DRDO CEPTAM General science & technology notes pdf in Hindi

DRDO CEPTAM General science & technology notes pdf in Hindi

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Most Important Science Question Answer in Hindi

क्या है चंद्र मिशन-2?

इसरो के अनुसार, ”चंद्रयान-2 चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से पर उतरेगा और इस जगह की छानबीन करेगा. यान को उतरने में लगभग 15 मिनट लगेंगे और ये तकनीकि रुप से बहुत मुश्किल क्षण होगा क्योंकि भारत ने पहले कभी ऐसा नहीं किया है.”

साथ ही बताया कि अच्छी लैंडिग के लिए जितने प्रकाश और समतल सतह की आवश्यकता होती है वो उसे दक्षिणी हिस्से में मिल जाएगा. इस मिशन के लिए पर्याप्त सौर ऊर्जा उस हिस्से में मिलेगी. साथ ही वहां पानी और खनिज मिलने की भी उम्मीद है.

आइये अब चंद्रयान-2 के बारे में जानते हैं?

यह चंद्रमा पर भेजा जाने वाला भारत का दूसरा तथा चंद्रयान-1 का उन्नत संस्करण है. यहीं आपको बता दें की 2 अक्तूबर, 2008 को चंद्रयान-1 का सफल प्रक्षेपण किया गया. चंद्रयान-1 को पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल, यानी PSLV-C 11 रॉकेट के ज़रिये सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र श्री हरिकोटा से लॉन्च किया गया था. चंद्रयान-1 का मकसद पृथ्वी के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह के बारे में अपने ज्ञान का विस्तार करना था.

चंद्रयान-2 एक जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III M1 रॉकेट (भारत का सबसे शक्तिशाली बूस्टर) के जरिये लांच किया जाएगा.
गौरतलब है कि वर्ष 2010 के दौरान भारत और रूस के बीच यह सहमति बनी थी कि रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ‘Roscosmos’ चंद्र लैंडर (Lunar Lander) का निर्माण करेगी तथा इसरो द्वारा ऑर्बिटर और रोवर के निर्माण के साथ ही जी.एस.एल.वी. द्वारा इस यान की लॉन्चिंग की जाएगी.

किंतु, बाद में यह निर्णय लिया गया कि चंद्र लैंडर का विकास (Lunar Lander development) भी इसरो द्वारा ही किया जाएगा. इस प्रकार चंद्रयान-2 अब पूर्णरूपेण एक भारतीय मिशन है.
इसरो के मुताबिक़ इस मिशन की कुल लागत लगभग 1,000 करोड़ रुपए है. जिसमें उपग्रह से जुड़ी लागत 603 करोड़ रुपये की है. वहीं, जीएसएलवी मार्क-3 की लागत लगभग 375 करेाड़ रुपये है.

चंद्रयान-2 एक लैंड रोवर और प्रोव से सुसज्जित होगा और चंद्रमा की सतह का निरीक्षण कर आँकड़े भेजेगा जिनका उपयोग चन्द्रमा की मिट्टी का विश्लेषण करने के लिये किया जाएगा.
बैलगाड़ी एवं साइकिल द्वारा रॉकेट ढ़ोने से लेकर इसरो का अबतक का सफरनामा

चंद्रयान-2 में तीन मॉड्यूल्स हैं: ऑर्बिटर, लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान). चंद्रयान-2 के द्वारा पहली बार चंद्रमा पर एक ऑर्बिटर यान, एक लैंडर और एक रोवर ले जाया जाएगा. ऑर्बिटर जहाँ चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा करेगा, वहीं लैंडर चंद्रमा के एक निर्दिष्ट स्थान पर उतरकर रोवर को तैनात करेगा.

ऑर्बिटरः चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चांद से 100 किमी ऊपर स्थापित किया जायेगा. ऑर्बिटर’ में आठ पेलोड, तीन लैंडर और दो रोवर होंगे. यह चक्कर लगाते हुए लैंडर और रोवर से प्राप्त जानकारी को इसरो सेंटर पर भेजेगा. साथ ही इसरो से भेजे गए कमांड को लैंडर और रोवर तक पहुंचाएगा. इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने बनाकर 2015 में ही इसरो को सौंप दिया था.

लैंडर (विक्रम): इसमें 4 पेलोड हैं. यह 15 दिनों तक वैज्ञानिक प्रयोग में रहेगा. इसकी शुरुआती डिजाइन इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर, अहमदाबाद ने बनाया था. बाद में इसे बेंगलुरु के यूआरएससी ने विकसित किया. रूस के मना करने पर इसरो ने स्वदेशी लैंडर बनाया है. इसरो द्वारा लैंडर का नाम इसरो के संस्थापक और भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है.

रोवर (प्रज्ञान): यह एक रोबोट है और इसका वजन 27 किलोग्राम है तथा इस रोबोट पर ही पूरे मिशन की जिम्मदारी होगी. इसमें दो पेलोड हैं. चांद की सतह पर यह करीब 400 मीटर की दूरी तय करेगा. इस दौरान यह विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग करेगा. फिर चांद से प्राप्त जानकारी को विक्रम लैंडर पर भेजेगा. लैंडर वहां से ऑर्बिटर को डाटा भेजेगा. फिर ऑर्बिटर उसे इसरो सेंटर पर भेजेगा. इस पूरी प्रक्रिया में करीब 15 मिनट लगेंगे. अर्थात यह कहा जा सकता है कि प्रज्ञान रोबोट से भेजी गई जानकारी को भारत में मौजूद इसरो सेंटर तक आने में लगभग 15 मिनट लगेंगे.

मिशन की अवधि और अन्य तथ्यों पर नज़र डालते हैं:

अवधि: ऑर्बिटर- 1 साल, लैंडर (विक्रम)- 15 दिन, रोवर (प्रज्ञान)- 15 दिन

वजन: ऑर्बिटर- लगभग 2379 किलो, लैंडर (विक्रम)- लगभग 1471 किलो, रोवर (प्रज्ञान)- लगभग 27 किलो

चंद्रयान-2 का कुल वजनः लगभग 3.8 टन

चंद्रयान-2 के प्रमुख उद्देश्य

मिशन के दौरान चंद्रमा की सतह में मौजूद तत्त्वों का अध्ययन कर यह पता लगाना कि उसके चट्टान और मिट्टी किन तत्त्वों से बनी है. उनमें मैग्निशियम, कैल्शियम और लोहे जैसे खनिज को खोजने का प्रयास करना.
वहाँ मौजूद खाइयों और चोटियों की संरचना का अध्ययन करना.
चंद्रमा की सतह का घनत्व और उसमें होने वाले परिवर्तन का अध्ययन करना.
ध्रुवों के पास की तापीय गुणों, चंद्रमा के आयनोंस्फीयर में इलेक्ट्रानों की मात्रा का अध्ययन करना.
चंद्रमा की सतह पर जल, हाइड्रॉक्सिल के निशान ढूंढने के अलावा चंद्रमा के सतह की 3-D तस्वीरें लेना.
इसके साथ ही वहां पानी होने के संकेतो की भी तलाश करना और चांद की बाहरी परत की भी जांच करना.

चंद्रयान-2 से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

चंद्रयान-2 को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क 3 (GSLV Mk III) के ज़रिये लॉन्च किया जाएगा.
चंद्रयान-2 का वज़न लगभग 3.8 टन है, जो आठ वयस्क हाथियों के वज़न के लगभग बराबर है.
भारत चंद्रमा के धुर दक्षिणी हिस्से पर पहुंचने जा रहा है.
यह भविष्य के मिशनों के लिए सॉफ्ट लैंडिंग का उदाहरण बनेगा.
चंद्रयान-2 चंद्रमा का अध्ययन करने के लिए 13 विभिन्न वैज्ञानिक उपकरणों को ले जाएगा. जिसमें ऑर्बिटर पर आठ पेलोड, लैंडर पर तीन और रोवर पर दो शामिल हैं

चंद्रयान-2 पूरी तरह स्वदेशी अभियान है.

चंद्रयान-2 में मज़बूती को सुनिश्चित करने और इसकी कामयाबी के प्रति पूरी तरह आश्वस्त होने के लिए देरी की गई.
चाँद हमेशा से ही मानव जाति के लिये एक महत्वपूर्ण विषय रहा है. हमेशा से ही वैज्ञानिकों और पूरी मानव जाति को चाँद के बारे में जानने कि जिज्ञासा रहती है. इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि पृथ्वी के सबसे करीब इस उपग्रह को पृथ्वी से बाहर जीवन के लिये काफी उपयुक्त माना जाता रहा है. यही वजह है कि अनेक देशों की अंतरिक्ष एजेंसियाँ समय-समय पर चाँद पर अपने यान भेजती रही हैं. भारत भी इस कार्य में पीछे नहीं है. भारत ने अंतरिक्ष में लगातार नई उपलब्धियाँ हासिल की है.

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Most Important Science Question Answer in Hindi

Q 1. भारत में अंतरिक्ष आयोग तथा अंतरिक्ष विभाग की स्थापना कब हुई थी?
(A) 1956 में
(B) 1662 में
(C) 1969 में
(D) 1972 में ✔

Q 2. परमाणु ऊर्जा विभाग का कब सृजन हुआ था?
(A) सन् 1948 में
(B) सन् 1950 में
(C) सन् 1956 में ✔
(D) सन् 1962 में

Q 3. थुंबा में रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र की स्थापना कब हुई?
(A) 1962 में
(B) 1963 में ✔
(C) 1965 में
(D) 1967 में

Q 4. भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में ‘ग्रासैट’ किस अवधारणा का द्योतक है?
(A) ग्रामीणों को शिक्षित करने के लिए प्रस्तावित उपग्रह ✔
(B) ग्रामीण क्षेत्रों में मौसम सम्बन्धी जानकारियों के वितरण के उद्देश्य से प्रस्तावित उपग्रह
(C) ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्र के लोगों में दूरसंचार सुविधाओं के विस्तार के लिए प्रस्तावित उपग्रह
(D) उपर्युक्त सभी

Q 5. भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रमों से संबंधित अनुसंधान कार्य मुख्य रूप से कहां संपादित किए जाते हैं?
(A) भौतिकी अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद
(B) अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला, तिरुवनन्तपुरम
(C) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, बंगलुरु
(D) उपर्युक्त सभी ✔

Q 6. राष्ट्रीय दूर संवेदी एजेंसी उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग कर पृथ्वी के संसाधनों की पहचान, वर्गीकरण और निगरानी का कार्य कौन करता है?
(A) तिरुपति
(B) हासन
(C) बेंगलुरू
(D) हैदराबाद ✔

Q 7. इंसेट उपग्रहों के प्रचालन का कार्य कहां से संपादित होता है?
(A) स्पेस एप्लीकेशन सेंटर, अहमदाबाद
(B) मास्टर कण्ट्रोल फैसिलिटी, हासन ✔
(C) विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, तिरुवनंतपुरम
(D) इसरो उपग्रह केंद्र, बेंगलुरू

Q 8. भारत का पहला रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट कहां से छोड़ा गया था?
(A) बैकानूर से ✔
(B) केप कैनेडी से
(C) फ्रेंच गुयाना से
(D) श्रीहरिकोटा से

Q 9. क्रायोजेनिक इंजन का प्रयोग किसमें किया जाता है?
(A) परमाणु भट्टी में
(B) तीव्र रेल इंजन के रूप में
(C) बोइंग में
(D) स्पेश शटल में ✔

Q 10. भारत के इंसेट 1-डी का प्रक्षेपण कब किया गया था?
(A) 10 जून, 1990 को
(B) 12 जून, 1990 को ✔
(C) 13 जून, 1990 को
(D) 15 जून, 1990 को

Q 11. इसरो का मुख्य कार्यालय कहां है?
(A) बेंगलुरू में ✔
(B) दिल्ली में
(C) अहमदाबाद में
(D) तिरुवनंतपुरम में

Q 12. इसरो भारत सरकार के किस विभाग की अनुसंधान शाखा है?
(A) रक्षा विभाग का
(B) कृषि मंत्रालय का
(C) मौसम विभाग का
(D) अंतरिक्ष विभाग का ✔

Q 13. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति का गठन कब किया गया?
(A) सन् 1957 में
(B) सन् 1962 में ✔
(C) सन् 1966 में
(D) सन् 1969 में

Q 14. 1962 में गठित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति के चेयरमैन कौन थे?
(A) डॉ. शांतिस्वरूप भटनागर
(B) डॉ. एच.जे. भाभा
(C) डॉ. विक्रम साराभाई ✔
(D) डॉ. एम.एस. स्वानीनाथन

Q 15. इसरो, अंतरिक्ष आयोग व अंतरिक्ष विभाग कब अस्तित्व में आए?
(A) 1963, 1965, 1963 में
(B) 1969, 1972, 1972 में ✔
(C) 1963, 1965, 1969 में
(D) 1969, 1972, 1975 में

Q 16. उन्नत किस्म का रेडियोमीटर VHRR सबसे पहले किसमें लगाया गया?
(A) INSAT-1B में
(B) INSAT-1C में
(C) INSAT-1D में
(D) INSAT-IE में ✔

Q 17. भारत के स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का प्रथम सफल परीक्षण कब हुआ?
(A) बेंगलुरू में 1996 में
(B) महेन्द्रगिरि में 1996 में
(C) बेंगलुरू में 1998 में
(D) महेंद्रगिरि में 1998 में ✔

Q 18. उपग्रह ‘आर्यभट्ट’ का प्रक्षेपण कहां से कराया गया?
(A) भारत से
(B) जापान से
(C) सोवियत संघ से ✔
(D) अमेरिका से

Q 19. भास्कर-I उपग्रह का डिजाइन व निर्माण किसने किया था?
(A) ISRO ने ✔
(B) UNEP ने
(C) WHO ने
(D) NASA ने

Q 20. रोहिणी RSD-1 का द्रव्यमान कितना था?
(A) 22 किग्रा
(B) 32 किग्रा ✔
(C) 42 किग्रा
(D) 52 किग्रा

Q 21. भारत की बहुउद्देशीय उपग्रह श्रृंखला का नाम क्या है?
(A) APPLE
(B) INSAT ✔
(C) ASLV
(D) SHAR

Q 22. राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में प्रवेश किस अभियान के तहत किया था?
(A) भारत-जापान संयुक्त अभियान के अंतर्गत
(B) भारत-अमेरिका संयुक्त अभियान के अंतर्गत
(C) भारत-सोवियत संयुक्त अभियान के अंतर्गत ✔
(D) विशुद्ध भारतीय अभियान के अंतर्गत

Q 23. इसरो का प्रमुख प्रक्षेपण केंद्र कहां है?
(A) INTRAC
(B) SHAR ✔
(C) SAC
(D) ISAC

Q 24. इसरो के प्रक्षेपण यानों तथा उपग्रह परियोजनाओं हेतु टेलिमेट्री नियंत्रण की सुविधा कौन प्रदान करता है?
(A) SAC
(B) ISAC
(C) VSSC
(D) INTRAC ✔

Q 25. विश्व में उपग्रह छोड़ने की क्षमता रखने वाले देशों की संख्या (भारत सहित) कितनी है?
(A) 5
(B) 6
(C) 7
(D) 8 ✔

Q 26. पी.एस.एल.वी. के विकास का उद्देश्य क्या है?
(A) 1000 किग्रा द्रव्यमान वाले उपग्रहों की धुवीय सूर्य तुल्यकालिक कक्षा में स्थापना
(B) 1500 किग्रा द्रव्यमान वाले उपग्रहों की धुवीय भूस्थिर कक्षा में स्थापना
(C) 2500 किग्रा द्रव्यमान वाले उपग्रहों की भू तुल्यकालिक अंतरण कक्षा में स्थापना ✔
(D) उपर्युक्त सभी

Q 27. भारत के पहले उपग्रह का नाम क्या है?
(A) भास्कर
(B) रोहिणी
(C) आर्यभट्ट ✔
(D) एप्पल

Q 28. SITE कार्यक्रम चलाने के लिए किस देश के उपग्रहों की सहायता ली गई?
(A) जापान
(B) रूस
(C) अमेरिका ✔
(D) फ्रांस

Q 29. INSAT-1B कब तक क्रियाशील रहा था?
(A) 1982 से 1983 तक
(B) 1983 से 1990 तक ✔
(C) 1984 में 1988 तक
(D) 1987 में 1994 तक

Q 30. देश में निर्मित पहला बहुउद्देश्यीय उपग्रह कौन सा था?
(A) INSAT-1C
(B) INSAT-1D
(C) INSAT-2A ✔
(D) इनमें से कोई नहीं

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Author: Deep

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