REET Maurya Empire handwritten notes pdf in Hindi 

REET Maurya Empire handwritten notes pdf in Hindi 

REET Maurya Empire handwritten notes pdf in Hindi 

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Most Important Maurya Empire Question Answer

मौर्य साम्राज्य की जानकारी के स्रोत
अशोक के अभिलेख
रुद्रदामन का जूनागढ़ अभिलेख
कौटिल्य का अर्थशास्त्र
मेगस्थनीज की इंडिका
विशाखदत्त की मुद्राराक्षस
सोमदेव का कथासरित्सागर
क्षोमेन्द्र की वृहत् कथा मंजरी
कल्हण की राजतरंगिणी

राजनीकि विस्तार-

👉🏻 सिकन्दर के आक्रमण (326 ई. पू.) के पश्चात उत्तरी पश्चिमी भारत में अराजकता का माहौल उत्पन्न हो गया। मगध में भी इस समय नंदवंशीय घनानंद (अग्रेमीज) शासन कर रहा था।
👉🏻 अत्यधिक कर रोपण से जनता त्रस्त थी।
👉🏻 धनानंद के दरबार में तक्षशिला (पाकिस्तान) के आचार्य विष्णगुप्त आये थे, अपमानित होने पर चाणक्य (कौटिल्य विष्णुगुप्त) ने प्रतिज्ञा ली कि वह नंदो का समूल नाश कर देगा।
👉🏻 ‘राजकीलम‘ खेल देखते हुए वह चंद्रगुप्त मौर्य से प्रभावित हुआ तथा एक शिकारी से 1000 कर्षापण (मुद्रा) में इसे खरीद लिया तथा तक्षशिला लाकर सैन्य प्रशासन तथा राजनीति की समझ प्रदान की।
👉🏻 चंदगुप्त मौर्य ने आटविकों, मलेच्छों, खल्ल जैसी निम्न जातियों से सैना तैयार की।
👉🏻 इसकी सेना को जंस्टिन ने ‘डाकुओं का गिरोह‘ कहा है।
👉🏻 प्लूटार्क के अनुसार 6 लाख की सैना लेकर चंद्रगुप्त ने जम्बू द्वीप (भारत) को रौंद डाला।
👉🏻 सर्वप्रथम चंद्रगुप्त ने उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्रों को जीतना शुरू किया तथा फिर मगध पर आक्रमण किया।
👉🏻 धनानंद के सेनापति भद्रशाल ने वीरता से मुकाबला किया, परन्तु वह घनानंद सहित युद्ध में मारा गया।
👉🏻 317 ई. पू. पश्चिमी पंजाब के अंतिम क्षत्रप ‘यूडेमस‘ ने भी भारत छोड़ दिया।
👉🏻 सेल्युकस निकेटर ने 305 ई.पू. में भारत पर आक्रमण किया।
👉🏻 सेल्युकस एवं चंद्रगुप्त के मध्य युद्ध हुआ जिसमें सेल्युकस की हार हुई।
👉🏻 सेल्युकस ने अपनी पुत्री हेलेना/कार्नेलिया का विवाह चंद्रगुप्त से कर दिया तथा इसके अलावा 4 प्रांत भी उपहार स्वरूप प्रदान किये।
1.एरिया(हैरात) 2. अराकोसिया(कंधार) 3.जेडोसिया(बलुचिस्तान) 4.पेरिपेमसिदेई(काबुल)
👉🏻 इसके अलावा सेल्युकस ने मैगस्थनीज को अपना दूत बनाकर चन्द्रगुप्त के दरबार में भेजा।
👉🏻 चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्य साम्राज्य का सर्वाधिक विस्तार किया।
👉🏻 चन्द्रगुप्त की दक्षिण विजय कि सूचना अहनानुर व मुरनानुर तमिल ग्रंथों से मिलती है।
👉🏻 गुजरात के सौराष्ट्र प्रांत में 150 ई.पू. का रूद्रुदमन का जूनागढ़ अभिलेख प्राप्त हुआ है जिसमें लिखा है कि यहाँ स्थित सुदर्शन झील का निर्माण चंद्रगुप्त के राज्यपाल पुष्पगुप्त द्वारा करवाया गया ।
👉🏻 महाराष्ट्र के थाना जिले में स्थित सोपारा का अभिलेख प्राप्त हुआ है जिसका निर्माण अशोक ने कराया था।
👉🏻 चूँकि अशोक ने कलिंग के अलावा कोई विजय प्राप्त नहीं की तथा विन्दुसार ने अपने शासन में कोई भी विजय प्राप्त नहीं की, अतः जिन स्थानों से अशोक के अभिलेख प्राप्त हुए है वें स्थान चंद्रगुप्त द्वारा ही विजित किये गये थे।
👉🏻 कर्नाटक, केरल, तमिलनाडू, आन्ध्रप्रदेश से अशोक के अभिलेख प्राप्त हुए है।
👉🏻 महापदमनदं ने कलिंग पर सर्वप्रथम विजय प्राप्त की थी, घनानंद के समय यह स्वतंत्र हो गया।
👉🏻 चंद्रगुप्त ने कलिंग पर विजय प्राप्त की थी।
👉🏻 विलियम जोंस ने चन्द्रगुप्त मौर्य की पहचान एन्ड्रोकोट्स व सेन्ड्रोकोटस के रूप में की थी
👉🏻 चन्द्रगुप्त मौर्य जैन धर्म का अनुयायी था चन्द्रगुप्त के काल में 300 ई.पू. में स्थूलभद्र के नेतृत्व में पाटलीपुत्र में पहली जैन संगीति का आयोजन हुआ यहाँ जैन धर्म दो भागों में बंट गया – श्वेताम्बर व दिगम्बर
👉🏻 जैन ग्रंथ राजावली के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य ने कर्नाटक के चन्द्रगिरी पर्वत के पास श्रवणबेलगोला नामक स्थान पर सल्लेखना पद्धति के द्वारा अपने प्राण त्याग कर दिया |

बिन्दूसार-

👉🏻 काल 298 – 273 BC
👉🏻 यूनानी इतिहासकारों ने इसका नाम अमित्रोकोटस (शत्रुओं का नाश करने वाला) कहा है।
👉🏻 जैन ग्रंथों में बिन्दुसार को सिंहसेन कहा गया है।
👉🏻 चंद्रगुप्त ने अंतिम समय में जैन धर्म अपना लिया तथा भ्रदबाहु के साथ कर्नाटक में स्थित स्वर्ण बेलगोला चला गया।
👉🏻 आज भी इस साक्ष्य के रूप में चन्द्रगिरी पहाड़ी स्थित है।
👉🏻 बिन्दुसार 298 ई.पू. मगध का शासन बना।
👉🏻 चाणक्य बिन्दुसार का भी मंत्री रहा।
👉🏻 चाणक्य की मृत्यु के पश्चात खल्लाटक मंत्रिपरिषद का अध्यक्ष बना।
👉🏻 सिरिया के राजा एण्टीयोकस प्रथम ने मैगस्थनीज के बदले डायमेकस को अपना दूत बनाकर बिन्दुसार के दरबार में भेजा।
👉🏻 बिन्दुसार ने सिरिया के शासक से शराब, मीठी अंजीर तथा दार्शनिक की मांग की।
👉🏻 सिरिया के राजा ने कहलवाया कि हम दार्शनिकों का क्रय विक्रय नहीं करते।
👉🏻 बिन्दुसार का मिश्र के राजा टोलमी द्वितीय फिलाडोल्फस के साथ भी सौहोर्द्रपूर्ण सम्बंध थे।
👉🏻 टालेमी ने डायनोसियस नामक दूत को बिन्दुसार के दरबार में भेजा।
👉🏻 बिन्दुसार के दरबार में आजीवक सम्प्रदास के आचार्य पिंगलवत्स रहते थे जिसने भविष्यवाणी की थी कि बिन्दुसार की मृत्यु के पश्चात अशोक राजा बनेगा।
👉🏻 बिन्दुसार ने सुसीम को तक्षशिला का गवर्नर बनाया तथा अशोक को उज्जयनी (अवन्ती) का राज्यपाल नियुक्त किया।
👉🏻 अशोक को तक्षशिला का विद्रोह दबाने के लिए भेजा गया था।
👉🏻 बिन्दुसार के काल में सीरिया का शासक एंटियोकस – I था बिन्दुसार ने एंटियोकस – I से तिन वस्तुओं की मांग की थी – दार्शनिक, सुखी अंजीर, मीठी मदिरा
👉🏻 मिश्र के शासक टॉलमी फिलाडेलफ्स – II का राजदूत डायनोसियस भी बिन्दुसार के काल में भारत आया था
👉🏻 बिन्दुसार आजीवक संप्रदाय का अनुयायी था
👉🏻 आजीवक सम्प्रदाय की स्थापना मक्खलिपुत्र गौशाल के द्वारा की गई थी

अशोक-

👉🏻 काल – 273/269 ई.पू. से 232 ई.पू.
👉🏻 जिस समय बिन्दुसार की मृत्यु हुई उस समय अशोक तक्षशिला का विद्रोह के लिए गया हुआ था।
👉🏻 बिन्दुसार ने सुसीम को राजा घोषित कर दिया था, परन्तु राधागुप्त की सहायता से अशोक ने 273 ई.पू. स्वयं को राजा घोषित कर दिया।
👉🏻 269 ई.पू. में अशोक ने मगघ को जीता तथा इसी वर्ष उसका राज्याभिषेक हुआ।
👉🏻 अशोक के अभिलेख में उसके शासन की गणना इसी वर्ष से की जाती है।
👉🏻 बौद्ध ग्रन्थों में अशोक को चण्ड अशोक कहा गया है, क्योंकि बौद्ध ग्रन्थों के अनुसार अशोक ने अपने 99 भाइयों का वध किया था यह बात असत्य है।
👉🏻 अशोक के अभिलेखों में केवल उसकी एक पत्नी कारूवाकी का उल्लेख हआ है जो तीवर की माता थी।
👉🏻 अशोक का प्रथम विवाह उज्जयनी के शाक्य जाति के ब्राह्मण की पुत्री देवी (महादेवी) से हुआ था।
👉🏻 इसकी एक अन्य पत्नी तिष्यरक्षिता का भी उल्लेख मिलता है।
👉🏻 अशोक का पुराणों में नाम – अशोक वर्धन
👉🏻 मास्की शिलालेख में अशोक का नाम – बुध शाक्य
👉🏻 अशोक की पुत्री – संघमित्रा, चारुमति
👉🏻 अशोक के पुत्र – महेंद्र, कुणाल, तीवर, जालौक
👉🏻 सर्वप्रथम 1750 ई. में टीलपेंथर ने अशोक की लिपि के बारे में बताया तथा इसी पहचान श्रीलंका के राजा तिस्स से थी।
👉🏻 1837 ई. में जेम्स प्रिंसेप ने अशोक की लिपि को पढ़ा तथा बताया कि यह मगध का राजा अशोक मौर्य है।
👉🏻 अशोक ने 261 ई. पू. में कलिंग विजय प्राप्त की।
👉🏻 कलिंग की राजधानी तोसाली थी।
👉🏻 अर्थशास्त्र के अनुसार कलिंग हाथियों के लिए प्रसिद्ध था।
👉🏻 किसी भी साक्ष्य में कलिंग के राजा का उल्लेख नहीं मिलता है।
👉🏻 इस युद्ध के पश्चात अशोक का हदय परिवर्तन हो गया तथा उसे अगले ही वर्ष बौद्ध धर्म अपना लिया। (260 ई. पू.)
👉🏻 अशोक को बौद्ध धर्म में 7 वर्षीय बालक निग्रोध ने दीक्षित किया।
👉🏻 दिव्यवदान के अनुसार उपगुप्त नाम मिक्षु ने अशोक को बौद्ध धर्म की शिक्षा दी।
👉🏻 अशोक के समय 251 ई.पू. में मोगलीपुत्र तिस्स की अध्यक्षता में पाटलीपुत्र में तीसरी बौद्ध संगीति हुई जिसमें अभिधम्म पिटक (त्रिपिटक का एक ग्रंथ) की रचना हुई |
👉🏻 इसके पश्चात अशोक मौगलिपुत्ततिस्य के सम्पर्क में आया।
👉🏻 अन्तिम समय अशोक के दीन अवस्था में बीते तथा 232 ई.पू. में अशोक की मृत्यु हो गई।
👉🏻 अशोक के प्रजा उत्थान के कार्यो की समीक्षा उसके शिलालेखों से करते है।
👉🏻 अशेक के अभिलेख ब्राह्मी, खरोष्ठी तथा अरामइक लिपि में प्राप्त हुए है। जिनकी भाषा प्राकृत थी।

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Most Important Maurya Empire Question Answer

अशोक के 14 वृहद्ध शिलालेख-

👉🏻 इन अभिलेखों का लेखक चापड़ नामक व्यक्ति को बताया जाता है।
👉🏻 ब्रहमगिरी लघू शिलालेख में चापड़ का वर्णन है।
👉🏻 इन शिलालेखों से अशोक के प्रशासन की जानकारी मिलती है इनमें राज्य की 14 आज्ञाएं है इसलिए इन्हें चतुर्दश शिलालेख कहा जाता है
👉🏻 ये अभिलेख 8 विभिन्न स्थानों से प्राप्त हुए है।
1.शाहबाजगढ़ी (पेशावर पाकिस्तान) :- इस अभिलेख की खोज जनरल कोर्ट द्वारा की गई (1836), इसमें 12 वाँ पठान्तर गायब था जिसे 1889 में हेराल्ड डीन ने खोजा।
2.मानसेहरा (हजारा-पाक) – कनिघंम
3.कालसी – देहरादून – फोरेस्ट – (1860)
4.गिरनार – गुजरात – कर्नल टाॅड (1822)
5.एर्रागुडी (आंघ्र प्रदेश) – भारतीय पुरात्व विभाग के अनुसंधान कर्ता अनुघोष ने खोजा।
6.सोपारा – महाराष्ट्र – इसे भी भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा खोजा गया।
7.घोली (उड़ीसा) – इसमें 13 वां अभिलेख नहीं है। (कीटो)
8.जोगढ़ (उड़ीसा) – इसमें भी 13 वां अभिलेख नहीं है (वाल्टर इलिएट)
👉🏻 धोली तथा जोगढ़ को कलिंग प्रज्ञाप्ति/ पृथक शिलालेख कहा गया है।
👉🏻 धौली व जोगढ़ शिलालेखों में 11, 12, 13 नंबर का लेख नहीं है इनके स्थान पर दो अलग लेख उत्कीर्ण है
👉🏻 तीसरे लेख में प्रादेशिक, रज्जुक व युक्त नामक अधिकारियों का उल्लेख मिलता है
👉🏻 अशोक ने प्रत्येक स्थान पर राजमार्गो के निकट विभिन्न राजाज्ञाएं खुदवायी।
👉🏻 प्रथम राजाज्ञा में राजकीय पाकशाला में पशुओं का वघ वर्जित कर दिया गया। अब केवल दो मोर तथा एक मृग ही मारा जाने लगा।
👉🏻 पाँचवी राजाज्ञा में यह उल्लेख किया गया है कि राज्याभिषेक के धर्म प्रचार 13 वर्ष पश्चात धम्म महामात्रों की नियुक्ति की गई है।
👉🏻 9 वीं राजाज्ञा में अशोक ने स्वर्ग की प्राप्ति का उल्लेख किया है।
👉🏻 13 वीं राजाज्ञा में अशोक ने कलिंग विजय का उल्लेख किया है तथा अशोक की विदेश नीति भी इसी अभिलेख में लिखी गई है।
👉🏻 अशोक के अभिलेख यूनान के राजा डेरियस से प्रेरित थे।
👉🏻 अशोक का धम्म बौद्ध ग्रन्थ राहुलवादक सूत्र से लिया गया है।
👉🏻 अशोक द्वारा धम्म के प्रचार हेतु निकाली गई यात्राएं अनुसंयान कहलाती है।

अशोक के लघु शिलालेख

👉🏻 अशोक के लघु शिलालेख :- गुर्जरा (MP), मास्की, नेतुर, उदेगोलेम (कर्नाटक), भाब्रु (राजस्थान)
👉🏻 इनसे अशोक के व्यक्तिगत जीवन की जानकारी मिलती है
👉🏻 मास्की शिलालेख में में अशोक को बुध शाक्य कहा गया है
👉🏻 अशोक के भाब्रु लघु शिलालेख को त्रिरत्न शिलालेख कहा जाता है क्युकी अशोक इसके माध्यम से बौद्ध धर्म के त्रिरत्न बुद्ध, धम्म व संघ के प्रति आस्था प्रकृट करता है

अशोक के स्तम्भ लेख-

👉🏻 अशोक के वृहत स्तंभलेख :- दिल्ली टोपरा, दिल्ली मेरठ, लोरिया – अरराज (बिहार), लोरिया – नंदनगढ़ (बिहार), रामपूरवा (बिहार), प्रयाग (UP)
👉🏻 अशोक के लघु स्तम्भलेख :- साँची, सारनाथ
👉🏻 अशोक ने वृहद शिलालेखों के अलावा स्तम्भ लेख भी खुदवाये।
👉🏻 ये 6 स्थानों से प्राप्त किये गये है तथा प्रत्येक पर 7 घोषणाएं की गई थी।
👉🏻 दिल्ली टोपरा अभिलेख को फिरोजशाह तुगलक अपनी नई राजधानी कोटला ले आया तथा इसे स्थापित किया।
👉🏻 इसी स्तम्भ लेख में इसकी सातों धोषणाओं का उल्लेख है, बाकी सभी स्तम्भ लेखों मे इसकी 6 घोषणाएं ही मिलती है।
👉🏻 फिरोजशाह तुगलक मेरठ अभिलेख को भी दिल्ली ले आया था।
👉🏻 विग्रहराज चतुर्थ का लेख दिल्ली टोपरा स्तम्भ लेख पर खुदा हुआ है।
👉🏻 इलाहाबाद स्तम्भ लेख को रानी का लेख भी कहते है, मूलतः ये कौशांबी में था।
👉🏻 इसी अभिलेख पर समुद्रगुप्त के सन्धि विग्राहक हरिषेण ने प्रयाग प्रशास्ति लिखी तथा जहांगीर ने भी इस पर अपना लेख खुदवाया।
👉🏻 लौरिया-नंदनगढ़:- इस स्तम्भ मे ही मयूर की आकृति बनी हुई है।
👉🏻 गु्रनवेडेल के अनुसार मोर मौर्यो का वंशीय चिह्न था।
👉🏻 लौरियानंदनगढ़ स्तम्भ लेख बिहार के चम्पारण जिले में स्थित है।
👉🏻 लौरिया-अरराज :- यह भी बिहार के गया जिले में स्थित है।
👉🏻 रामपुरवा:- यह बिहार के राजा जिले में है।
👉🏻 अशोक अपने राज्याभिषेक के 10 वें वर्ष बौद्ध गया की यात्रा पर गया तथा 20 वें वर्ष लुम्बिनी की यात्रा पर गया।
👉🏻 रूम्मंदेई लघु शिलालेख में यह लिखा गया है कि अशोक द्वारा बलि को समाप्त कर दिया गया तथा भाग का 1/8 ही कर के रूप में लिया जायेगा।
👉🏻 सारनाथ लघु स्तम्भ लेख में भारत का राष्ट्रीय चिह्न लिया गया है इससे 4 सिंह बने हुए है।
👉🏻 साँची स्तम्भलेख में चार सिंहों के नीचे दान चुगते हुए हंस की आकृति है
👉🏻 सारनाथ स्तम्भलेख में चार सिंह की आकृति के नीचे चार पशु (हाथी, घोडा, वृषभ, सिंह) की आकृति है

अशोक के गुहा लेख

👉🏻 अशोक ने बिहार स्थित बराबर की पहाड़ियों में आजीवक सम्प्रदाय के लिए सुदामा, कर्ण – चौपार, व विश्व झोपड़ी नामक गुफाओं का निर्माण करवाया
👉🏻 अशोक के पौत्र दशरथ ने बिहार स्थित नागार्जुनी की पहाड़ियों में आजीवक संप्रदाय के लिए निम्न गुफाओं का निर्माण कराया – गोपी, लोमर्षि, वडथिका

मौर्यकालीन प्रशासन-

👉🏻 मौर्य प्रशासन में मंत्री अमात्य कहलाते थे इन्हीं अमात्यों में से कुछ महत्त्वपूर्ण मंत्री छाँट जाते थे जिन्हें सामूहिक रूप से मंत्रिण कहा जाता था। मंत्रियों के चरित्र की जाँच हेतु किया गया परिक्षण उपधा परिक्षण कहलाता था।
👉🏻 उपधा परीक्षण से तात्पर्य है – नैतिकता की जांच करना
👉🏻 मंत्रीण में पुरोहित, प्रधानमंत्री, समाहर्ता, सन्निधाता व युवराज को शाम्मिल किया जाता था
👉🏻 इसमें से प्रत्येक को जो विभाग सौपे जाते थे उन्हें तीर्थ कहा जाता था तथा इन विभागों के अध्यक्ष महामात्र/तीर्थ कहलाते थे।
👉🏻 मंत्रिणों को 48000 पण (चांदी की मुद्रा) वेतन के रूप में दिया जाता था (वार्षिक)।
👉🏻 अर्थशास्त्र में 18 तीर्थो का उल्लेख है।

👉🏻 प्रमुख तीर्थ-

1.पुरोहित –
2.प्रधानमंत्री – मौर्यकाल में पुरोहित व प्रधानमंत्री दोनों के पद पर एक ही व्यक्ति को नियुक्त किया जाता था| चन्द्रगुप्त के काल में चाणक्य, बिन्दुसार के काल में चाणक्य व खल्लाटक तथा अशोक के काल में राधागुप्त इस पद पर था
3.समाहर्ता – राजस्व विभाग का प्रधान अधिकारी
4.सन्निधाता – राजकीय कोषाध्यक्ष
5.युवराज – उत्तराधिकारी
6.प्रदेष्टा – फौजदारी न्यायालयों का न्यायाधीश
7.कर्मान्तिक – उद्योग धन्धों का प्रमुख अधिकारी
8.व्यवहारिक – दीवानी न्यायालयों का न्यायाधीश
9.अन्तः पाल – सीमावर्ती क्षेत्रों में नियुक्त सैन्य अधिकारी।
10.प्रशस्ता – राजकीय अभिलेखों को लिपिबद्ध करने वाला अधिकारी।
18 तीर्थो के अलावा 26 अध्यक्षों की भी चर्चा की गई है।

👉🏻 प्रमुख अध्यक्ष :-
1.मुद्राध्यक्ष – पासपोर्ट अधिकारी
2.अकराध्यक्ष – खान विभाग से संबंधित अधिकारी
3.सीताध्यक्ष – राजकीय कृषि विभाग का अधिकारी
4.विविताध्यक्ष – चारागाह का अधिकारी
5.पोतवाध्यक्ष – माप – तौल से संबंधित अधिकारी
6.सूनाध्यक्ष – बूचड़खाने से संबंधित अधिकारी
7.पण्याध्यक्ष – व्यापार-वाणिज्य से संबंधित अधिकारी
8.मानाध्यक्ष – दूरी व समय से संबंधित साधनों को नियंत्रित करने वाला अधिकारी
9.गणिकाध्यक्ष – गणिकाओं से संबंधित अधिकारी
10.अक्षपटलाध्यक्ष – महालेखाकार

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Author: Deep

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