उपर्युक्त विवरण के आधार पर यह कहा जा सकता है कि जीवों के शरीर को बनाने वाली सबसे छोटी इकाई कोशिका है जिसमें जीवन के सभी कार्य होते हैं ।

कोशिका की आकृति एवं आकार (Shape and Size of Cell):
कोशिकाओं की एक विशेषता यह भी है कि उसकी आकृति एवं आकार एक समान नहीं होता है जैसे: अमीबा अनियमित आकृति का जीव है जबकि पैरामीशियम की आकृति अंडाकार (चप्पल) जैसी होती है । बहुकोशिकीय जीवों के शरीर में उपस्थित कोशिकाएं चपटी गोल अंडाकार घनाकार या अनियमित आकृति की भी हो सकती हैं साथ ही कुछ कोशिकाएं छोटी तथा कुछ बड़ी भी हो सकती हैं । इस प्रकार कोशिका की आकृति एवं आकार में काफी विविधता होती है ।

कोशिका का अध्ययन करना ।

सामग्री:- प्याज, लाल अभिरंजक ”सेफ्रेनिन”, पानी, काँच की पट्टी (स्लाइड), हैण्ड लैंस या सूक्ष्मदर्शी (यदि उपलब्ध हो सके तो) ।

प्रक्रिया:- सर्वप्रथम एक स्वच्छ स्लाइड लेकर उस पर प्याज की पतली झिल्ली का एक टुकड़ा निकाल कर रखिए । इस स्लाइड पर लाल अभिरंजक ”सेफ्रेनिन” की एक बूँद डालकर दो-तीन मिनिट प्रतीक्षा करें यदि अभिरंजक ”सेफ्रेनिन” अधिक हो जाता है तो पानी डालकर उसे धो लेना चाहिए । बाद में इस स्लाइड पर रखी प्याज की झिल्ली का अवलोकन हैण्ड लैंस या सूक्ष्मदर्शी द्वारा करें ।

विश्लेषण:- अवलोकन करने पर प्याज की झिल्ली में अनेक बहुभुजी आकृतियाँ दिखाई देतीं हैं ।

निष्कर्ष:- ये आकृतियाँ ही वास्तव में वे कोशिकाएं हैं जिनसे मिलकर प्याज की झिल्ली बनी है ।

कोशिका की संरचना (Structure of Cell):
कोशिका की संरचना का अध्ययन करने के लिए एक सूक्ष्मदर्शी यंत्र की आवश्यकता होती है । कोशिका का अध्ययन सर्वप्रथम वैज्ञानिक राबर्ट हुक ने सन् 1665 में किया था । इन्होंने स्वयं के बनाए हुए सूक्ष्मदर्शी से कोशिका को देखा था ।

सामान्यत: एक कोशिका में कोशिका झिल्ली केन्द्रक तथा कोशिका द्रव्य नामक तीन भाग होते हैं । साथ ही इन तीनों के अतिरिक्त कोशिका में अनेक कोशिकांग भी होते हैं । संरचनात्मक दृष्टि से पौधों एवं जंतुओं की कोशिकाएं अलग-अलग होती हैं । इनके भीतर के कोशिकांगों की उपस्थिति एवं संख्या में अंतर होता है । एक पादप एवं जन्तु कोशिका की संरचना चित्र 5.6 एवं 5.7 में दर्शाई गई है ।

प्रमुख कोशिकांग निम्नानुसार हैं:

1. कोशिका झिल्ली:- यह प्रत्येक कोशिका के चारों ओर पाई जाने वाली झिल्ली है जो कोशिका को स्थिर रखती है तथा कोशिका के अंदर-बाहर पदार्थों के आदान-प्रदान को नियंत्रित करती है ।

2. कोशिका भित्ती:- यह केवल पादप कोशिकाओं के चारों ओर पाई जाती है । पौधों की कोशिका में श्लेष्मा झिल्ली अथवा कोशिका झिल्ली के बाहर एक और परत होती है जिसे कोशिका भित्ति करते हैं । कोशिका भित्ति दृढ संरचना है जो कोशिका की रक्षा करती है ।

3. केन्द्रक:- यह कोशिका का सबसे महत्वपूर्ण अंग है, जो सामान्यत: मध्य में होता है, परन्तु पादप कोशिका में कभी-कभी यह परिधि की ओर होता है । इसका कार्य कोशिका की वृद्धि एवं विभाजन करना है । यह पूरी कोशिका पर नियंत्रण भी रखता है ।

4. साइटोप्लाज्म:- केन्द्रक तथा कोशिका झिल्ली के बीच में उपस्थित प्रोटोप्लाज्मा को कोशिका द्रव्य अथवा साइटोप्लाज्म कहते हैं ।

5. माइटोकॉण्ड्रिया:- यह अंग श्वसन क्रिया में भाग लेकर ऊर्जा उत्पन्न करता है तथा संचित भी करता है । इसे कोशिका उल ऊर्जा ग्रह (पावर हाउस) भी कहते हैं ।

6. हरितलवक:- यह केवल पादप कोशिका में ही पाया जाता है तथा प्रकाश संश्लेषण का कार्य करता है ।

7. सेण्ट्रोसोम:- यह केन्द्रक के पास पाया जाता है तथा कोशिका विभाजन में सहयोग करता है ।

8. रिक्तिका:- पादप एवं जंतु दोनों कोशिका में पाई जाती हैं परन्तु पौधों में रिक्तिकाएँ बड़ी एवं मध्य में होती हैं तथा जंतु कोशिका में छोटी-छोटी अनेक रिक्तिकाएँ कोशिका में बिखरी होती हैं । इनका कार्य भोजन, पानी एवं अन्य पदार्थों का संग्रह करना तथा इनकी मात्रा का संतुलन करना है ।

9. गाल्जीकाय:- पदार्थों का संश्लेषण, भंडारण एवं स्रवण करना इनका प्रमुख कार्य है ।

10. लाइसोसोम:- ये कोशिका में आने वाले पदार्थों को पचाने का कार्य करते हैं ।

11. राइबोसोम:- प्रोटीन संश्लेषण में सहायक होते हैं ।

12. अन्त: पद्रव्यी जालिका:

झिल्लियों की बनी हुई जटिल जालनुमा संरचना अन्त: पद्रव्यी जालिका कहलाती है जो कि केन्द्रक से जुड़ी होती है अथवा इससे मुक्त रूप से पायी जाती है । यह केन्द्रक झिल्ली व कोशिका द्रव्य के बीच में संबंध बनाती है । यह प्रोटीन के संश्लेषण में सहायता करती है ।

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पादप कोशिका एवं जन्तु कोशिका (Plant Cell and Animal Cell):
दोनों कोशिकाओं के अध्ययन से हम यह जान चुके हैं कि अधिकांश कोशिकांग पादप एवं जंतु कोशिका में समान रूप से पाए जाते हैं परन्तु फिर भी कुछ कोशिकांग ऐसे होते हैं जो केवल पादप या केवल जंतु कोशिका में पाए जाते हैं । इस आधार पर ही इन दोनों कोशिकाओं की पहचान की जाती है ।

कोशिकांगों में अंतर होने से इनके कार्य भी बदल जाते हैं जैसे हरितलवक की उपस्थिति के कारण ही पादप कोशिका प्रकाश संश्लेषण कर सकती है । इसी प्रकार जंतु कोशिका में सेन्ट्रोसोम होता है, पौधों की कोशिकाओं में नहीं ।

1. कोशिका झिल्ली (plasma membrane)

संरचना- इकाई झिल्ली P-L-P द्वारा निर्मित
प्रमुख कार्य- i) कोशिका परिवहन का नियमन
ii) चयनात्मक पारगम्य
iii) कोशिका का संपर्क व आकृति का नियमन

2. गोल्जीकाय- इसकी खोज कैमिली गॉल्जी ने की

संरचना- केन्द्रक के समीप पाया जाता है । इसमें ट्रांजिशनल वेसीकल , सिस्टर्नी , स्त्रावी वेसीकल व संग्राही वेसीकल पायी जाती है ।
प्रमुख कार्य- i) स्त्रावण (Secretion)
ii) शुक्राणु में एक्रोसोम का निर्माण करना
iii) लाइसोसोम का निर्माण करना

3. लाइसोसोम- इसकी खोज डी. डूवे ने की ।
संरचना- इन्हें आत्मघाती थैली भी कहते है । ये एक इकाई झिल्ली द्वारा निर्मित होते है । इनमें अनेक एंजाइम पाए जाते है । इनमें बहुरूपता भी पाई जाती है ।
प्रमुख कार्य- i) अन्तः कोशिकीय पाचन
ii) स्वः भक्षण (Autophagy)
iii) स्वलयन (Autodissolution)

4. अन्तः प्रद्रव्यी जालिका (Endoplasmic reticulum = ER)

संरचना- सिस्टर्नी, वेसीकल्स व ट्यूब्यूल्स द्वारा निर्मित । इसके दो प्रकार होते है –
I ) RER (Rough Endoplasmic reticulum )- इस पर राइबोसोम उपस्थित होते हैं ।
II) SER (Smooth Endoplasmic reticulum )- इस पर राइबोसोम उपस्थित नहीं होते हैं ।
प्रमुख कार्य- प्रोटीन संश्लेषण , ग्लाइकोजन संश्लेषण व स्टीरॉइड संश्लेषण करना ।

5. माइट्रोकॉन्ड्रिया – इसकी खोज कोलिकर ने की ।

संरचना – दोहरी इकाई झिल्ली द्वारा निर्मित होते है । भीतरी झिल्ली पर वलन पाए जाते है ,जिन्हें क्रिस्टी कहते है ।इसे शक्ति केन्द्रक भी कहते है । DNA की उपस्थिति के कारण प्रतिकरण पाया जाता है । भीतरी झिल्ली पर ETS व श्वसनीय श्रंखला पायी जाती है ।
प्रमुख कार्य- i) भोजन के ऑक्सीकरण द्वारा ATP संश्लेषण करना
ii) पीतक पट्टलिकाओं का निर्माण करना

6. राइबोसोम

संरचना – इकाई झिल्ली अनुपस्थित होती है । ये प्रोकेरियोट में 70 S प्रकार के व यूकेरियोट में 80 S प्रकार के होते है ।
प्रमुख कार्य- ये प्रोटीन संश्लेषण का कार्य करते है । ये प्रोटीन फेक्ट्रीज या कोशिका का इंजन कहलाते है ।

7. सेन्ट्रोसोम

संरचना – जन्तु कोशिका में एक जोड़ी नलाकार सेन्ट्रीयोल पाई जाती है व इनके बीच 90 डिग्री का कोण पाया जाता है । यह इकाई झिल्ली विहिन होती है । प्रत्येक सेन्ट्रीयोल में तिहरी सूक्ष्म नलिकाऐं पायी जाती है । इसमें कार्ट व्हील संरचना उपस्थित होती है ।
प्रमुख कार्य- कोशिका विभाजन के समय तर्कु तंतुओं का निर्माण करना ।

8. केन्द्रक झिल्ली (Nuclear membrane)

संरचना – यह दोहरी इकाई झिल्ली द्वारा निर्मित होती है और झिल्ली पर केन्द्रक छिद्र पाए जाते है । अन्तः केन्द्रक झिल्ली पर फाइबरस लेमिना नामक परत पायी जाती है ।
प्रमुख कार्य- केन्द्रक व कोशिका द्रव्य के बीच परिवहन का नियमन करना ।

9. केन्द्रिका (Nucleolous) – इसकी खोज फोन्टेना नामक वैज्ञानिक ने की ।
संरचना – इकाई झिल्ली अनुपस्थित होती है । इसमें एमोरफस मैट्रिक्स, कणिकामय भाग व तन्तुमय भाग पाया जाता है ।
प्रमुख कार्य- i) राइबोसोम का निर्माण करना । अतः प्रोटीन संश्लेषण में सहायक
ii) r-RNA का संग्रहण करना ।

10. गुणसूत्र (क्रोमोसोम)

संरचना – केन्द्रक में पाए जाते है, ये विभाजन के समय दिखाई देते है । सामान्य कोशिका में 2N व व युग्मक में N अवस्था पायी जाती है । गुणसूत्र DNA व हिस्टोन प्रोटीन द्वारा निर्मित होते है ।
प्रमुख कार्य- i) कोशिका की विभिन्न गतिविधियों का नियंत्रण करना ।
ii) एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में आनुवांशिक लक्षणों का स्थानांतरण करना ।

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Author: Deep

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