MP HSTET Hindi Grammar handwritten notes in Hindi pdf

MP HSTET Hindi Grammar handwritten notes in Hindi pdf

MP HSTET Hindi Grammar handwritten notes in Hindi pdf

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Most Important Hindi grammar Question Answer

वर्ण, वर्णमाला के अभ्यास प्रश्न
1. निम्नलिखित शब्दों में ‘र’ की अशुद्धियों को दूर कर शब्द फिर से लिखिए : …
1. कर्मधार्य …………………………………..
2. कबर …………………………………..
3. सार्मथ्य …………………………………..
4. तीवर …………………………………..
5. दरव्य …………………………………..
6. पर्दा …………………………………..
7. सहस्त्र …………………………………..
8. अस्थ …………………………………..
9. परसन्न …………………………………..
10. फरक …………………………………..
11. पवित्तर …………………………………..
12. करमठ …………………………………..
13. ब्रह्मा …………………………………..
14. वर्णन …………………………………..
15. स्रोत …………………………………..
16. श्रेय …………………………………..
17. मूरख …………………………………..
18. आर्शीवाद …………………………………..
19. परसाद …………………………………..
20. किरया …………………………………..
21. मरतबान …………………………………..
22. कार्यकर्म …………………………………..
23. कर्मशः …………………………………..
24. समुन्दर …………………………………..
25. उत्तीरण …………………………………..
26. प्रीक्षा …………………………………..
27. करिपा …………………………………..
28. कायार्लय …………………………………..
29. परणाम …………………………………..
30. चन्दर …………………………………..

2. निम्नलिखित वाक्यों में ‘र’ से संबंधित वर्तनी की अशुद्धियों को छाँटकर उन्हें शुद्ध कीजिए :
(क) बच्चों की आत्मा पवित्तर होती है। …………………………………..
(ख) फारम पर हस्ताक्षर कर दो। …………………………………..
(ग) हमें अपनी संस्कृति पर गरव है। …………………………………..
(घ) अचार मरतबान में रखा है। …………………………………..
(ङ) सानिया मिरज़ा की कीर्ति चारों ओर फैल गई है। …………………………………..
(च) विद्यार्थी को संयम के साथ जीवन जीना चाहिए। …………………………………..
(छ) चितर् का वर्णन करो। …………………………………..
(ज) यह कार्यालय कल खुला रहेगा। …………………………………..
(झ) हमें जागरुक होकर जीवन जीना चाहिए। …………………………………..
(ब) मेरा मितर कल मेरे घर आएगा।

अनुस्वार और अनुनासिक worksheet
इन स्वरों के उच्चारण में ध्वनि मुख के साथ-साथ नासिका-द्वार से भी निकलती है। अतः अनुनासिकता को प्रकट करने के लिए शिरोरेखा के ऊपर चंद्रबिंदु (–) का प्रयोग किया जाता है, परंतु जब शिरोरेखा के ऊपर स्वर की मात्रा भी लगी हो तो सुविधा के लिए (स्थानाभाव के कारण) चंद्रबिंदु (–) की जगह मात्र बिंदु (-) लगा दिया जाता है; जैसे-हैं, क्योंकि, गेंद, मैं आदि।

अनुनासिक स्वर(-) और अनुस्वार ( -) में अंतर अनुनासिक और अनुस्वार में मूल अंतर यह है कि अनुनासिक स्वर ‘स्वर’ है, जबकि अनुस्वार मूलतः व्यंजन है। अनुस्वार और अनुनासिक के प्रयोग में कहीं-कहीं अर्थ भेद पाया जाता है; जैसे- हँस – हँसना हंस – एक पक्षी इसलिए अनुस्वार और अनुनासिक के प्रयोग में सावधानी की आवश्यकता है।

बिंदु और चंद्रबिंदु
हिंदी भाषा के लेखन में बिंदु (-) अनुस्वार का प्रयोग बहुत महत्त्वपूर्ण है। बिंदु का प्रयोग विभिन्न रूपों में होता है। हम निम्नलिखित तीन स्थितियों पर विशेष ध्यान देंगे:
1. अं’-अनुस्वार के रूप में बिंदु का प्रयोग
2. नासिक्य व्यंजनों के स्थान पर बिंदु का प्रयोग
3. अनुनासिक के स्थान पर बिंदु का प्रयोग

1. अनुस्वार के रूप में बिंदु का प्रयोग :
हिंदी की वर्णमाला में स्वरों के पश्चात् दो अयोगवाह आते हैं :
(1) अं (अनुस्वार)
(2) अः (विसर्ग)

अनुस्वार व विसर्ग का प्रयोग ‘अ’ आदि स्वरों की सहायता से ही संभव हो सकता है जैसे-संताप

इस शब्द का यदि वर्ण-विच्छेद करें तो इसमें स् +अं + त् + आ + प् + अ वर्ण आते हैं। उच्चारण से यह स्पष्ट होता है कि इस शब्द में अनुस्वार ‘अं’ का उच्चारण (अ + न्) की तरह हुआ है, लेकिन भिन्न-भिन्न शब्दों में ‘अं’ के उच्चारण के बदलते रूपों को देखा जा सकता है; जैसे

संरचना स् + अं (अ + न्) + र् + अ + च् + अ + न् + आ
संवाद स् + अं (अ + म्) + व् + आ + द् + अ
संचार स् + अं (अ + न्) + च् + आ + र् + अ
संहार स् + अं (अ + ङ्) + ह् + आ + र् + अ
संचय स् + अं (अ + न्) + च् + अ + य् + अ
संगम स् + अं (अ + म्) + ग् + अ + म् + अ
‘अं’ की इस विविधता के कारण ही यह नियम बना है कि अंतस्थ (य, र, ल, व) और ऊष्म (श, ष, स, ह) व्यंजनों से पूर्व आने वाले अनुस्वार में बिंदु का प्रयोग होगा।

बिंदु के प्रयोग के अन्य उदाहरण :

कंगाल कंठ कंकाल चंद गंदा
संवेदना संवाद चंपा चंचल जंजाल
कांच संन्यासी संहार संशोधन संस्कार
संभव रंक संशय ङ्केसंयुक्त संसार
संबंध सुंदर जंगल
2. नासिक्य व्यंजनों के स्थान पर बिंदु का प्रयोग :
नासिक्य व्यंजनों का उच्चारण भिन्न-भिन्न स्थितियों में भिन्न-भिन्न तरह से किया जाता है। यही कारण है कि इनके लिपि चिहन भी भिन्न ही हैं; जैसे

अङ्क, शङ्ख, गङ्गा (क वर्ग से पहले ‘ङ्)
चञ्चल, मञ्जू (च वर्ग से पहले ”)
ठण्डा, कण्ठ, मण्डल (ट वर्ग से पहले ‘ण’)
पन्त, पन्थ, चन्द, धन्धा (त वर्ग से पहले ‘न्’)
कम्पन, गुम्फ, चम्बा, गम्भीर (प वर्ग से पहले ‘म्’)
हिंदी के बदलते रूप व सरलीकरण के उद्देश्य से अब यह नियम बन गया है कि उपर्युक्त भिन्न-भिन्न नासिक्य व्यंजनों की जगह बिंदु प्रयोग किया जाए। संस्कृत में इनका रूप इसी तरह बना रहे, किंतु हिंदी में इनकी जगह बिंदु प्रयोग को मान्यता दी जाए। अब उपर्युक्त शब्दों का रूप इस प्रकार होगा :

अंक, शंख, गंगा
चंचल, मंजू
ठंडा, कंठ, मंडल
पंत, पंथ, चंद, धंधा
कंपन, गुंफ, चंबा, गंभीर
3. अनुनासिक के स्थान पर बिंदु का प्रयोग :
हिंदी में अनुनासिकता को प्रकट करने के लिए शिरोरेखा के ऊपर चंद्रबिंदु (-) का प्रयोग किया जाता है, परंतु जब शिरोरेखा के ऊपर स्वर की मात्रा भी लगी हो तो सुविधा के लिए (स्थानाभाव के कारण) चंद्रबिंदु की (-) जगह मात्र बिंदु (-) लगा दिया जाता है; जैसे : बिंदू, कहीं, गोंद, छौँक, मैं, में ऊपर दिए गए शब्दों में इँ, ई, औं, औं,एँ,एँ की मात्राएँ हैं।

बिंदू ब् + इ + द् + ऊ
छौँक छ् + औं + क् + अ
कहीं क् + अ + ह् + ई
मैं म् + ऐं
गोंद ग् + औं + द् + अ
में म् + एँ
ऐसे स्थलों पर चंद्रबिंदु का प्रयोग अटपटा लगता है। अतः केवल बिंदु का प्रयोग शुद्ध माना जाने लगा है। ऊपर के शब्दों को यों लिखा जाना मान्य है : बिंदू, कहीं, गोंद, छौंक, मैं, में
परंतु अ, आ, उ, ऊ तथा ऋ स्वर वाले शब्दों में अनुनासिक अर्थात् चंद्रबिंदु का ही प्रयोग होगा (-); जैसे

शुद्ध (मानक) अशुद्ध (अमानक) शुद्ध (मानक) अशुद्ध (अमानक)
हँस (हँसने की क्रिया) हस कुँवारा कुंवारा
अँग अंग खूटा खूटा
आँगन आंगन घूघट बूंघट
अनुस्वार का निषेध
जिन शब्दों में अनुस्वार के पश्चात्, य, र, ल, व, ह आता है, वहाँ अनुस्वार अपने मूल रूप में ही रहता है; जैसे

शुद्ध अशुद्ध
पुण्य पुंय
कण्व कंव
अन्य अंय
समन्वय समंवय
कन्हैया कंहैया
मान्यता मांयता
तुम्हें तुंहे
यदि अनुस्वार के पश्चात् कोई पंचम वर्ण (ङ्, ज्, ण, न्, म्) आ जाए तो अनुस्वार अपने मूल रूप में ही प्रयुक्त होता है। यहाँ बिंदु का प्रयोग अमान्य होता है; जैसे

शुद्ध अशुद्ध
वाङ्मय वांमय
उन्मुख उंमुख
जन्म जंम
तन्मय तंमय
सम्मान समान
उन्नति उनति
सम्मिलित संमिलित
अपवाद-‘सम्’ उपसर्ग का ‘सं’ हो जाता है; जैसे

सम् + योग संयोग
सम् + कल्प संकल्प
सम् + यंत्र संयंत्र
सम् + चय संचय
सम् + रचना संरचना
सम् + बंध संबंध
सम् + वाद संवाद
सम् + सार संसार
यदि अनुस्वार के द्वित्व (एक जैसे दो अनुस्वार) वर्णों का प्रयोग हो तो ऐसे स्थलों पर अनुस्वार का बिंदु नहीं बनता; जैसे –

शुद्ध अशुद्ध
अशुद्ध सम् + मान सम्मान समान
उत् + नति उन्नति उनति
सम् + मेलन सम्मेलन संमेलन
उत् + नायक उन्नायक
नायक ऊष्म व्यंजनों (श, ष, स) से पहले अनुस्वार की जगह बिंदु का प्रयोग किया जाता है; जैसे वंश, दंश, हंस, बांसुरी, विध्वंस।

Most Important Hindi grammar Question Answer

Q (1) पुरोहित में उपसर्ग है-
(A)पुरस
(B)पुरः
(C)पुरा
(D)पुर
Answer- (B)

Q (2)अवनत शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग है-
(A)नत
(B)अ
(C)अव
(D)अवन
Answer- (C)

Q (3)सावधानी शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय है-
(A)ई
(B)इ
(C)धानी
(D)आनी
Answer- (A)

Q (4)कनिष्ठ शब्द में प्रयुक्त प्रत्यय है-
(A)इष्ठ
(B)इष्ट
(C)ष्ठ
(D)ष्ट
Answer- (A)

Q (5)दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को क्या कहते हैं ?
(A)संधि
(B)समास
(C)अव्यय
(D)छंद
Answer- (A)

Q (6)समास का शाब्दिक अर्थ होता है-
(A)संक्षेप
(B)विस्तार
(C)विग्रह
(D)विच्छेद
Answer- (A)

Q (7) निम्नलिखित में कौन-सा पद अव्ययीभाव समास है ?
(A)गृहागत
(B)आचरकुशल
(C)प्रतिदिन
(D)कुमारी
Answer- (C)

Q (8) जिस समास में उत्तर-पद प्रधान होने के साथ ही साथ पूर्व-पद तथा उत्तर-पद में विशेषण-विशेष्य का संबंध भी होता है, उसे कौन-सा समास कहते है ?
(A)बहुव्रीहि
(B)कर्मधारय
(C)तत्पुरुष
(D)द्वन्द्व
Answer- (B)

Q (9) निम्नलिखित में से कर्मधारय समास किसमें है ?
(A)चक्रपाणि
(B)चतुर्युगम्
(C)नीलोत्पलम्
(D)माता-पिता
Answer- (C)

Q (10) जिस समास के दोनों पद अप्रधान होते है, वहाँ पर कौन-सा समास होता है ?
(A)द्वन्द्व
(B) द्विगु
(C)तत्पुरुष
(D) बहुव्रीहि
Answer- (D)

Q (11) जितेन्द्रिय में कौन-सा समास है ?
(A)द्वन्द्व
(B) बहुव्रीहि
(C)तत्पुरुष
(D) द्विगु
Answer- (B)

Q (12) दीनानाथ में कौन-सा समास है ?
(A)कर्मधारय
(B) बहुव्रीहि
(C)द्विगु
(D) द्वन्द्व
Answer- (A)

Q (13) कौन-सा शब्द बहुव्रीहि समास का सही उदाहरण है ?
(A)निशिदिन
(B) त्रिभुवन
(C)पंचानन
(D) पुरुषसिंह
Answer- (C)

Q (14) दशमुख में कौन-सा समास है ?
(A)कर्मधारय
(B) बहुव्रीहि
(C)तत्पुरुष
(D) द्विगु
Answer- (B)

Q (15) विशेषण और विशेष्य के योग से कौन-सा समास बनता है ?
(A)द्विगु
(B) द्वन्द्व
(C)कर्मधारय
(D) तत्पुरुष
Answer- (C)

Q (16) निम्नलिखित में से एक शब्द में द्विगु समास है, उस शब्द का चयन कीजिए-
(A)आजीवन
(B) भूदान
(C)सप्ताह
(D) पुरुषसिंह
Answer- (C)

Q (17) किस समास के दोनों शब्दों के समानाधिकरण होने पर कर्मधारय समास होता है ?
(A)तत्पुरुष
(B) द्वन्द्व
(C)द्विगु
(D) बहुव्रीहि
Answer- (C)

Q (18) किसमें सही सामासिक पद है ?
(A)पुरुषधन्वी
(B) दिवारात्रि
(C)त्रिलोकी
(D) मंत्रिपरिषद
Answer- (C)

Q (19) द्विगु समास का उदाहरण कौन-सा है ?
(A)अन्वय
(B) दिन-रात
(C)चतुरानन
(D) त्रिभुवन
Answer- (D)

Q (20) इनमें से द्वन्द्व समास का उदाहरण कौन-सा है ?
(A)पीताम्बर
(B) नेत्रहीन
(C)चौराहा
(D) रुपया-पैसा
Answer- (D)

Q (21) अव्ययीभाव समास का एक उदाहरण ‘यथाशक्ति’ का सही विग्रह क्या होगा ?
(A)जैसी-शक्ति
(B) जितनी शक्ति
(C)शक्ति के अनुसार
(D) यथा जो शक्ति
Answer- (C)

Q (22) लम्बोदर में कौन-सा समास है ?
(A) द्वन्द्व
(B) द्विगु
(C)तत्पुरुष
(D) बहुव्रीहि
Answer- (D)

Q (23) देशप्रेम में कौन-सा समास है ?
(A) अव्ययीभाव
(B) द्विगु
(C)तत्पुरुष
(D) बहुव्रीहि
Answer- (C)

Q (24)नवग्रह में कौन-सा समास है ?
(A) तत्पुरुष
(B) द्वन्द्व
(C) द्विगु
(D) बहुव्रीहि
Answer- (C)

Q (25)वनवास में कौन-सा समास है ?
(A) तत्पुरुष
(B) कर्मधारय
(C) द्विगु
(D) बहुव्रीहि
Answer- (A)

Q (26)पंचवटी में कौन-सा समास है ?
(A) नञ
(B) बहुव्रीहि
(C) तत्पुरुष
(D)कर्मधारय
Answer- (B)

Q (27)पीताम्बर में कौन-सा समास है ?
(A) बहुव्रीहि
(B) द्वन्द्व
(C) कर्मधारय
(D)द्विगु
Answer- (A)

Q (28)युधिष्ठिर में कौन-सा समास है ?
(A) तत्पुरुष
(B)बहुव्रीहि
(C)अलुक
(D)कर्मधारय
Answer- (B)

Q (29) संस्कृत के ऐसे शब्द जिसे हम ज्यों-का-त्यों प्रयोग में लाते हैं कहलाते है-
(A)तत्सम
(B)तद्भव
(C)देशज
(D)विदेशज
Answer- (A)

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Most Important Hindi grammar Question Answer

Q (30) निम्नलिखित में ‘रूढ़’ शब्द कौन-सा है ?
(A)वाचनालय
(B)समतल
(C)विद्यालय
(D)पशु
Answer- (D)

Q (31) शब्द रचना के आधार पर बताइये कि कौन-सा शब्द ‘योगरूढ़’ है ?
(A)पवित्र
(B)कुशल
(C)विनिमय
(D)जलज
Answer- (D)

Q (32) निम्नलिखित में ‘रूढ़’ शब्द कौन-सा है ?
(A)मलयज
(B)जलज
(C)पंकज
(D)वैभव
Answer- (D)

Q (33) परीक्षा शब्द निम्नलिखित वर्गो में से किस वर्ग में आता है ?
(A)तत्सम
(B)तद्भव
(C)देशज
(D)विदेशज
Answer- (A)

Q (34) ‘मजिस्ट्रेट’ शब्द हैं-
(A)तत्सम
(B)तद्भव
(C)देशज
(D)विदेशज
Answer- (D)

Q (35) निम्नलिखित में कौन-सा शब्द ‘देशज’ है ?
(A)अग्नि
(B)प्रार्थना
(C)खेत
(D)लोटा
Answer- (D)

Q (36) निम्नलिखित में कौन-सा शब्द ‘देशज’ है ?
(A)अग्नि
(B)प्रार्थना
(C)खेत
(D)लोटा
Answer- (D)

Q (37) स्वतंत्र सत्ता धारण न करने वाले शब्द क्या कहलाते हैं ?
(A)रूढ़
(B)यौगिक
(C)योगरूढ़
(D)इनमें से कोई नहीं
Answer- (B)

Q (38) निम्नलिखित में कौन यौगिक शब्द है ?
(A)लेखक
(B)पुस्तक
(C)विद्यालय
(D)योगी
Answer- (C)

Q (39) प्रयोग की दृष्टि से सूक्ष्म अंतर व्यक्त करने वाले शब्द क्या कहलाते है ?
(A)प्रयोगात्मक
(B)समानार्थक
(C)अनेकार्थक
(D)विपरीतार्थक
Answer- (B)

Q (40) यौगिक शब्द कौन-सा है ?
(A)पंकज
(B)पाठशाला
(C)दिन
(D)जलज
Answer- (B)

Q (41) ‘विभावरी’ किस प्रकार का शब्द है ?
(A)तत्सम
(B)तद्भव
(C)देशज
(D)संकर
Answer- (A)

Q (42) ‘योगरूढ़’ शब्द कौन-सा है ?
(A)पीला
(B)घुड़सवार
(C)लम्बोदर
(D)नाक
Answer- (C)

Q (43) नीचे दिए गए विकल्पों में से तत्सम शब्द का चयन कीजिए-
(A)पड़ोसी
(B)गोधूम
(C)बहू
(D)शहीद
Answer- (B)

Q (44) नीचे दिए गए विकल्पों में से तत्सम शब्द का चयन कीजिए-
(A)पड़ोसी
(B)गोधूम
(C)बहू
(D)शहीद
Answer- (B)

Q (45) नीचे दिए गए विकल्पों में से तद्भव शब्द का चयन कीजिए-
(A)बैंक
(B)मुँह
(C)मर्म
(D)प्रलाप
Answer- (B)

Q (46) जिस शब्द के कई सार्थक खण्ड हो सके, उन्हें क्या कहते हैं ?
(A)रूढ़
(B)यौगिक
(C)योगरूढ़
(D)मिश्रित
Answer- (B)

Q (47) कौन-सा शब्द ‘देशज’ नहीं है ?
(A)ढिबरी
(B)पगड़ी
(C)ढोर
(D)पुष्कर
Answer- (D)

Q (48) जिन शब्दों की उत्पत्ति का पता नहीं चलता, उन्हें कहा जाता है-
(A)तत्सम
(B)तद्भव
(C)देशज
(D)विदेशज
Answer- (C)

Q (49) ‘वकील’ किस भाषा का शब्द है ?
(A)फारसी
(B)अरबी
(C)तुर्की
(D)पुर्तगाली
Answer- (B)

Q (50) ‘चाय’ किस भाषा का शब्द है ?
(A)चीनी
(B)जापानी
(C)अंग्रेजी
(D)फ्रेंच
Answer- (A)

Q (51) ‘स्टेशन’ किस भाषा का शब्द है ?
(A)चीनी
(B)डच
(C) फ्रेंच
(D) अंग्रेजी
Answer- (D)

Q (52) ‘संकर’ शब्द का अर्थ है-
(A)तत्सम शब्द
(B)तद्भव शब्द
(C) विदेशी शब्द
(D) दो भाषाओं के शब्दों से मिलकर बना शब्द
Answer- (D)

Q (53) ‘रेलगाड़ी’ शब्द है-
(A)तत्सम शब्द
(B)देशज
(C) विदेशज
(D) संकर
Answer- (D)

Q (54) ‘दर्शन’ का तद्भव रूप है-
(A)दर्सन
(B)दरसन
(C) दर्स
(D) दस्र्न
Answer- (B)

Q (55) ‘संधि’ शब्द है-
(A)तत्सम शब्द
(B)देशज
(C) विदेशज
(D) तद्भव
Answer- (A)

Q (56) ‘लोटा’ शब्द है-
(A)तत्सम शब्द
(B)देशज
(C) विदेशज
(D) तद्भव
Answer- (B)

Q (57) ‘कमल’ किस प्रकार का शब्द है ?
(A)रूढ़
(B)यौगिक
(C)योगरूढ़
(D)इनमें से कोई नहीं
Answer- (A)

Q (58) ‘पाठशाला’ किस प्रकार का शब्द है ?
(A)रूढ़
(B)यौगिक
(C)योगरूढ़
(D)इनमें से कोई नहीं
Answer- (B)

Q (59) ‘दशानन’ किस प्रकार का शब्द है ?
(A)रूढ़
(B)यौगिक
(C)योगरूढ़
(D)इनमें से कोई नहीं
Answer- (C)

Q (50) निम्न में से कौन-सा शब्द तुर्की भाषा का है ?
(A)चाय
(B)रिक्शा
(C)कमरा
(D)कैंची
Answer- (D)

Most Important Hindi grammar Question Answer

वर्ण (Letter)

वर्ण किसे कहते हैं परिभाषा
वर्ण-विच्छेद को समझने से पहले, आइए जानें, वर्ण किसे कहते हैं?
परिभाषा-‘लिखित भाषा की उस छोटी-से-छोटी मूल ध्वनि को वर्ण कहते हैं, जिसके टुकड़े नहीं किए जा सकते।’ मूल रूप में वर्ण वे चिह्न होते हैं, जो हमारे मुख से निकली हुई ध्वनियों के लिखित रूप होते हैं। यह भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है और इसके खंड नहीं किए जा सकते। उदाहरण के लिए-‘राम बाजार गया।’ यदि इस वाक्य का विश्लेषण करें तो-(र् + आ, म् + अ) (ब् + आ, ज् + आ, र् + अ) (ग् + अ, य् + आ) प्राप्त होंगे। इससे आगे इसके खंड नहीं किए जा सकते। अतः इन्हें ही वर्ण कहा जाता है।

वर्णमाला (Alphabet)

वर्णों के क्रमबद्ध समूह को ‘वर्णमाला’ कहा जाता है। हिंदी भाषा में मुख्य रूप से निम्नलिखित वर्ण प्रयुक्त किए जा रहे हैं :
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ। (स्वर)

अं, अँ, अः। (अनुस्वार, अनुनासिक, विसर्ग)
Varn in Hindi, वर्ण विभाग – वर्णमाला (Varnamala) की परिभाषा एवं उनके भेद और उदाहरण (हिन्दी व्याकरण)

हल-चिह्न (,)-व्यंजनों के नीचे लगा हल-चिह्न स्वर के न होने का चिह्न है। सभी व्यंजन स्वर के बिना होते हैं। परंतु उनका उच्चारण स्वर की सहायता के बिना नहीं हो सकता। जब भी व्यंजन का उच्चारण होता है तो स्वर की सहायता से ही; जैसे-म् + अ = म, म् + आ = मा, म् + इ = मि। स्वरों का योग हो जाने के कारण ये व्यंजन अक्षर कहलाते हैं।

ऑ-अंग्रेजी भाषा के शब्दों के प्रयोग के लिए हिंदी भाषा ने ‘ऑ’ ध्वनि को भी हिंदी वर्णमाला में स्वीकार कर लिया है; जैसे-डॉक्टर, कॉलेज, कॉफ़ी।

ड़, ढ़-इन दो ध्वनियों का प्रयोग भी हिंदी भाषा में बहुतायत से होता है। इनका संबंध संस्कृत के ड और ढ से तो कदापि नहीं है। इसकी विशेषता यह है कि यह ध्वनि शब्द के आरंभ में नहीं आती; जैसे-बूढा, गढ़ा, पहाड़, चढ़ाई, साड़ी।

ड और ढ शब्द के प्रारंभ में आते हैं; जैसे-डाल, ढाल, डरपोक आदि। . कुछ पूर्णतया विदेशी ध्वनियाँ वर्ण के रूप में अपने शब्द भंडार के साथ हिंदी में प्रविष्ट हुई हैं; जैसे-क, ख, ग़, ज और फ़। ये ध्वनियाँ अरबी, फारसी, तुर्की आदि भाषाओं की हैं, परंतु हिंदी में फ़ारसी के द्वारा ही आई हैं; जैसे

क़ क़ौम, ख़-ख़ुदा, ग़-गरीब, ज-ज़रूरत, फ़-फ़न।

विद्वानों द्वारा क्ष, त्र, ज्ञ, श्र को हिंदी वर्णमाला में सम्मिलित नहीं किया जाता, क्योंकि ये वर्ण नहीं ‘संयुक्त वर्ण’ कहलाते हैं। इन वर्गों की उत्पत्ति दो वर्णों के मेल से हुई है :

क्ष क् + ष् + अ
त्र त् + र् + अ
ज्ञ ज् + ञ् + अ
श्र श् + र् + अ
इसलिए सामान्य रूप से इनकी गणना वर्णमाला में करना युक्तिसंगत नहीं होगा।

उच्चारण के आधार पर वर्णों को दो भागों में बाँटा गया है :

वर्ण (Letter)
स्वर (Vowels)
व्यंजन (Consonants)
स्वर (Vowels)
जिन वर्णों का उच्चारण करते समय हवा मुख विवर से बिना किसी रुकावट के निकल जाती है, वे स्वर कहलाते हैं। अतः स्वर स्वतंत्र ध्वनियाँ हैं। इनकी कुल संख्या ग्यारह है :
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ।

उच्चारण में लगे समय के आधार पर स्वरों के तीन वर्ग बनते हैं :
1. ह्रस्व
2. दीर्घ
3. प्लुत।

ह्रस्व स्वर (Short Vowels)-जिन स्वरों के उच्चारण में कम से कम समय लगता है, वे ‘ह्रस्व स्वर’ कहलाते हैं। हिंदी में अ, इ, उ, ऋ ये चार ह्रस्व स्वर हैं।
दीर्घ स्वर (Long Vowels)-जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वर से दुगुना समय लगता है, वे ‘दीर्घ स्वर’ कहलाते हैं। हिंदी में आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ ये सात दीर्घ स्वर हैं।
प्लुत स्वर (Longer Vowels)-जिन स्वरों के उच्चारण में दीर्घ से दुगुना तथा ह्रस्व से तिगुना समय लगता है, वे ‘प्लुत स्वर’ कहलाते हैं; जैसे-हे रा३म, ओ३म् आदि।।
उच्चारण-स्थान के आधार पर स्वरों के दो भेद किए जाते हैं-अनुनासिक तथा निरनुनासिक स्वर।

व्यंजन (Consonants)
‘व्यंजन उन वर्णों को कहते हैं, जिनका उच्चारण स्वर की सहायता से होता है। इनका उच्चारण करते समय फेफड़ों से निकली वायु को मुँह में विभिन्न स्थानों पर पूरा या आंशिक रूप से रोका जाता है। कुछ व्यंजनों के उच्चारण में वायु मार्ग इतना संकरा होता है कि हवा रगड़ खाकर बाहर निकलती है। उच्चारण करते समय हवा को किसी भी रूप में रोका जाता है तथा जिस स्थान पर हवा रगड़ खाती है, उस स्थान को व्यंजन विशेष का उच्चारण स्थान कहते हैं । व्यंजनों के निम्नलिखित तीन भेद हैं :

1. स्पर्श व्यंजन (Mutes-Consonants)-क् से लेकर म् तक के 25 वर्ण स्पर्श कहलाते हैं। इन वर्गों का उच्चारण करते समय जिह्वा मुख के भिन्न-भिन्न भागों का स्पर्श करती है। इसके कुल पाँच वर्ग हैं और प्रत्येक वर्ग अपने वर्ग के प्रथम वर्ण के नाम से जाना जाता है।

क् वर्ग क्, ख्, ग, घ, ङ्
च् वर्ग च्, छ्, ज्, झ्, ब्
ट् वर्ग ट्, ठ्, ड्, द, ण्
त् वर्ग त्, थ्, द्, ध्, न्
प् वर्ग प्, फ्, ब्, भ्, म्
2. अंतस्थ व्यंजन (Semi-Consonants)-इन वर्गों का उच्चारण करते समय जिह्वा मुख के किसी भी भाग को स्पर्श नहीं करती। इनका उच्चारण स्वर तथा व्यंजन का मध्यवर्ती-सा होता है। ये कुल चार हैं-य्, र, ल, व्।

3. ऊष्म व्यंजन (Sibiliants-Consonants)-इन वर्गों का उच्चारण करते समय हवा के रगड़ खाने से एक प्रकार की ऊष्मा-सी उत्पन्न होती है। ये कुल चार हैं-श्, ष्, स्, ह्।

संयुक्त और द्वित्व व्यंजन
संयुक्त व्यंजन- दो या दो से अधिक व्यंजनों के संयोग से संयुक्त ध्वनियाँ बनती हैं। हिंदी में स्वर रहित व्यंजन को आगे वाले व्यंजन से मिला दिया जाता है।

संयुक्त व्यंजन बनाने के कुछ नियम इस प्रकार हैं :
(क) खड़ी पाई वाले व्यंजनों का संयुक्त रूप बनाने के लिए पाई को हटा दिया जाता है; जैसे:

बच्चा (च् + च = च्च)
सज्जा (ज् + ज = ज्ज)
प्रख्यात (रु + य = ख्य)
मग्न (ग + न = ग्न)
विघ्न (८ + न = घ्न)
पत्ता (२ + त = त्त)
पथ्य (१ + य = थ्य)
ध्वस्त (६ + व = ध्व, स् + त स्त)
न्याय (न + य = न्य)
प्याला (८ + य = प्य)
लम्ब (म + ब = म्ब)
सभ्यता (स + य = भ्य)
स्वस्थ (स् + व = स्व, स् + थ = स्थ)
व्यवहार (व् + य = व्य)
(ख) क और फ के संयुक्ताक्षर बनाते समय इनका पीछे वाला भाग हटा दिया जाता है; जैसेः

पक्का (क + क = क्क)
रफ्तार (फ + त = फ्त)
नई मानक वर्तनी के अनुसार ‘पक्का’ का स्वरूप ‘पक्का’ मान्य नहीं है।

(ग) बिना पाई वाले व्यंजनों (ट्, ठ्, ड्, द, द्, ह्, ङ्) के संयुक्ताक्षरों में हल् चिह्न का प्रयोग होना चाहिए; जैसे

वाड्मय = ङ् + म
लटू = ट् + ट
पाठ्य = ठ् + य
बुड्ढा = ड् + ढ
विद्या = द् + य
ब्राह्मण = ह् + म
(घ) हिंदी में ‘र’ वर्ण के भी अनेक रूप हैं।
ऋ शब्द का प्रयोग केवल संस्कृत से लिए गए तत्सम शब्दों में ही होता है अन्यत्र नहीं। इस प्रकार के प्रयोग में विद्यार्थी विशेष रूप से भूल कर डालते हैं। इन भूलों का निराकरण अभ्यास पर ही आधारित है। फिर भी कुछ नियमों की जानकारी हम आगे लेंगे।

‘र’ के विभिन्न रूप
हिंदी वर्णमाला में र् की स्थिति दूसरे वर्गों से भिन्न है। इसकी स्थिति वर्णमाला में विशेष है, क्योंकि इसके लेखन में विविधता है।

रेफ (-) लेखन की स्थिति :
र जब हलंत अर्थात् स्वर रहित होता है तो उसके नीचे हल्-चिह्न नहीं लगता। ऐसी स्थिति में ‘र’ रेफ (‘) बनकर अगले व्यंजन के सिर पर लगता है।

अशुद्ध रूप शुद्ध रूप
पर्व पर्व
वर्ष वर्ष
गर्व गर्व
अय अय
सर्व सर्व
धर्मार्थ धर्मार्थ
पर्व शब्द में ‘व’ वर्ण के पहले आने के कारण यह ‘व’ के शीर्ष पर लगेगा; जैसे-पर्व।

अय में चूँकि र् के बाद ध भी हलंत सहित है, अतः यह ध् के बाद आने वाले वर्ण य के शीर्ष पर लगेगा; जैसे-अर्ध्य। धर्मार्थ में ‘र’ अगले वर्ण ‘मा’ तथा ‘थ’ पर लगा है; जैसे-धर्मार्थ।

रेफ (-) के अन्य उदाहरण :

अशुद्ध रूप शुद्ध रूप
कर्म कर्म
चर्म चर्म
फॉर्म फॉर्म
दीर्घ दीर्घ
कीर्ति कीर्ति
कोर्ट कोर्ट
फर्क फर्क
कार्ड कार्ड
वर्ण वर्ण
चर्म चर्म
कर्तव्य कर्तव्य
पदार्थ पदार्थ
विद्यार्थी विद्यार्थी
दुर्गा दुर्गा
मार्ग मार्ग
अर्थ अर्थ
कार्य कार्य
कर्म कर्म
आर्शीवाद आशीर्वाद
वार्षिक वार्षिक
धर्म धर्म
पर्दा पर्दा
धार्मिक धार्मिक
चार्ट चार्ट
वर्ग वर्ग
वर्णित वर्णित
जब ‘र’ से पहला व्यंजन हलंत होता है और इसका उच्चारण प्रयुक्त वर्ण के बाद होता है तो ‘र’ से पहला वर्ण पूरा लिखा जाता है और ‘र’ का रूप विकृत हो जाता है।
-पाई वाले व्यंजनों के बाद प्रयुक्त ‘र’ पाई के नीचे तिरछा होकर प्रयुक्त हो जाता है; जैसे :

क् + र = क्र = क्रोध, क्रम, चक्र
प् + र = प्र = प्रकाश, प्रथम, प्रकार
ग् + र = ग्र = ग्रस्त, ग्राम, ग्रंथ
स् + र = स्त्र = हिस्त्र, मिस्र
ब् + र = ब्र = कब्र, सब्र
पाई रहित व्यंजनों के बाद ‘र’ का लेखन : –बिना पाई वाले व्यंजनों के बाद प्रयुक्त ‘र’ व्यंजन के नीचे (.) के रूप में प्रयुक्त हो जाता है; जैसे :

ट् + र = ट्र = ट्रक, ट्राम, ट्रस्ट
ड् + र = ड्र = ड्रामा, ड्रम
द् तथा ह् के बाद ‘र’ का लेखन :
द् के बाद आने वाले ‘र’ का संयुक्त रूप पाई वाले व्यंजनों के समान ही होता है : द् + र = द्र = दरिद्र, कद्र
ह के बाद आने वाला ‘र’ का रूप इस प्रकार होता है : ह् + र = हू = ह्रस्व, ह्रास

त् और श के बाद ‘र’का लेखन :
त् के बाद ‘र’ आने पर संयुक्ताक्षर त्र बनता है : त् + र = त्र = त्रिभुज, त्रिशूल, त्रिकाल
श् के बाद ‘र’ आने पर संयुक्ताक्षर श्र बनता है : श् + र = श्र = श्रम, श्राप, श्रमिक
ध्यान रहे श् + र को श लिखना अशुद्ध होगा।

र के साथ उया ऊ की मात्रा :
र के साथ उ की मात्रा लगने पर रु बनता है : र् + उ = रु = गुरु, शुरुआत, रुपया
र के साथ ऊ की मात्रा लगने पर रू बनता है : र् + ऊ = रू = शुरू, रूप, रूढ़

‘र’ और ‘ऋ’ की मात्राओं में अंतर :
पदेन र् ( ) और ऋ (.) की मात्रा में स्पष्ट अंतर देखा जा सकता है। दोनों के प्रयोग पूर्ण रूप से भिन्न हैं तथा इनके प्रयोग से शब्दों के अर्थ में भी अंतर हो जाता है जैसे :

ग् + र = ग्र = ग्राम, ग्रसित,
ग्रह ग् + ऋ = गृ = गृहणी, गृह
ग्रह-आकाश में घूमने वाला एक पिंड
गृह-घर
ग्रह की जगह गृह का प्रयोग अशुद्ध होता है। उसी प्रकार जाग्रत की जगह जागृत, क्रम की जगह कृम, कृपा की जगह क्रपा या श्रृंगार की जगह अंगार।

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Author: Deep

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